अजीत मेंदोला
(New Delhi News) नई दिल्ली।आखिरकार बुधवार को कांग्रेस के स्थाई मुख्यालय का उद्घाटन हो गया।जल्द ही 24 अकबर रोड से सभी विभाग यहां शिफ्ट कर दिए जाएंगे।अग्रिम संगठनों के आफिस भी यहीं आ जाएंगे।कड़कती सर्दी में कांग्रेस ने शानदार आयोजन किया।कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के कार्यकाल में तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसका शिलान्यास किया था।बुधवार को उद्घाटन भी सोनिया गांधी ने किया।इस मौके पर मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे,लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी,उनकी बहन प्रियंका गांधी सहित देशभर के तमाम नेता मौजूद थे।कांग्रेसी खुश और जोश में तो थे,लेकिन चिंता यही थी कि कब दिन बहुरेंगे।कब पार्टी के हालात सुधरेंगे।इंदिरा गांधी भवन क्या कुछ चमत्कार करेगा।औपचारिक शुरुआत तो हो गई बाकी कुछ महीनों में कार्यालय पूर्ण रूप से चलने लगेगा।तब पता चलेगा कि क्या होता है।
कांग्रेस ने पार्टी कार्यालय का अपना पता इंदिरा गांधी भवन 9 ए कोटला रोड रखा।नाम रखने की कहानी भी दिलचस्प है।जब सभी प्रमुख दलों को कार्यालय के लिए जमीन आवंटित की गई थी तब पुराना नाम राउज एवन्यू था।बाद नया नाम दीनदयाल उपाध्याय रोड कर दिया गया।कांग्रेस ने अपने प्रखर विरोधी के नाम पर पता रखने के बजाए बगल वाली रोड को प्रथमिकता दी।खैर दीनदयाल उपाध्याय मार्ग भी होता तो शायद विशेष अंतर नही पड़ता था।लेकिन कांग्रेस ने जताया कि वह संघ के साथ खड़ी कभी नहीं दिखेगी।
उद्घाटन के मौके पर राहुल गांधी ने संघ के विरोध में भाषण दे सीधा संदेश दिया कि कांग्रेस संघ की विचारधारा की विरोधी थी, है और आगे भी रहेगी।राहुल ने एक तरह से उन दलों को संदेश दिया कि कांग्रेस ही केवल संघ और बीजेपी की विचारधार से लड़ सकती है।इसलिए कांग्रेस की विचारधार से जुड़े।संघ पर हमले के लिहाज से भाषण ठीक था।लेकिन ताकतवर संघ को आज की कांग्रेस टक्कर कैसे देगी ये बड़ा सवाल है।क्योंकि कांग्रेस का कमजोर होता मौजूदा ढांचा संघ को चुनौती देने की स्थिति में दिखता नहीं है।
राहुल को ही ऐसा कुछ करना होगा जिससे कांग्रेस का संगठन ताकतवर हो।भाषण के अलावा की राहुल की पोशाक भी चर्चा में थी। दूसरी बार पद की गरिमा के हिसाब से राहुल सफेद सलवार कुर्ते वाली पोशाक में दिखे।इससे पूर्व लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता बनने के समय वह इस तरह की पोशाक पहन संसद आए थे।उस समय उनको देख माना जा रहा था कि राहुल बदल गए,लेकिन ऐसा हुआ नहीं।राहुल दूसरे दिन ही अपनी सदाबहार टी शर्ट वाली पोशाक में दिखने लगे।पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के समय भी वह टी शर्ट में ही दिखे।जो कि उनके पद के अनुरूप नहीं थी।लेकिन बुधवार को वह पोशाक के साथ शालीन और गंभीर दिखे।समारोह में राहुल को छोड़ अधिकांश प्रमुख नेताओं ने कांग्रेस की पहचान नेहरू टोपी पहनी हुई थी।
कांग्रेस का यह पांचवां कार्यालय है। जो अब पूरी तरह से स्थाई है। आजादी के बाद सबसे पहले कांग्रेस का कार्यालय 7 जंतर मंतर था।1969 में जब कांग्रेस में टूट हुई तो इंदिरा गांधी की कांग्रेस विंडसर प्लेस में चली गई।1971 में राजेंद्र प्रसाद रोड बना।जनता पार्टी के शासन में 1977 में कांग्रेस को 24 अकबर रोड मिला।तब से कांग्रेस 48 साल तक यहीं से चली।अकबर रोड में आने के बाद कांग्रेस ने बड़े उतार चढ़ाव देखे।दो शीर्ष नेताओं इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को आकस्मिक खोया भी।इसी कार्यालय में पार्टी ने कड़े संघर्ष के दिन भी देखे जो आज तक चल रहे।नया कार्यालय वास्तु के हिसाब से कितना लकी साबित होगा समय बताएगा।
लेकिन 2009 में इसके शिलान्यास के बाद से कांग्रेस का संघर्ष बढ़ा है।पार्टी एक दशक से अधिक समय से सत्ता से बाहर है।राज्यों में भी हालत खराब ही है।कांग्रेस के मुख्यालय से 500 मीटर की दूरी पर बना बीजेपी को उसका नया कार्यालय तो बहुत ही लकी रहा।पार्टी केंद्र से लेकर देशभर में राज करती ही जा रही है।कांग्रेसी उम्मीद कर रहे हैं कि उनके लिए भी नया कार्यालय लकी हो।इंदिरा भवन में कांग्रेस में कोई बदलाव लाए।
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