New Delhi News : दीपावली पर भारत के बही खाते में सुनहरी चमक के दर्शन

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Golden shine seen in India's account book on Deepawali

(New Delhi News) नई दिल्ली। आधुनिक अर्थव्यवस्था ने भारत में बहुत कुछ बदला है | महानगरों से सुदूर गांवों तक जीवन में बदलाव नजर आ रहा है | संघर्ष और विषमता के रहते विकास का रथ रुका नहीं है | भारत की सांस्कृतिक पहचान आज भी विश्व में अनूठी है |अपने विचार , अपना भोजन , अपने कपड़े , अपनी पम्पराएं , अपनी भाषा – सम्भाषण , अपनी मूर्तियां , अपने देवता , अपने पवित्र ग्रन्थ और अपने जीवन मूल्य , यही तो है अपनी संस्कृति | इसी संस्कृति का दीपावली पर्व कई अर्थों में समाज को जोड़ने वाला है | भारतीय पर्व और संस्कृति आनंद और का संदेश देती है | दीपावली पर छोटा सा घर हो या महल , बही खातों और तिजोरियों पर शुभ लाभ के साथ लिखा जाता है – ” लक्ष्मीजी सदा सहाय ” | दार्शनिक स्तर पर भारतीय मान्यता रही है कि निराकार ब्रह्म स्वयं निष्क्रिय हैं और इस सृष्टि को उसका स्त्री रूप , उसकी शक्ति ही चलाती है |

लक्ष्मी के साथ नारायण , राम के नाम आगे सीता , कृष्ण के आगे राधा , शिव के साथ पार्वती का नाम लिए बिना उनकी महत्ता नहीं स्वीकारी जाती | व्यावहारिक रूप से देखें तो सामान्य स्त्रियां किसी भी मर्द से अधिक कर्मठ और जिम्मेदार होती हैं | विभिन्न देशों की सरकारों , मुंबई से न्यूयॉर्क तक कारपोरेट कंपनियों ,को ही नहीं सुदूर पूर्वोत्तर , कश्मीर से केरल , छतीसगढ़ , बिहार , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश, हरियाणा , पंजाब के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में महिलाऐं घर और खेत खलिहान का काम बहुत अच्छे ढंग से संभालती हैं |परम्परा के अनुसार भारतीय परिवारों में लक्ष्मी पूजा के साथ बही खाते पर कुमकुम लगाकर नए पन्ने से भविष्य का हिसाब लिखा जाता था | इस दृष्टि से अमावस्या के अँधेरे से निकल रही आर्थिक रोशनी की चमक पर ख़ुशी मनाई जा सकती है |

मध्यवर्गीय परिवार की शिक्षित स्त्रियां अब कमाऊ बनकर सही अर्थों में लक्ष्मी हो गई हैं | यूरोप , अमेरिका , जापान ही नहीं भारत में महिलाएं सामाजिक राजनैतिक आर्थिक वैज्ञानिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं |इसलिए भारत में बहू और बेटी को लक्ष्मी कहा जाना हर दृष्टि से उचित है |भारत ही नहीं अंतर राष्ट्रीय सर्वेक्षणों से साबित हुआ है कि बेटियां अपने माता पिता , घर परिवार की चिंता देखभाल अधिक अच्छे ढंग से करती हैं |

अपने देश के विभिन्न राज्यों में अनगिनत दुर्गा , लक्ष्मी , सरस्वती की प्रतिमूर्ति समाज सेविकाएं सामाजिक चेतना , पर्यावरण , साक्षरता , स्व रोजगार के अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं | लाखों आंगनवाड़ियों को महिलाएं चला रही हैं |विश्व बैंक ने कहा है कि वर्ष 2024 में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। भारत के लिए अपने पहले के अनुमान में संशोधन करते हुए विश्व बैंक ने इसमें 1.2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है।हाल के विकास अपडेट के अनुसार वर्ष 2024 में दक्षिण एशिया की समग्र वृद्धि दर 6 प्रतिशत रहने की संभावना है। ऐसा मुख्य रूप से भारत में तेज विकास तथा पाकिस्‍तान और श्रीलंका में आर्थिक बहाली के कारण संभव होगा।रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया वर्ष 2025 में 6.1 प्रतिशत की अनुमानित आर्थिक वृद्धि दर के साथ अगले दो वर्ष तक विश्व में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर वाला क्षेत्र बना रहेगा।

चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य के बीच, भारत एक महत्वपूर्ण आर्थिक और भू-राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरा है। आने वाले वर्ष में इसके कार्य देश के लिए अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की नींव रख सकते हैं, जो समावेशी, सतत आर्थिक विकास, डिजिटल विकास और जलवायु कार्रवाई पर एक उदाहरण स्थापित करेगा। आर्थिक मोर्चे पर, भारत दुनिया के लिए एक प्रमुख विकास इंजन रहा है, जिसने 2023 में वैश्विक विकास में 16% का योगदान दिया है ।

वित्त वर्ष 2022-2023 में देश की विकास दर 7.2% थी , जो जी20 देशों में दूसरी सबसे अधिक थी और उस वर्ष उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के औसत से लगभग दोगुनी थी।स्थिरता बनाए रखने और संरचनात्मक सुधारों को लागू करने के भारत के प्रयासों ने वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में इसकी आर्थिक लचीलापन में योगदान दिया है। भारतमाला राजमार्ग कार्यक्रम, बंदरगाह आधारित विकास के लिए सागरमाला परियोजना और स्मार्ट सिटी मिशन जैसी परियोजनाओं सहित बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को उन्नत करने में निवेश देश के परिदृश्य को बदल रहा है और देश की आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

भारत ने एक दशक से भी ज़्यादा पहले अपने राष्ट्रीय पहचान कार्यक्रम, आधार की शुरुआत के साथ एक ज़्यादा डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक ठोस नींव रखना शुरू कर दिया था, जो निवास का प्रमाण स्थापित करने के लिए बायोमेट्रिक आईडी का उपयोग करता है। आज, एक उभरते हुए तकनीकी उद्योग के साथ, देश नवाचार और प्रौद्योगिकी सेवाओं के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया है, जिसने न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है, बल्कि भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित किया है।

जलवायु से जुड़ी बढ़ती चिंताओं के बीच, भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ़ वैश्विक लड़ाई में भी अहम नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है। पर्यावरण के लिए जीवनशैली के मिशन लाइफ़ की शुरुआत और ग्रीन हाइड्रोजन के लिए ठोस प्रयासों के ज़रिए भारत ने आर्थिक प्रगति और पारिस्थितिकी ज़िम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने वाली विकास की दिशा में दृढ़ प्रतिबद्धता दिखाई है।

भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन की भी शुरुआत की है, तथा नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वैश्विक ग्रिड का प्रस्ताव रखा है। चालू वित्त वर्ष 2024-2025 की पहली तिमाही के दौरान सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने में महाराष्ट्र टॉप पर रहा है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के मुताबिक, महाराष्ट्र दूसरे राज्यों के बीच नंबर एक स्थान पर बना हुआ है, क्योंकि अप्रैल से जून 2024-25 की पहली तिमाही में उसे 70,795 करोड़ रुपये का एफडीआई प्राप्त हुआ है।

