नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धूके बीच रिश्ते बहुत सामान्य नहीं है। इन दोनों के बीच की तल्खी लोकसभा चुनाव 2019 के बीच भी सामने आई थी। पिछले दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रीमंडल में बदलाव किए जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू का विभाग भी बदला गया था। हालांकि नवजोत सिंह को यह बात नागवार गुजरी और लगभग एक महीना बीतने के बाद भी अपना नया मंत्री पद नहीं संभाला। अब उन्होंने 10 जून को राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेजा था और मुख्यमंत्री आवास पर भी अपने इस्तीफे की कापी भेज दी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सोमवार को कहा कि अगर सिद्धू काम नहीं करन चाहते हैं तो मैं कुछ नहीं कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि मुझे उनसे कोई दिक्कत नहीं है। यहां तक कि मैंने कैबिनेट फेरबदल के बाद उन्हें एक महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो दिया था। मंत्रिमंडल छोड़ना उनका निर्णय था। मुझे बताया गया है कि उन्होंने पत्र भेजा है। पहले पढ़ूंगा और फिर देखूंगा कि क्या किया जा सकता है। नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार सुबह मंत्रिपद से अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया था। पंजाब के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि मैंने कभी भी सिद्धू की पत्नी का विरोध नहीं किया। मैं ही था, जिसने राहुलजी से उन्हें बठिंडा से चुनाव लड़ाने को कहा था। लेकिन सिद्धू ने कहा कि वह बठिंडा से नहीं, बल्कि चंडीगढ़ से चुनाव लड़ेंगी।
बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार सुबह बताया था कि उन्होंने आज पंजाब के मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेज दिया। यह इस्तीफा उनके आधिकारिक आवास पर भेजा गया है। वहीं, इससे पहले पंजाब के मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद अहम मंत्रालय छीने जाने के बाद से खफा कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संबोधित अपने इस्तीफे को रविवार को ट्विटर पर सार्वजनिक किया था। इस इस्तीफे पर 10 जून की तारीख लिखी था। यह इस्तीफा उन्होंने उनके मंत्रालय में बदलाव किए जाने के मात्र चार दिन बाद भेजा था। सिद्धू ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए अपने पत्र में लिखा था कि मैं पंजाब कैबिनेट से मंत्री के तौर पर इस्तीफा देता हूं। मंत्रालय में बदलाव के बाद सिद्धू ने नयी दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इस्तीफे पर इसके एक दिन बाद की तिथि लिखी है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने छह जून को सिद्धू से स्थानीय निकाय और पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामलों के विभाग वापस ले लिए थे और उन्हें ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग का प्रभार सौंपा था। कैबिनेट में फेरबदल के दो दिन बाद आठ जून को सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा गठित मंत्रणा समूहों से भी सिद्धू को बाहर रखा गया था।
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