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Navratri 2022: नवरात्र के पावन उत्सव में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। आज चैत्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि और शुक्रवार का दिन है। सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। नवरात्र के दौरान पड़ने वाली सप्तमी को महासप्तमी के नाम से जाना जाता है । ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा तभी संपन्न मानी जाती है जब तक की मां की व्रत कथा को पढ़ा या सुना नहीं जाए। तो आइए जानते हैं मां के इस रूप का वर्णन और मां से जुड़ी कथा।
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मां कालरात्रि की कथा और रूप (Maa Kalratri)
जब माता पार्वती ने शुंभ-निशुंभ का वध करने के लिए अपने स्वर्णिम वर्ण को त्याग दिया था, तब उन्हें कालरात्रि के नाम से जाना गया। मां कालरात्रि का वाहन गधा है और इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से ऊपर का दाहिना हाथ वरद मुद्रा में और नीचे का हाथ अभयमुद्रा में रहता है। जबकि बायीं ओर के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और निचले हाथ में खड़ग है।
मां कालरात्रि की कथा: (Maa Kalratri)
रक्तबीज एक ऐसा दानव था जिसे यह वरदान था की जब जब उसके लहू की बूंद इस धरती पर गिरेगी तब तब हर बूंद से एक नया रक्तबीज जन्म ले लेगा जो बल, शरीर और रूप से मुख्य रक्तबीज के समान ही होगा। ऐसे में मां कालरात्रि ने रक्तबीज की गर्दन काटकर उसे खप्पर में रख लिया ताकि रक्त की बूंद नीचे ना गिरे और उसका सारा खून पी गयी, बिना एक बूंद नीचे गिरे। जो भी दानव रक्त से उनकी जिह्वा पर उत्पन्न होते गए उनको खाती गई। इस तरह मां काली ने रक्तबीज का अंत किया।
मां कालरात्रि को भोग (Maa Kalratri)
सप्तमी नवरात्रि पर मां को खुश करने के लिए गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं।
मां कालरात्रि का मंत्र (Mantra of Maa Kalratri)
- जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
- जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की आरती (Aarti of Maa Kalratri)
- कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
- काल के मुह से बचाने वाली॥
- दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
- महाचंडी तेरा अवतार॥
- पृथ्वी और आकाश पे सारा।
- महाकाली है तेरा पसारा॥
- खडग खप्पर रखने वाली।
- दुष्टों का लहू चखने वाली॥
- कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
- सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
- सभी देवता सब नर-नारी।
- गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
- रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
- कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
- ना कोई चिंता रहे बीमारी।
- ना कोई गम ना संकट भारी॥
- उस पर कभी कष्ट ना आवें।
- महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
- तू भी भक्त प्रेम से कह।
- कालरात्रि माँ तेरी जय॥
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