NDRI will work towards increasing the productivity of indigenous cow
इशिका ठाकुर, करनाल, 23मार्च :
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल जहां दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के साथ अच्छी नस्लों को संरक्षित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है तो वही देसी गायों की नस्ल सुधार करते हुए उनके दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी काम कर रहा है।
एनडीआरआई के निदेशक डॉ धीर सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि संस्थान बुल सीमन की क्लोनिंग पर अनुसंधान कर रहा है। यदि यह सफल रहता है तो अच्छी नस्ल के सांडों की कमी दूर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि 1951 में देश में दुग्ध उत्पादन 17 मिलियन टन था जो अब 1200 % वृद्धि के साथ 210 मिलियन टन हो गया है। उन्होंने कहा कि देसी नस्लों के पशु अधिक ताप सहनशील होते हैं इसलिए अधिक दूध वाले देशी पशुओं को क्षेत्रवार पहचान कर उनके संरक्षण पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एनडीआरआई की पशु क्लोनिंग तकनीक अब सभी 19 संस्थानों व पूरे देश में साझा की जा रही है।
डॉ धीर सिंह ने कहा कि संस्थान दूध का क्लीनिकल टेस्ट कर रहा है जिससे उसके चिकित्सकीय गुणों को वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित किया जा सके। जैसे हल्दी वाला दूध लोग सदियों से पीते आ रहे हैं लेकिन यह प्रमाणित नहीं है कि दूध के साथ मिलकर हल्दी का कौन सा तत्व क्या लाभ या हानि पहुंचाता है इस पर शोध चल रहा है। उन्होंने गोमूत्र और गाय के घी का क्लिनिकल टेस्ट करने की बात भी कही। साथ ही दूध में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर भी अनुसंधान किया जा रहा है। जोकि इंडियन डेयरी के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
एनडीआरआई के सामने दुग्ध उत्पादों को कैसे बढ़ाया जाए, इस तरह की चुनौतियां भी है। जिसको लेकर एक मैजर प्लान तैयार किया गया है। जो कि मल्टीप्लीकेसिंग से संबंधित है। मल्टीप्लीकेसिंग इसलिए किए जा रहे है ताकि प्रोडक्टिविटी को बढ़ाया जा सके। क्लोनिंग टेक्नोलोजी में एनडीआरआई को काफी अच्छी पहचान मिली है। उसी को देखते हुए पूरे भारत में भारत सरकार के सहयोग से 30 सेंटर स्थापित किए जाऐंगे। मल्टीप्लीकेसिंग सिर्फ उन्हीं पशुओं को लेकर की जाएगी, जिनका दुग्ध उत्पादन बहुत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि एनडीआरआई दुग्ध से बने प्रोडक्ट भी तैयार करता है। अब भविष्य में एनडीआरआई एक कार्यक्रम चलाने वाला है। जिनमें इन सभी प्रोडक्ट का क्लीनिकल टेस्ट करवाएगा।
उन्होंने बताया कि मल्टी डिस्परीनरी अप्रोच के लिए 19 संस्थानों को एनडीआरआई से जोडऩा चाहते है। एनिमल साईंस में दो डीन यूनिवर्सिटी है। एनडीआरआई, जो प्रोडक्शन और प्रोसेंसिग में काम करती है और एक है आईवीआरएफ, जो एनिमल हेल्प करता है, लेकिन यहां पर भी अलग-अलग संस्थान है, जैसे जैनेटिक, बायो व अन्य। ऐसा एक नया कार्यक्रम चलाया जाना है। जिससे विद्यार्थियों को नया सीखने को मिले।