कभी साधन नहीं थे आज दुनिया के टॉप 35 में हैं वर्मा बंधु

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आयुष पाल
बैडमिंटन खिलाड़ी समीर वर्मा की वर्ल्ड रैंकिंग 31 है और उनके भाई सौरभ वर्मा की रैंकिंग 28 है। दोनों भाई हैं और मध्य प्रदेश के धार जिले से आगे आये हैं। दोनों गोपीचंद एकेडमी में अभ्यास करते हैं। दोनों की दिली इच्छा है कि वह पीवी सिंधू की कामयाबी को पुरुषों के वर्ग में भी आगे बढ़ायें। पीवी सिंधू की ओलिंपिक जीत पर समीर ने कहा “सिंधू का कभी हार न मानने और कड़ी मेहनत का जज्बा एक मिसाल बन गया है। उन्होंने दिमागी शांति के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का पाठ सबको पढ़ाया है। उनका खेल बाकी खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा का काम करेगा। इन दोनों के पिता ने बताया कि 23 साल पहले यहां एक ही बैडमिंटन हॉल हुआ करता था जिसमें जिले के नामी प्रतियोगी ही बैडमिंटन खेला करते थे। बाकियों को यहां खेलने की अनुमति दिलाने में कड़े प्रयास करने पड़े। सौरभ कोर्ट के साइड में पड़ी टूटी शटल कॉक और रैकेट से खेलता था। धीरे-धीरे ये सब चीजें सुलभ हो पाईं। जब कोर्ट खाली रहता था तो सौरभ को थोड़ा बहुत अभ्यास कोर्ट में भी करने का मौका मिलता था। उस समय समीर बहुत छोटा था वह भी उनके साथ जाता था। सौरभ को देख- देख कर और उसके साथ प्रैक्टिस करते-करते समीर कब खिलाड़ी बन गया पता ही नहीं चला। सौरभ ने कहा कि उस समय कई लोग मेरा यह कहकर मेरा मजाक बनाते थे कि जितने मे एक शटल कॉक आती है उतने में तुम्हारे घर की एक वक्त की सब्जी आ जाएगी।” समीर ऐसा बताते हुए काफी भावुक हो जाते हैं। सौरभ के पिता बताते हैं कि सीमित संसाधनों में बैडमिंटन जैसे महंगे खेल खेलना मुश्किल था। मैं शहर के वरिष्ठ खिलाड़ियों के पुराने रैकेट जो सस्ते में मिल जाते थे उसी से इन्हे खिलाता था और रैकेट की गट टूट जाने पर खुद ही गट डाल देता था। वही धार में हर साल दिसंबर महीने में पुराने कपड़ों का एक मेला लगता है, जिसमें पुराने कपड़ों के ढेर में से बच्चों के लिए खेलने की टीशर्ट लोअर अपर जो बहुत सस्ते मिल जाते थे, ले लेता इसी तरह मेरी और मुझसे भी ज्यादा मेरे बच्चों के संघर्ष के कारण आज उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है।” सौरभ ने पिछले वर्षों में रशियन ओपन, डच ओपन, हैदराबाद ओपन, वियतनाम ओपन और स्लोवेनियन ओपन के खिताब जीते और सैयद मोदी टूनार्मेंट में वह रनर्स अप रहे। वहीं समीर वर्मा ने 2011 में लखनऊ में जूनियर एशियन चैंपियनशिप, इंग्लैंड में यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स और चाइनीज ताइपै में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीते।