गाजियाबाद। नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में बुधवार शाम दिल्ली में रहने वाली महिला की मौत हो गई। महिला में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। मौत के 18 घंटे बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने शव ले जाने के लिए परिजनों को एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करवाई। काफी मिन्नतों के बाद अस्पताल प्रबंधन ने साधारण वाहन से शव को हिंडन श्मशान घाट पहुंचवाया। इसके अलावा परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर उपचार में लापरवावही बरतने का भी आरोप लगाया है।
दिल्ली की गोकुल पुरी में रहने वाली 54 वर्षीय महिला की तबियत पिछले कुछ दिनों से खराब चल रही थी। दिल्ली के अस्पतालों में जगह नहीं होने के कारण परिजनों ने गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया था। अस्पताल में उनकी कोरोना जांच करवाई गई जो पॉजिटिव आई। बुधवार शाम को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। महिला के बेटे राजेश ने बताया कि बुधवार को उनकी मां की तबियत ज्यादा खराब हो गई थी। वह दोपहर में घर से जरूरी सामान लेने गए थे। अस्पताल प्रबंधन की ओर से उनकी मां को संतोष अस्पताल कोविड एल-3 में रेफर किया गया लेकिन, कागजात नहीं होने के कारण वहां उनको भर्ती नहीं किया गया। उनके पास संतोष अस्पताल से फोन आया था कि आपकी मां को भर्ती करने से पहले दस्तावेज और रिपोर्ट दिखानी होगी। उनको इसकी जानकारी नहीं थी। वह घर से लौटे और संतोष अस्पताल पहुंचे। वहां से बताया गया कि दस्तावेज नहीं होने कारण मरीज को वापस भेज दिया गया है। यशोदा अस्पताल पहुंचे तो वहां उनकी मां को मृत घोषित कर दिया गया था।राजेश का आरोप है कि उनकी मां करीब दो से तीन घंटे एंबुलेंस में चक्कर काटती रही। अस्पताल की लापरवाही की वजह से उनकी मौत हुई है।
राजेश ने बताया कि उन्होंने मां का शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस उपलब्ध करवाए जाने की मांग की थी लेकिन, उन्हें एंबुलेंस मुहैया नहीं करवाई गई। अस्पताल प्रबंधन ने शव अपने वाहन से ले जाने के लिए बोल दिया था। उन्होंने डायल 112 पर सूचना दी लेकिन, गुरुवार शाम तक उनको शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल सकी। गुरुवार शाम को काफी गुजारिश करने के बाद अस्पताल ने एक वाहन के जरिए उनकी मांग के शव को हिंडन श्मशान घाट पर भिजवाया। जिसके बाद परिजनों ने महिला का अंतिम संस्कार किया।
दिल्ली की गोकुल पुरी में रहने वाली 54 वर्षीय महिला की तबियत पिछले कुछ दिनों से खराब चल रही थी। दिल्ली के अस्पतालों में जगह नहीं होने के कारण परिजनों ने गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया था। अस्पताल में उनकी कोरोना जांच करवाई गई जो पॉजिटिव आई। बुधवार शाम को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। महिला के बेटे राजेश ने बताया कि बुधवार को उनकी मां की तबियत ज्यादा खराब हो गई थी। वह दोपहर में घर से जरूरी सामान लेने गए थे। अस्पताल प्रबंधन की ओर से उनकी मां को संतोष अस्पताल कोविड एल-3 में रेफर किया गया लेकिन, कागजात नहीं होने के कारण वहां उनको भर्ती नहीं किया गया। उनके पास संतोष अस्पताल से फोन आया था कि आपकी मां को भर्ती करने से पहले दस्तावेज और रिपोर्ट दिखानी होगी। उनको इसकी जानकारी नहीं थी। वह घर से लौटे और संतोष अस्पताल पहुंचे। वहां से बताया गया कि दस्तावेज नहीं होने कारण मरीज को वापस भेज दिया गया है। यशोदा अस्पताल पहुंचे तो वहां उनकी मां को मृत घोषित कर दिया गया था।राजेश का आरोप है कि उनकी मां करीब दो से तीन घंटे एंबुलेंस में चक्कर काटती रही। अस्पताल की लापरवाही की वजह से उनकी मौत हुई है।
राजेश ने बताया कि उन्होंने मां का शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस उपलब्ध करवाए जाने की मांग की थी लेकिन, उन्हें एंबुलेंस मुहैया नहीं करवाई गई। अस्पताल प्रबंधन ने शव अपने वाहन से ले जाने के लिए बोल दिया था। उन्होंने डायल 112 पर सूचना दी लेकिन, गुरुवार शाम तक उनको शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल सकी। गुरुवार शाम को काफी गुजारिश करने के बाद अस्पताल ने एक वाहन के जरिए उनकी मांग के शव को हिंडन श्मशान घाट पर भिजवाया। जिसके बाद परिजनों ने महिला का अंतिम संस्कार किया।
-संक्रमित के परिवार का नहीं लिया गया सैंपल
परिजनों का आरोप है कि उनकी मां को कोरोना का संक्रमण अस्पताल में ही हुआ है। वहीं संक्रमण की पुष्टि होने के बावजूद उनको और परिवार के अन्य सदस्यों का अभी तक सैंपल नहीं लिया गया। उन्होंने सभी सदस्यों की जांच और क्वारंटाइन की मांग की।
परिजनों का आरोप है कि उनकी मां को कोरोना का संक्रमण अस्पताल में ही हुआ है। वहीं संक्रमण की पुष्टि होने के बावजूद उनको और परिवार के अन्य सदस्यों का अभी तक सैंपल नहीं लिया गया। उन्होंने सभी सदस्यों की जांच और क्वारंटाइन की मांग की।
कोई एंबुलेंस चालक आसानी से कोविड मरीज को ले जाने के लिए तैयार नहीं होता है। जैसे ही एंबुलेंस की व्यवस्था हुई तो शव को हिंडन घाट पर पहुंचवाया गया।
डॉ. दिनेश अरोड़ा, निदेशक यशोदा अस्पताल