Aaj Samaj (आज समाज), New Criminal Law Bills, नई दिल्ली: तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्यसभा में भी पास हो गए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन तीनों विधेयकों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल) को राज्यसभा में बीते कल पेश किया। देर शाम तक चली चर्चा के बाद तीनों बिल पास हो गए। अब ये बिल राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजे गए, जिसके बाद ये कानून बन जाएंगे।
- किसी भी मामले में 3 साल में मिलेगा इंसाफ
संसद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
विधेयकों के पास होते ही राज्यसभा को भी निर्धारित समय से एक दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले लोकसभा का सत्र भी गुरुवार को निर्धारित समय से एक दिन पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। यह सत्र काफी ऐतिहासिक रहा। चार दिसंबर को शुरू हुआ 17वीं लोकसभा का यह चौदहवां सत्र था।
तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल से होंगे प्रमुख बदलाव
नए क्रिमिनल लॉ बिल के तहत नाबालिग से रेप के दोषी को उम्रकैद या फांसी होगी। गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा होगी। मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा होगी।
खत्म होगा तारीख पर तारीख का जमाना
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिलों पर चर्चा का जबाव देते हुए कहा, जो लोग सदन के बाहर पूछते हैं कि इस कानून से क्या होगा? मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि इसके लागू होने के बाद तारीख पर तारीख का जमाना नहीं रहेगा। किसी भी मामले में 3 साल में न्याय दिलाने का उद्देश्य है।
ऐतिहासिक रहा सत्र, 14 बैठकें, 146 विपक्षी सांसद सस्पेंड
संसद के सत्र के दौरान 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंध के बाद विपक्ष ने सदन के अंदर जमकर हंगामा किया। इसके चलते लोकसभा और राज्यसभा से रिकॉर्ड 146 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया। वहीं गुरुवार को सत्र के समापन पर स्पीच देते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा, सत्र में 14 बैठकें हुईं, जो लगभग 61 घंटे और 50 मिनट तक चलीं।
सदन की प्रोडक्टिविटी 74 फीसदी : ओम बिड़ला
ओम बिड़ला ने बताया कि इस सत्र में सदन की प्रोडक्टिविटी (तय समय में कितना कामकाज हुआ) 74 परसेंट थी। सत्र के दौरान 12 सरकारी विधेयक पेश किए गए और 18 बिल पास किए गए। लोकसभा स्पीकर ने यह भी बताया कि, शीतकालीन सत्र के दौरान 55 सवालों का जवाब दिया गया। नियम 377 के तहत कुल 265 मामले उठाए गए। उन्होंने सदन को बताया कि लगभग 1930 कागजात सदन के पटल पर रखे गए।
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