I पड़ोसी राज्य कर्नाटक 19,059 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करके दूसरे स्थान पर रहा। देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 47.8 प्रतिशत बढ़कर 16.17 अरब डॉलर रहा है. सर्विस सेक्टर, कंप्यूटर, टेलीकॉम और फार्मा सेक्टर में बेहतर कैपिटल फ्लो से एफडीआई बढ़ा है |उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIT) के मुताबिक इस साल कुल एफडीआई इन-फ्लो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 28 प्रतिशत बढ़कर 22.49 अरब डॉलर रहा, जो बीते वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-जून में 17.56 अरब डॉलर था. कुल एफडीआई इन-फ्लो में इक्विटी, री-इंवेस्टेड इनकम और अन्य कैपिटल को शामिल किया जाता है.अगर अप्रैल-जून अवधि के एफडीआई आंकड़ों को देखें, तो इस दौरान मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, केमैन द्वीप और साइप्रस सहित कई प्रमुख देशों से एफडीआई इक्विटी फ्लो बढ़ा है |

वित्तीय वर्ष-23 में भारत का रक्षा उत्पादन 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जबकि निर्यात 16,000 करोड़ रुपये को पार कर गया।वित्त वर्ष 2024 में उम्मीद है कि रक्षा उत्पादन 1.5 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा और 1.75 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य तक भी पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि निर्यात 20,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करने की राह पर है। सर्विस सेक्टर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, टेलीकॉम, फार्मा और केमिकल सेक्टर में पूंजी प्रवाह बढ़ा है.

सबसे पिछड़े कहे जाने वाले बिहार के आर्थिक विकास पर राजनीतिक उठापटक में ध्यान नहीं दिया जा रहा है | पटना के पास बिहटा में राज्य के पहले ड्राई पोर्ट का उद्घाटन हाल ही में हुआ है । ड्राई पोर्ट को निजी कंपनी के सहयोग से बिहार में उत्पादित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने की राज्य की बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।एक शुष्क बंदरगाह, या अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (ICD), कार्गो हैंडलिंग, भंडारण और परिवहन के लिए बंदरगाह या हवाई अड्डे से दूर एक रसद सुविधा प्रदान करता है। यह समुद्री/हवाई बंदरगाहों और अंतर्देशीय क्षेत्रों के बीच एक पुल के रूप में कार्य करता है, जिससे माल की कुशल आवाजाही की सुविधा मिलती है।

बिहार जैसे राज्य के लिए यह एक बहुत ही उपयोगी पहल है ,जहां इसके निर्यात वस्तुएं – मुख्य रूप से कृषि आधारित, वस्त्र और चमड़े के उत्पाद – विभिन्न स्थानों पर निर्मित होते हैं। विभिन्न शिपर्स के कार्गो को ड्राई पोर्ट पर एकत्रित किया जा सकता है, जिससे परिवहन आसान हो जाता है। ड्राई पोर्ट का सबसे अच्छा लाभ यह है कि यह कस्टम क्लीयरेंस प्रक्रियाओं को संभालता है, जिससे बंदरगाहों/हवाई अड्डों पर भीड़भाड़ कम होती है। बिहार आलू, टमाटर, केला, लीची और मखाना जैसे फलों और सब्जियों का एक प्रमुख उत्पादक है ।

इसके अलावा, इसमें मक्का (बिहार के 38 में से 11 जिले मक्का उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करते हैं), स्पंज आयरन, पैक्ड फूड, बेकार कागज, अखबारी कागज, चावल और मांस के निर्यात की भी महत्वपूर्ण क्षमता है। मक्का उत्पादन मुख्य रूप से उत्तर बिहार के खगड़िया , बेगूसराय , सहरसा और पूर्णिया जैसे जिलों में केंद्रित है | उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर , पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण जिलों में कई चमड़ा और परिधान इकाइयाँ खुली हैं। वैशाली , नालंदा , पटना और बेगूसराय में भी खाद्य प्रसंस्करण में निर्यात की अपार संभावनाएँ हैं।

