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Nature has given invaluable Indian heritage Yoga, adopt yoga, drive away disease: प्रकृति प्रदत्त अमूल्य भारतीय धरोहर है योग,योग अपनाएं,रोग भगाएं

कोरोना महामारी की छाया इस बार योग दिवस पर भी देखने को मिलेगी। कोरोना के कारण योग दिवस पर इस बार कोई बड़ा आयोजन नहीं होगा और इसकी थीम रखी गई है ह्यघर पर योग, परिवार के साथ योगह्ण। आयुष मंत्रालय के मुताबिक इस वर्ष योग दिवस पर सामूहिक रूप से किसी स्थान पर योग करने के बजाय लोग अपने घरों में एक तय समय पर योग करेंगे।
आयुष मंत्रालय द्वारा योग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ह्यमेरा जीवन, मेरा योगह्ण नामक वीडियो ब्लॉगिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसके लिए 15 जून तक लोगों से वीडियो मांगे गए थे। प्रतियोगिता के तहत लोगों को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर योग क्रिया के साथ-साथ उससे हुए फायदे का अनुभव साझा करते हुए किसी भी भाषा में तीन मिनट का वीडियो अपलोड करने को कहा गया था। महिला और पुरुषों की अलग-अलग श्रेणियों में व्यस्क, अव्यस्क तथा योग प्रशिक्षक, इन छह श्रेणियों में बांटी गई प्रतियोगिता में प्रत्येक श्रेणी के पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के विजेताओं को क्रमश: एक लाख, 50 हजार और 25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाना है जबकि वैश्विक स्तर के विजेताओं को 2500, 1500 और 1000 डॉलर का पुरस्कार दिया जाएगा। वैसे तो योग को विश्व स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सतत प्रयासों के चलते वर्ष 2015 में अपनाया गया था किन्तु भारत में योग का इतिहास सदियों पुराना है। माना जाता रहा है कि पृथ्वी पर सभ्यता की शुरूआत से ही योग किया जा रहा है लेकिन साक्ष्यों की बात करें तो योग करीब पांच हजार वर्ष पुरानी भारतीय परम्परा है। 2700 ईसा पूर्व वैदिक काल में और उसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी के ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं। महर्षि पतंजलि ने अभ्यास तथा वैराग्य द्वारा मन की वृत्तियों पर नियंत्रण करने को ही योग बताया था। हिन्दू धर्म शास्त्रों में भी योग का व्यापक उल्लेख मिलता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णतया मिलन ही अद्वेतानुभूति योग कहलाता है। इसी प्रकार भगवद्गीता बोध में वर्णित है कि दु:ख-सुख, पाप-पुण्य, शत्रु-मित्र, शीत-उष्ण आदि द्वंदों से अतीतय मुक्त होकर सर्वत्र समभाव से व्यवहार करना ही योग है। भारत में योग को निरोगी रहने की करीब पांच हजार वर्ष पुरानी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो भारतीयों की जीवनचर्या का अहम हिस्सा है। सही मायनों में योग भारत के पास प्रकृति प्रदत्त ऐसी अमूल्य धरोहर है, जिसका भारत सदियों से शारीरिक और मानसिक लाभ उठाता रहा है लेकिन कालांतर में इस दुर्लभ धरोहर की अनदेखी का ही नतीजा है कि लोग तरह-तरह की बीमारियों के मकड़जाल में जकड़ते गए। वैसे तो स्वामी विवेकानंद ने भी अपने शिकागो सम्मेलन के भाषण में सम्पूर्ण विश्व को योग का संदेश दिया था लेकिन कुछ वर्षों पूर्व योग गुरू स्वामी रामदेव द्वारा योग विद्या को घर-घर तक पहुंचाने के बाद ही इसका व्यापक प्रचार-प्रसार संभव हो सका और आमजन योग की ओर आकर्षित होते गए। देखते ही देखते सम्पूर्ण विश्व के कई देशों में लोगों ने इसे अपनाना शुरू किया। आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में योग का महत्व कई गुना बढ़ गया है। योग न केवल कई गंभीर बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित होता है बल्कि मानसिक तनाव को खत्म कर आत्मिक शांति भी प्रदान करता है। यही वजह है कि जिस प्रकार किसी बीमारी के इलाज के लिए आज दवा की जरूरत मानी जाती है, उसी प्रकार स्वस्थ जीवन के लिए दिनचर्या में अब योग आवश्यक माना जाता है।
