(New Delhi News) अजीत मेंदोला
नई दिल्ली। हरियाणा की हार के बाद कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो गई हैं ।एक तो राज्यों के चुनाव जीतना चुनौती बना हुआ है तो वहीं गठबंधन को बचाना टेढ़ी खीर बनता जा रहा है।स्थिति इतनी चिंताजनक हो गई है कि उत्तर प्रदेश,बिहार में गठबंधन के छोटे दल आंख दिखा रहे है तो महाराष्ट्र में पार्टी सहयोगियों पर भरोसे ही नहीं कर पा रही है।सूत्रों की माने तो पार्टी का बड़ा धड़ा महाराष्ट्र में अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में है।
झगड़ा सीटों के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी का
महाराष्ट्र के अधिकांश नेताओं ने आलाकमान को चेताया है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता है।चुनाव पूर्व या बाद में वह बीजेपी के साथ जा सकती है।यहां तक कि शरद पंवार की एनसीपी पर भी उन्हें संदेह है।ठाकरे और पंवार अपने बच्चों की खातिर साथ छोड़ने में हिचकेंगे नहीं।झगड़ा सीटों के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी का है।कांग्रेस पहले दिन से ही 135 से 140 सीट पर लड़ने का दावा कर रही है।ठाकरे खुद 125 से ज्यादा सीट चाहते हैं। एनसीपी भी 90 से 100 चाहती।क्षेत्रवार भी तीनों पार्टियों में तालमेल नहीं हो पा रहा है।सूत्रों की माने तो कांग्रेस और ठाकरे की शिवसेना सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी भी किए हुए है।
ऐसे में एनसीपी नेता शरद पंवार पर सबकी नजरें हैं कि वह महा विकास अगाड़ी गठबंधन को बचाते हैं या फिर 2019 की तरह चुनाव लड़ते हैं।उस समय कांग्रेस और पंवार के बीच गठबंधन था।शिवसेना बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ी थी।हालांकि कांग्रेस अपनी तरफ से अभी यही दिखाने की कोशिश कर रही है कि सब कुछ नियंत्रण में है।सोमवार को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी हुई है।जिसमें पार्टी ने नामों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।जल्द ही एक सूची जारी कर सहयोगियों को संदेश भी दे सकती है।
चुनाव समिति ने 96 सीटों पर चर्चा की
प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के अनुसार चुनाव समिति ने 96 सीटों पर चर्चा की है।मंगलवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी नेता शरद पंवार से सीटों को लेकर बात करेंगे।उसके बाद देखेंगे कि क्या करना है।
सूत्रों की माने तो पार्टी अलग चुनाव लड़ने की रणनीति पर भी काम कर रही है।दरअसल हरियाणा चुनाव में हुई हार के बाद कांग्रेस के प्रति सभी दलों के रुख में बदलाव आया है।इसके लिए कांग्रेस खुद जिम्मेदार है।लोकसभा में 99 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस के नेताओं का व्यवहार एक दम बदल गया था।उन्हें लगता था कि हरियाणा में बीजेपी की हार के बाद राजग सरकार अपने आप गिर जाएगी।वह लगातार चुनाव जीतते जाएंगे।
इसलिए कांग्रेस के नेता सहयोगी दलों को आँखें दिखने लगे थे।महाराष्ट्र में तो ठाकरे के साथ लगातार टकराव चल ही रहा था।समाजवादी पार्टी और राजद को भी भाव नहीं दिया गया।हरियाणा चुनाव से पूर्व सपा हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस से सीटें मांग रही थी।लेकिन कांग्रेस ने मना कर दिया।यही नहीं उत्तर प्रदेश में कांग्रेस दस सीटों में से पांच पर दावा कर रही थी।महाराष्ट्र में तो कांग्रेस ठाकरे की शिवसेना को कई बार आंख भी दिखा चुकी है।प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले तो ठाकरे की शिवसेना को कई बार हिदायत भी दे चुके थे।
लेकिन हरियाणा की हार से कांग्रेस को तो बड़ा झटका लगा ही है,लेकिन उसके सहयोगी भी चिन्तित है।उनकी चिंता यही है कि कांग्रेस का अब क्या होगा।इसलिए सभी अपने हिसाब से गुणा भाग में लग गए हैं।समाजवादी पार्टी ने तो कांग्रेस को झटका दे सात सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की कर दी।दो सीट कांग्रेस लेने को तैयार नहीं है।एक दो दिन तय होगा कांग्रेस क्या रास्ता पकड़ थी। उधर झारखंड में कम सीट मिलने पर राजद बिहार को लेकर कांग्रेस को चेताने लगा है।लेकिन असल पेंच महाराष्ट्र में फंस हुआ है।
कांग्रेस के रणनीतिकार लोकसभा चुनाव के परिणामों के हिसाब से शिवसेना को सीट देना चाहते है।इसके लिए शिवसेना ठाकरे तैयार नहीं है।ठाकरे शिवसेना के नेता लगातार कांग्रेस को उकसाने वाले बयान दे रहे हैं।ऐसे में जानकार मान रहे हैं कि जब तक गठबंधन की अधिकृत कोई घोषणा नहीं हो जाती है तब तक महाराष्ट्र में कुछ भी हो सकता है।
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