प्रवीण वालिया, करनाल :
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश एवं एन.जी.टी. मानिटरिंग कमेटी हरियाणा के चेयरमैन प्रीतम पाल ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखना है, तो प्रकृति के उपहार हवा, पानी और भूमि को दूषित होने से बचाना होगा। पर्यावरण प्रदूषण के लिए कोई ओर नहीं स्वयं मनुष्य ही जिम्मेदार है और अब समय आ गया है कि हर व्यक्ति संवेदनशील बनकर पर्यावरण की रक्षा करे, इसके लिए इच्छाशक्ति को मजबूत करना होगा। प्रीतम पाल शुक्रवार को लघु सचिवालय स्थित सभागार में जिला पर्यावरण योजना की तैयारियों को देखने जिलाधिकारियों के साथ रूबरू थे। बता दें कि उपायुक्त करनाल निशांत कुमार यादव की अध्यक्षता में उक्त योजना तैयार की गई है। आज की मीटिंग में चेयरमैन की ओर से दी गई हिदायतों को शामिल कर आगामी 20 अगस्त तक इसे फाईनल करना है। मीटिंग में उक्त कमेटी के तकनीकी विशेषज्ञ डा. बाबू राम के अतिरिक्त हरियाणा की पूर्व मुख्य सचिव और अब एन.जी.टी. मानिटरिंग कमेटी की सदस्य उर्वशी गुलाटी ने आनलाईन जुड़कर हिस्सा लिया। इनके अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक गंगा राम पुनिया और नगर निगम आयुक्त डा. मनोज कुमार भी मौजूद रहे। चेयरमैन प्रीतम पाल ने कहा कि स्वच्छता मनुष्य का परमो:धर्म होना चाहिए। हमारे धर्म ग्रंथों से भी यही सीख मिलती है। उन्होंने महान संत श्री गुरू नानक देव जी की वाणी और गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश का जिक्र कर कहा कि वेद शास्त्रो व गुरूबानी में पानी को पिता, वायु को गुरू और धरती को माता कहा गया है। इसके बावजूद यदि मनुष्य इन्हें दूषित करेगा, तो नि:संदेह उसे पाप लगेगा। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में देश में हुए अभूतपूर्व विकास से पर्यावरण को भी नुकसान हुआ है, जिसका मुख्य कारण मनुष्य की लापरवाही है।
वास्तव में जहां हम रहते हैं, वह स्थान साफ-सुथरा हो, जो पीते हैं, वह स्वच्छ हो और जिससे सांस लेते हैं, वह शुद्ध हो। आधुनिकता के चलते आदमी इन सभी चीजों को गंदा करने पर लगा है और इसी से महामारी जैसी बीमारियां आ गई हैं। जब तक व्यक्ति संवेदनशील नहीं होगा, उसे ऐसी आपदाओं से लडने में कामयाबी हासिल नहीं होगी। हर व्यक्ति को स्वयं के साथ-साथ नैतिक आधार पर अपने परिवेश को भी साफ-सुथरा रखना चाहिए, यह न सोचें कि यह सरकार या प्रशासन का काम है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरण सरंक्षण के लिए जागरूकता के साथ-साथ समाज की सहभागिता भी जरूरी है। स्कूल, कालेज के विद्यार्थी, गैर-सरकारी संगठन आदि सभी मिलकर पर्यावरण की रक्षा करें। अधिक से अधिक पौधे लगाएं, कूड़ा-कर्कट व हानिकारक पदार्थों का सही निपटान हो। ऐसा करके व्यक्ति पुण्य कमा सकता है। विकास की रफ्तार बनाए रखना जरूरी है, लेकिन उसके बदले पर्यावरण को नुक्सान नहीं होना चाहिए। उन्होंने मीटिंग में मौजूद अधिकारियों से कहा कि प्रत्येक अपनी इच्छा शक्ति से पर्यावरण के लिए कुछ न कुछ योगदान दें, इससे एक आदर्श स्थापित होगा। मीटिंग में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के संदर्भ में करनाल के प्रयासों की खूब सराहना हुई। चेयरमैन प्रीतम पाल और उर्वशी गुलाटी ने कहा कि करनाल पिछले कई सालों से स्वच्छता के मामले में जो कुछ कर रहा है, वह काबिले तारीफ है। यहां कि रेजिडेंट वैल्फेयर एसोसिएशन, निकाय, एन.जी.ओ. और जिला प्रशासन ने सामूहिक प्रयास कर, जिस तरह से इस शहर ने न केवल प्रदेश बल्कि उत्तर भारत में सबसे साफ-सुथरा कर दिखाया है, वह दूसरों के लिए भी अनुकरणीय है। इस पर उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि गत स्वच्छ सर्वेक्षण में करनाल राष्ट्रीय स्तर पर 17वें स्थान पर और प्रदेश में शीर्ष पर रहा था।