इशिका ठाकुर,करनाल:
नाड़ी परीक्षण राष्ट्रीय कार्यशाला एवं संगोष्ठी के दूसरे दिन प्रथम सत्र का उद्घाटन विशिष्ठ अतिथि रजिस्ट्रेशन ऑफ एथिक्स बॉर्ड के अध्यक्ष प्रो. राकेश वैद्य के द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि नाड़ी परीक्षण एक विशिष्ठ विधा है। जिसके द्वारा रोगी के रोग की पहचान और उसका निदान किया जा सकता है।
40 साल का अनुभव
नाड़ी गुरु संजय छाजेड़ उनका नाड़ी जांच के विषय पर पिछले 40 साल का अनुभव है। निश्चित रूप से आयुर्वेद स्नातक और स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को इस कार्यशाला से लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की ऐसी कार्यशालाएं पूरे देशभर में आयोजित की जाएंगी। ताकि संजय छाजेड़ जैसे ओर भी विद्वान बनाए जा सकें। आयुर्वेद के विद्यार्थी अपनी पेथी में ही चिकित्सा करें। सबसे पहले खांसी, जुकाम जैसी छोटी बीमारियों का ही इलाज करें। इसके बाद ही बड़ी बीमारी पर काम किया जा सकता है। वहीं विद्यार्थियों को अपने अध्यापकों के प्रति श्रद्धा का भाव होना ही चाहिए और अध्यापकों को भी शिष्यों का विश्वास बनाए रखना होगा। तभी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ रोगी को भी लाभ मिलेगा।
इस अवसर पर ये रहे मौजूद
इस अवसर पर आयुष विवि के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार, डॉ मनोज विरमानी, डॉ. बलदेव सिंह बग्गा, डॉ. जितेंद्र गुप्ता, डॉ. राजीव मेहता, डॉ. नितिन अग्रवाल मौजूद रहे।
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