शुष्क बंदरगाह से निर्यात की गई पहली खेप चमड़े के जूतों की थी, जो रूस भेजी गई।हाल ही में आधा दर्जन निवेशकों ने राज्य में चमड़ा विनिर्माण इकाइयां खोली हैं। राज्य में चमड़ा और परिधान के निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। शायद बहुत कम लोग यह जानते हैं कि बिहार ने 2022-23 में 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया। अब, आईसीडी बिहटा की उपलब्धता के साथ, राज्य अपनी निर्यात क्षमता को बढ़ाने की ओर देख रहा है।। यह रेलवे द्वारा पश्चिम बंगाल में कोलकाता और हल्दिया, आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम , महाराष्ट्र में न्हावा शेवा , गुजरात में मुंद्रा आदि के गेटवे बंदरगाहों से जुड़ा हुआ है। पूरे पूर्वी भारत की सेवा करते हुए, आईसीडी बिहटा पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश और ओडिशा की मदद कर सकता है ।

मोदी सरकार के पहले 100 दिन में लगभग 15 लाख करोड़ रूपये की परियोजनाएं शुरू हुई हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने नीतियों की दिशा, गति और उनके क्रियान्वयन की सटीकता को 10 साल से बरकरार रखा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर के तहत 100 दिन में 3 लाख करोड़ की परियोजनाओं को शुरू किया गया है। महाराष्ट्र के वधावन में 76 हज़ार करोड़ रूपए की लागत से मेगा पोर्ट बनेगा जो पहले दिन से ही दुनिया के 10 प्रमुख बंदरगाहों में शामिल होगा। 49 हज़ार करोड़ रूपए की 25 हज़ार गांवों को सड़क से जोड़ने की योजना की शुरूआत हुई। 50,600 करोड़ रूपए की लागत से भारत के बड़े मार्गों के विस्तार का निर्णय लिया गया है। वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट, पश्चिम बंगाल में बागडोगरा, बिहार में बिहटा में उन्नयन और अगत्ती और मिनी काय में नई हवाईपट्टी बनाकर पर्यटन को बढ़ावा देने का काम हो रहा है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना की 17वीं किस्त के तहत 9.50 करोड़ किसानों को 20000 करोड़ रूपए वितरित किए गए हैं। अभी तक कुल 12 करोड़ 33 लाख किसानों को 3 लाख करोड़ रूपए वितरित किए गए हैं। खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाया गया है |सशक्त युवा किसी भी देश के विकास की प्राथमिक शर्त है। सरकार ने 2 लाख करोड़ के पीएम पैकेज की घोषणा की है जिसके तहत अगले 5 साल में 4 करोड़ 10 लाख युवाओं को लाभ पहुंचाने वाला है। सरकार ने एक करोड़ युवाओं को टॉप कंपनी में इंटर्नशिप के अवसर, अलाउंस और एकमुश्त सहायता राशि देने का भी निर्णय किया है। केंद्र सरकार ने भी कई हजार नियुक्तियों की घोषणा की है। श्रीकैपिटल एक्सपेंडीचर को बढ़ाकर 11 लाख 11000 करोड़ रूपए तक पहुंचाना अपने आप में एक मील का पुत्थर है। इससे कई युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर भी मजबूत होगा।

दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को संगठित कर 90 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं |गाइड का काम करने के लिए पर्यटन दीदी को पर्यटन मित्रों और ड्रोन दीदी के माध्यम से सेल्फ हेल्प ग्रुप से जोड़ा गया है। इसके साथ ही युवाओं को पर्यटन से जोड़ने का काम भी किया गया है। जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के तहत 63000 जनजातीय गांवों का पूर्ण विकास किया जाएगा। इससे 5 करोड़ आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। इस योजना के तहत गांव को प्राथमिक जरूरत और सुविधाओं से पूरी तरह युक्त किया जाएगा। हाँ इन सभी सपनों को साकार करने के लिए सरकार के साथ राज्यों की प्रशासनिक मशीनरी और जिले से पंचायत स्तर तक ईमानदारी से कार्य करने की आवश्यकता होगी | किसी भी धर्म की पूजा अर्चना प्रार्थना में सबके सुख शांति और समृद्धि की कामना होती है |

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