- घर का पानी घर में, खेत का पानी खेत में करें संचित: मंगतुराम सरसवा
नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
16 हरियाणा बटालियन द्वारा राजकीय महाविद्यानय कृष्ण नगर में आयोजित एनसीसी के सात दिवसीय वार्षिक प्रशिक्षण कैंप में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के जिला सलाहकार मंगतुराम सरसवा ने वाटर हार्वेटिंग व जल संरक्षण विषय पर एनसीसी कैडेट्स को प्रशिक्षण प्रदान किया।
घर का पानी घर में, खेत का पानी खेत में करें संचित
प्रशिक्षण शिविर में बच्चों को संबोधित करते हुए जिला सलाहकार मंगतुराम सरसवा ने बताया कि जल संकट एक वैश्विक समस्या है जिसके निदान के लिए हमें अभी से प्रयास करने की जरूरत है। इसके लिए हमें जल संचयन, जल भंडारण, जल संरक्षण, भूमिगत जल रिचार्ज आदि को विशेष तौर पर अपनाने की आवश्यकता है जो सिर्फ एक व्यक्ति से नहीं बल्कि सामुहिक भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमें वर्षा के जल को संचित करने की आवश्यकता है। इसके लिए घर का पानी घर में व खेत का पानी खेत में संचित करना जरूरी है। वर्षा के बहते हुए जल को हमें इक्क्ठा करना होगा। इसके लिए मकान बनाते हुए हमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग ढांचा बनायें व उस पानी को पाइप के माध्यम से स्टोरेज टैंक में इक्कठा करें ताकि जरूरत होने पर उसे हम पीने के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं।
साथ ही उस पानी से हम पशुओं को, साफ-सफाई में, भूमिगत रिचार्जिंग में, बाग बगीचों आदि में प्रयोग कर सकते हैं। वहीं गांव में बहते वर्षा जल को संग्रहित करने लिए तालाब या जोहड़ का निर्माण कर उस पानी को भविष्य में प्रयोग के लिए इक्कठा किया जा सकता है। साथ ही उस पानी से भूमिगत जल भी रिचार्ज होता है। फसलों की सिंचाई के लिए भी उस पानी को प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि वर्षा जल के संचयन से जहां पानी की कमी की पूर्ति होती है वहीं बाढ को रोकने में भी सहायक है। इसलिए हमें वर्षा जल को संचित कर भविष्य को सुरक्षित करना जरूरी है।
इसके साथ-साथ जल संरक्षण भी जरूरी है। पेयजल के नलों पर टूंटी लगी हो लीकेज को तुरंत ठीक करवाने की आवश्यकता है। पेयजल को गंदा होने से भी बचाना जरूरी है। साथ ही पेयजल की गुणवता को परखने के लिए समय-समय पर जांच भी करते रहना जरूरी है। ग्राउंड वाटर को जरूरत के अनुसार इस्तेमाल करें, व्यर्थ में पानी ना बहायें। जल संरक्षण को अपने व्यवहार में शामिल करें ताकि दिनचर्या में किये जाने वाले कार्यों में हम जल का संरक्षण कर सकें। फर्श धोने, कार धोने, पशुओं को नहलाने में नल का प्रयोग करने की बजाय बाल्टी का प्रयोग किया जाये तो 100 लीटर प्रतिदिन पानी बचाया जा सकता है। वहीं टपकते नल को निरंतर चैक करते रहने व नल को ठीक करने से 3 लीटर पानी प्रतिदिन बचाया जा सकता है। छोटे-छोटे तरीकों से बहुत सारा पानी बचाया जा सकता है जिसे हम लंबे समय तक हम आमजन की प्यास बुझा सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रत्येक एनसीसी सदस्य ने वाटर हार्वेंस्टिंग व जल संरक्षण के तरीकों को अपनाने की शपथ भी ली।
इस मौके पर ये रहे उपस्थित
इस मौके पर कर्नल केजे सिंह, सीओ कर्नल हरप्रीत सिंह भींडर, सूबेदार मेजर जगमाल सिंह, बीएचएम मुकेश कुमार, सीएचएम प्रमोद सिंह, सीएचएम राजेन्द्र सिंह, बीआसी इंद्रजीत, अंकुर सहित एनसीसी सदस्य उपस्थित रहे।
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