काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी डावाडोल हो रही है। वह हर कोशिश कर रहे है अपनी कुर्सी बचाने केलिए लेकिन हालात काबू आते नहीं दिख रहे हैं। ओली अपनी ही पार्टी में घिर गए हैं। उनकी अपनी पार्टी के लागे उनसे खफा है। भारत विरोध नीतियों को जिस प्रकार वह नेपाल में बढ़ावा दे रहे हैं ंऔर जिस तरह सेचीन का हस्तक्षेप वहां बढ़ता जा रहा है, इसके खिलाफ वहां आवाज उठ रही है। हालांकि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शुक्रवार को अपने इस्तीफे की संभावना को खारिज किया। पार्टी मेफूट और मतभेद को दबाने का प्रया किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मुद्दों का फैसला बातचीत के जरिए किया जाएगा। कोविड-19 को लेकर देश को संबोधित करते हुए ओली ने कहा कि सरकार को लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। बताया जा रहा है कि इस समय चीन का दखल नेपाल की आंतरिक राजनीति में बढ़गया है। ओली चीन की कठपुतली के तरह काम कर रहे हैं। हालांकि ओली ने कहा कि पार्टी का विवाद आंतरिक मुद्दा है। ओली ने कहा, ”आंतरिक विवादों या समस्याओं में शामिल होकर कोई लोगों की जिंदगी बचाने के कर्तव्य से नहीं हट सकता है। मैंने हमेशा कहा है कि सरकार लोगों को बीमारी और भूख से बचाने में पीछे नहीं हटेगी। इसलिए मेरे नेतृत्व में सरकार लोगों की जिंदगी और संपत्ति को महामारी और आपदा से बचाने की कोशिश कर रही है।’ बता दें कि ओली लगातार भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैंऔर चीन की ओर से उनकी सरकार बचाने का पूरा प्रयास हो रहा है।