नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित होने के बाद आज राज्यसभा के पटल पर रखा गया। बिल को गृहमंत्री अमित शाह ने पेश किया। राज्य सभा में बिल को प्रस्तुत करते हुए गृहमंत्री ने कहा किं एक ऐतिहासिक बिल लेकर सदन में उपस्थित हुआ हूं। जबकि दूसरी ओर विपक्ष ने इस बिल को असंवैधानिक बताते हुए कहा था कि यह संविधान सम्मत नहीं है। सबसे पहले कांग्रेस के आनंद शर्मा ने इस बिल का विरोध किया और सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि गांधी जी के चश्में का प्रयोग केवल विज्ञापन में नहीं बल्कि देश को देखने के लिए भी करें। उन्हीं के चश्में से हिंदुस्तान को देंखे तो अच्छा होगा। कांग्रेस के ही कपिल सिब्बल ने कहा मैं इस बिल के विरोध में खड़ा हुआ हूं। उन्होंने अमित शाह के बयान को आधार बनाते हुए कहा कि पता नहीं गृह मंत्री ने इतिहास की कौन सी किताब पढ़ी है। टू नेशन थ्योरी हमारी थ्योरी नहीं है। यह सावरकर द्वारा दी गई है। मैं गृह मंत्री से अनुरोध करता हूं कि वह आरोप वे वापस ले लें, क्योंकि हम कांग्रेसी एक राष्ट्र में विश्वास करते हैं। आप विश्वास नहीं करते हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान का कोई मुसलमान आपसे डरता नहीं है। यह बिल केवल एक समुदाय पर हमला है। न मैं डरता हूं, न देश के नागरिक डरते हैं और न ही देश के मुसलमान डरते हैं। कपिल सिब्बल ने कहा कि गृहमंत्री जी आप देश का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। बता दें कि अमित शाह ने राज्य सभा में इस बिल के समर्थन में कहा था कि इस बिल के प्रावधान में, लाखों करोड़ों लोग जो नर्क की यातना का जीवन जी रहे हैं, उन्हें नई आशा दिखाने का ये बिल है। कल का सूरज उनके लिए नई उम्मीद लेकर आएगा। उन्होंने कहा कि ये बिल उन लोगों को, जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता देने का बिल है। कुछ विशेष छूट भी इस निश्चित वर्ग के लिए हमने सोची हैं। साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों के अधिकारों, उनकी भाषा, संस्कृति और उनकी सामाजिक पहचान को संरक्षित करने के लिए भी हम प्रावधान लेकर आये हैं। इस बिल को पास करने को लेकर जहां केन्द्र सरकार आश्वस्त है। वहीं सबकी निगाहें शिवसेना पर टिकी हुई हैं। बहुमत का जुगाड़ करने के लिए केन्द्र सरकार के रणनीतिकारों ने कई बैठकें की हैं।