Supreme Court Hears NEET-UG Case, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी मामले में आज फैसला सुना दिया। कोर्ट ने कहा कि नीट-यूजी 2024 का पेपर केवल दो सेंटरों हजारीबाग और पटना में लीक हुआ है और इसमें कोई व्यवस्थागत गड़बड़ियां नहीं मिली हैं। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की मॉनिटरिंग के लिए गठित एक्सपर्ट कमेटी से कहा है कि वह नीट परीक्षा के लिए एसओपी तैयार करे। साथ ही साइबर सिक्योरिटी में खामियों की पहचान भी करे। कोटे ने कमेटी से 30 सितंबर तक जवाब मांगा है।
40 याचिकाएं दायर
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि जो मुद्दे उठे हैं, उन्हें केंद्र को इसी साल ठीक करना चाहिए, ताकि ऐसा दोबारा न हो। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में नीट में गड़बड़ियों से जुड़ी 40 याचिकाएं दाखिल हुई थीं और कोर्ट ने 23 जुलाई को विवादों से घिरे नीट-यूपी 2024 को रद करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। तब अदालत ने कहा था कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई डेटा नहीं है, जो प्रश्नपत्र के व्यवस्थित रूप से लीक होने और अन्य गड़बड़ियों का संकेत दे।
23 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा
कोर्ट ने 23 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि नीट की परीक्षा दोबारा नहीं होगी, क्योंकि पूरी परीक्षा में गड़बड़ी के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। जांच में दोषी मिलने वाले को एडमिशन नहीं मिलेगा और उस पर कार्रवाई भी होगी।
सीबीआई का आरोप पत्र, ये नाम शामिल
नीट यूजी पेपर लीक मामले में सीबीआई ने जो पहला आरोप पत्र दाखिल किया है, उसमें उम्मीदवारों के साथ ही उनके माता-पिता, इंजीनियर और पेपरलीक के सरगनाओं के नाम शामिल हैं। सीबीआई ने यह भी कहा कि अभी जांच चल रही है और इस मामले में एक पूरक आरोप पत्र (सप्लीमेंट्री चार्जशीट) भी दायर किया जाएगा। पहली चार्जशीट (आरोपपत्र) में 13 आरोपियों के नाम हैं, जिनमें चार नीट उम्मीदवार, एक जूनियर इंजीनियर और पेपरलीक के दो सरगनाओं का नाम शामिल है।
देशभर में हो चुका है हंगामा
गौरतलब है कि मेडिकल में प्रवेश के लिए कराई जाने वाली नीट परीक्षा में हुए कथित पेपर लीक को लेकर बीते दिनों से देश में काफी हंगामा हुआ था और बड़ी संख्या में लोगों ने फिर से नीट की प्रवेश परीक्षा कराने की मांग की थी। विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर था और फिर से नीट परीक्षा कराने की मांग कर रहा था। मामला सुप्रीम कोर्ट गया और सुप्रीम कोर्ट ने माना कि परीक्षा के दौरान व्यवस्थागत खामियां नहीं हुईं और फिर से परीक्षा कराने से इनकार कर दिया।