नौ देवियों का स्वरूप है नवरात्र महापर्व Navratri Is Great Festival

0
612
Navratri Is Great Festival

आज समाज डिजिटल, अम्बाला
Navratri Is Great Festival : नवरात्र पर्व नौ दिनों तक चलता है। पंचांग के अनुसार नवरात्र की महापंचमी तथा महाषष्ठी का त्यौहार एक ही दिन मनाया जाए। नवदुर्गा के पूजन के माध्यम से नवग्रह शांति भी हो जाती है। देवी के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा के माध्यम से क्रमश: नौ ग्रहों सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु की शांति होती है।

Navratri Is Great Festival

नवरात्र पर जगत माता देवी दुर्गा से प्रार्थना करनी चाहिए

– सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया:., सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दु:ख भाग्यवेत्।

नवरात्र पर्व के दिन स्नान आदि के बाद घर में धरती माता, गुरुदेव व इष्ट देव को नमन करने के बाद गणेश जी का आहवान करना चाहिए,  इसके बाद कलश की स्थापना करना चाहिए। इसके बाद कलश में आम के पत्ते व पानी डालें। कलश पर पानी वाले नारियल को लाल वस्त्र या फिर लाल मौली में बांध कर रखें। उसमें एक बादाम, दो सुपारी एक सिक्का जरूर डालें। इसके बाद मां सरस्वती, मां लक्ष्मी व मां दुर्गा का आह्वान करें। जोत व धूप बत्ती जला कर देवी मां के सभी रूपों की पूजा करें। नवरात्र के खत्म होने पर कलश के जल का घर में छींटा मारें और कन्या पूजन के बाद प्रसाद वितरण करें।

Navratri Is Great Festival

Read Also : मां मंदिर में धागा बांधने से होती है मनोकामना पूर्ण Thread In Maa Temple

पहले दिन शैलपुत्री :  नवरात्र पर्व के प्रथम दिन को शैलपुत्री पूजन के साथ नवरात्र का शुभारंभ होता है। नामक देवी की आराधना की जाती है। पुराणों में यह कथा प्रसिद्ध है कि हिमालय के तप से प्रसन्न होकर आद्या शक्ति उनके यहां पुत्री के रूप में अवतरित हुई।

Read Also : घर में होगा सुख-समृद्धि का वास Happiness And Prosperity In House

दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी : भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए पार्वती की कठिन तपस्या से तीनों लोक उनके समक्ष नतमस्तक हो गए। देवी का यह रूप तपस्या के तेज से ज्योतिर्मय है. इनके दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला तथा बाएं में कमंडल है।

तीसरे दिन चंद्रघंटा : यह देवी का उग्र रूप है। इनके घंटे की ध्वनि सुनकर विनाशकारी शक्तियां तत्काल पलायन कर जाती हैं। व्याघ्र पर विराजमान और अनेक अस्त्रों से सुसज्जित मां चंद्रघंटा भक्त की रक्षा हेतु सदैव तत्पर रहती हैं।

चौथे दिन कूष्मांडा : नवरात्र पर्व के चौथे दिन भगवती के इस अति विशिष्ट स्वरूप की आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इनकी हंसी से ही ब्रह्माण्ड उत्पन्न हुआ था. अष्टभुजी माता कूष्मांडा के हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, कमल, अमृत-कलश, चक्र तथा गदा है। इनके आठवें हाथ में मनोवांछित फल देने वाली जपमाला है।

पांचवे दिन स्कंदमाता : नवरात्र पर्व की पंचमी तिथि को भगवती के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवी के एक पुत्र कुमार कार्तिकेय (स्कंद) हैं, जिन्हें देवासुर-संग्राम में देवताओं का सेनापति बनाया गया था। इस रूप में देवी अपने पुत्र स्कंद को गोद में लिए बैठी होती हैं। स्कंदमाता अपने भक्तों को शौर्य प्रदान करती हैं।

Navratri Is Great Festival

छठे दिन कात्यायनी : कात्यायन ऋषि की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवती उनके यहां पुत्री के रूप में प्रकट हुई और कात्यायनी कहलाई. कात्यायनी का अवतरण महिषासुर वध के लिए हुआ था। यह देवी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने देवी कात्यायनी की आराधना की थी जिन लडकियों की शादी न हो रही हो या उसमें बाधा आ रही हो, वे कात्यायनी माता की उपासना करें।

सातवें दिन कालरात्रि : नवरात्र पर्व के सातवें दिन सप्तमी को कालरात्रि की आराधना का विधान है। यह भगवती का विकराल रूप है गर्दभ (गदहे) पर आरूढ़ यह देवी अपने हाथों में लोहे का कांटा तथा खड्ग (कटार) भी लिए हुए हैं। इनके भयानक स्वरूप को देखकर विध्वंसक शक्तियां पलायन कर जाती हैं।

आठवें दिन महागौरी :  नवरात्र पर्व की अष्टमी को महागौरी की आराधना का विधान है. यह भगवती का सौम्य रूप है। यह चतुर्भुजी माता वृषभ पर विराजमान हैं। इनके दो हाथों में त्रिशूल और डमरू है। अन्य दो हाथों द्वारा वर और अभय दान प्रदान कर रही हैं। भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए भवानी ने अति कठोर तपस्या की, तब उनका रंग काला पड गया था। तब शिव जी ने गंगाजल द्वारा इनका अभिषेक किया तो यह गौरवर्ण की हो गई इसीलिए इन्हें गौरी कहा जाता है।

Navratri Is Great Festival

नौवे दिन : सिद्धिदात्री : नवरात्र पर्व के अंतिम दिन नवमी को भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। इनकी अनुकंपा से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं। अन्य देवी-देवता भी मनोवांछित सिद्धियों की प्राप्ति की कामना से इनकी आराधना करते हैं। मां सिद्धिदात्री चतुर्भुजी हैं। चारों भुजाओं में वे शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किए हुए हैं. कुछ धर्मग्रंथों में इनका वाहन सिंह बताया गया है, परंतु माता लोक प्रचलित रूप में कमल पर बैठी दिखाई देती हैं सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है।

Read Also : पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए फल्गू तीर्थ Falgu Tirtha For Peace Of Souls Of Ancestors

Read Also : हरिद्वार पर माता मनसा देवी के दर्शन न किए तो यात्रा अधूरी If You Dont see Mata Mansa Devi at Haridwar 

Connect With Us : Twitter Facebook