नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए करें पूजा, जानें मंत्र और कथा Navratri 2022 5th Day

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Navratri 2022 5th Day
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Navratri 2022 5th Day 

आज समाज डिजिटल, अंबाला:
Navratri 2022 5th Day : हिंदू धर्म में आदिशक्ति मां दुर्गा के नवरात्रि भक्तों के लिए खास होता है। नवरात्रों के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 2 मार्च 2022 से शुरू हो गए है और 11 अप्रैल को समाप्त होंगे। हिंदूधर्म के अनुसार नवरात्रि के दिनों को बहुत शुभ माना जाता है।

6 अप्रैल आज चैत्र नवरात्रि भक्ति का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। मां अपने भक्तों पर सदैव आपने आशीर्वाद बनाए रखती है हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण मात्र से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं।

मां स्कंदमाता की पूजन विधि

Navratri 2022 5th Day
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प्रात: काल उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर आप पूजा के स्थान पर स्कंदमाता की मूर्ति स्थापित कर पूजन प्रारम्भ करें। सबसे पहले आप सर्वप्रथम मां की मूर्ति को गंगाजल से शुद्ध कर लें और मां की मूर्ति पर सम्मुख पुष्प अर्पित करें। हो सके तो आप मिष्ठान और 5 प्रकार के फलों का भोग लगाएं। या फिर आप सिर्फ मिठाई का भी भोग लगा सकते है। साथ ही 6 इलायची भी मां को अर्पित करें। फिर कलश में पानी भरकर उसमें कुछ सिक्के डाल दें और इसके बाद पूजा-अर्चना करें। मां को रोली-कुमकुम का तिलक लगाएं और पूजा के बाद मां की आरती उतारें और मां के मंत्रो का जाप करें।

मां स्कंदमाता की कथा

Navratri 2022 5th Day
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हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार राक्षस तारकासुर ने भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। उसकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिए। फिर तारकासुर ने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा। इस पर ब्रह्मा जी ने तारकासुर को समझाया कि जिसने जन्म लिया है उसको मरना ही पड़ेगा। इस पर तारकासुर ने शिवजी के पुत्र के हाथों मृत्यु का वरदान मांगा क्योंकि वह सोचता था कि शिवजी का कभी विवाह नहीं होगा और विवाह नहीं होगा तो पुत्र भी नहीं होगा। और ऐसे में उसकी मृत्यु भी नहीं होगी।

वरदान मिलने पर तारकासुर जनता पर अत्याचार करने लगा और लोगों ने शिवजी के पास जाकर तारकासुर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने लगे। फिर शिवजी ने पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय पैदा हुए। कार्तिकेय ने बड़ा होने पर राक्षस तारकासुर का वध किया। भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है।

स्कंदमाता का मंत्र

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या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

Navratri 2022 5th Day

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