NDRI Karnal : एनडीआरआई के वैज्ञानिकों ने तैयार की विंड ब्लास्टर मशीन

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वाइंड ब्लास्टर मशीन
वाइंड ब्लास्टर मशीन

Aaj Samaj (आज समाज), Scientists of Karnal NDRI, करनाल,22 जून, इशिका ठाकुर: 

करनाल एनडीआरआई के वैज्ञानिकों ने तेज हवा के वेग में पशुओं के व्यवहार पर पड़ने वाले असर को लेकर नया प्रयोग किया है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने दुधारू पशुओं के व्यवहार और उत्पादकता पर उच्च हवा के वेग में पड़ने वाले असर की जांच के लिए विंड ब्लास्टर मशीन तैयार की है।

करनाल राष्ट्रीय डेर अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक लगातार दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए तथा उनके स्वास्थ्य को लेकर लगातार नए-नए प्रयोग करते रहे हैं और अब एनडीआरआई के वैज्ञानिकों ने विंड ब्लास्टर नाम से एक मशीन तैयार की है इस मशीन से तेज हवा का पशुओं के व्यवहार पर कितना असर होता है उसकी जांच की जा सकती है।

मशीन को लेकर संस्थान के डायरेक्टर धीर सिंह ने बताया कि पिछले लगातार 12 वर्षों से निकरा प्रोजेक्ट दुधारू पशुओं उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहा है और अब संस्थान के वैज्ञानिकों के समक्ष बदल रहे मौसम और तेज हवाओं के चलने से दुधारू पशुओं के व्यवहार तथा उनकी उत्पादन क्षमता कम होने का विषय आया है। इस की जांच के लिए संस्थान के वैज्ञानिकों ने कम लागत तथा आसानी से पशुपालकों की जेब पर पड़ने वाले खर्च के अनुरूप नाइक्रो प्रोजेक्ट के तहत विंड ब्लास्टर मशीन तैयार की है।

इसकी कीमत लगभग एक लाख 5 हजार रुपए के करीब होगी इस मशीन को छोटा किसान भी आसानी से खरीद सकेगा। डॉ धीर सिंह ने बताया कि इस मशीन का अधिकतर प्रयोग उन क्षेत्रों में अधिक कारगर होगा जहां अक्सर तेज हवाएं चलती हैं। विंड ब्लास्टर मशीन से 0 से लेकर 85 तक हवा के वेग की जांच की जा सकती है।

इस पर जानकारी देते हुए संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ आशुतोष ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर पिछले 12 साल से काम चल रहा है लेकिन बदलते मौसम से पशुओं के व्यवहार और उनके उत्पादन क्षमता पर किस प्रकार प्रभाव पड़ता है उसकी जांच के लिए पिछले 1 साल से इस पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अक्सर किसान पशुओं के साइड में मौसम के अनुरूप जब कूलर तथा पंखे आदि चलाते हैं तो उस वक्त उन्हें उनकी गति के बारे में पता नहीं होता है तथा अक्सर देखा गया है कि पशुपालक सैड में अधिक गति पर कूलर अथवा पंखे का प्रयोग करते हैं।

प्रधान वैज्ञानिक डॉ आशुतोष
प्रधान वैज्ञानिक डॉ आशुतोष

उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान यह पाया गया है कि किसान अक्सर पशु शेड में जहां हवा की गति के लिए 300 वाट की क्षमता का कूलर अथवा पंखा लगाना होता है तो वही पशुपालक एक हजार वाटिका कूलर अथवा पंखा लगा लेते हैं, जिससे पशुओं को भी नुकसान होता है और इससे बिजली की खपत भी बढ़ जाती है जिसके कारण पशुओं के व्यवहार में बदलाव आ जाता है और उनकी उत्पादन क्षमता पर भी काफी असर पड़ता है।

इस मशीन से पशुपालकों को पशुओं की क्षमता के अनुसार हवा की गति निर्धारण करने में सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि सर्दी तथा नमी से पशुओं पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर प्रयोग किए जा चुके हैं लेकिन क्योंकि इस बार लू अधिक नहीं चली है जिसके कारण तेज गर्म हवा का प्रयोग नहीं किया जा सका है। इस मशीन से अब अनुमान लगाया जा सकेगा कि कितने क्यूबिक फिट हाउसिंग में इतनी तेज हवा पशुओं के लिए फायदेमंद होगी। मनुष्य के लिए तो इसका आंकलन आसानी से किया जा सकता है लेकिन पशुओं में यह संभव नहीं हो सकता है।

डॉ आशुतोष ने बताया कि पशुपालन हवा की रफ्तार के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए यदि सामान्य हवा की रफ्तार करनी है तो वह 25 से 50 तक पशुओं के लिए सही होती है लेकिन यदि बारिश अथवा बारिश का मिलाजुला असर है तो हवा की स्पीड 80 से 85 तक निर्धारित की जा सकती है और यदि पशु को बारिश का एहसास देना है तो उसके लिए फोगर का प्रयोग भी किया जा सकता है और इसका सीधा असर पशु पर पड़ेगा तथा उसके व्यवहार और उत्पादन क्षमता पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।

इसी के मद्देनजर यह वाइंड ब्लास्टर मशीन तैयार की जा रही है । इस मशीन से आने वाले समय में आसानी से हवा की स्पीड को निर्धारित करने में आसानी होगी। आने वाले समय में प्रत्येक मौसम प्रयोग करने के उपरांत मशीन को पशुपालकों के लिए दिया जाएगा।

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