दरअसल यह एक ऐसी साधना, ऐसी दवा है, जो बिना किसी लागत, बगैर किसी खर्च के शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों का इलाज करने में सक्षम है। यह न केवल मानसिक तनाव से छुटकारा दिलाता है बल्कि मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ाकर दिनभर शरीर को ऊजार्वान बनाए रखता है, जिससे योग करने वाले व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यही कारण है कि अब युवाओं में भी योग की लोकप्रियता बढ़ रही है तथा ऐसे युवा एरोबिक्स व जिम छोड़कर योग अपनाने लगे हैं। माना गया है कि योग तथा प्राणायाम से जीवनभर दवाओं से भी ठीक न होने मधुमेह रोग का भी इलाज संभव है। यह वजन घटाने में भी सहायक माना गया है। योग की इन्हीं महत्ताओं को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा से आव्हान किया था कि दुनियाभर में प्रतिवर्ष योग दिवस मनाया जाए ताकि प्रकृति प्रदत्त भारत की इस अमूल्य पद्धति का लाभ पूरी दुनिया उठा सके और विश्वभर के लोग स्वस्थ जीवन जी सकें। उन्होंने अपने आव्हान में कहा था कि भारत के लिए प्रकृति का सम्मान अध्यात्म का अनिवार्य हिस्सा है। यह भारत के बेहद गर्व भरी उपलब्धि रही कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री के इस प्रस्ताव के महज तीन माह के भीतर 177 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के प्रस्ताव पर स्वीकृति की मोहर लगा दी, जिसके उपरांत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 दिसम्बर 2014 को घोषणा कर दी गई कि प्रतिवर्ष 21 जून का दिन दुनियाभर में ह्यअंतर्राष्ट्रीय योग दिवसह्ण के रूप में मनाया जाएगा। 21 जून 2015 को सम्पूर्ण विश्व में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों के चलते दुनिया भर में लोगों के गिरते स्वास्थ्य की समस्या से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को अंगीकृत करने हेतु विश्व के तमाम देशों के नेताओं से आव्हान किया था और इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी राष्ट्र द्वारा दिए गए प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 90 दिनों से भी कम अवधि में लागू कर दिया गया हो। उस समय संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम के. कुटेसा ने कहा भी था कि इस प्रस्ताव को इतने सारे देशों द्वारा समर्थन देने से स्पष्ट है कि लोग योग के फायदों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। योग को अपनाकर मानसिक शांति प्राप्त करते हुए हर प्रकार की बीमारियों से सहजता से बचा जा सकता है। वैश्विक स्तर पर योग दिवस मनाए जाने का उद्देश्य यही है कि इसके जरिये लोगों को शारीरिक व मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें योग के माध्यम से इसका समाधन उपलब्ध कराया जाए और योग के अद्भुत व प्राकृतिक फायदों के बारे में लोगों को बताकर उन्हें योगाभ्यास के जरिये प्रकृति से जोड़ा जा सका, जिससे समूचे विश्व में चुनौतीपूर्ण बीमारियों की दर घटाने में अपेक्षित सफलता मिल सके। लोगों के बीच वैश्विक समन्वय मजबूत करने में भी योग सहायक भूमिका निभा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाए जाने का उद्देश्य यही है कि दुनियाभर में लोगों को शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य तथा आध्यात्मिक संतोष के विकास का अनुपम अवसर प्राप्त हो। ह्यअंतर्राष्ट्रीय योग दिवसह्ण चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर ही दुनियाभर में मनाया जाता है, यही कारण है कि प्रधानमंत्री की अगुवाई में ही इस दिन भारत में विशेष आयोजन किया जाता है। दुनियाभर के 170 से भी ज्यादा देश अब प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाते हैं और योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का संकल्प लेते हैं। ह्यअंतर्राष्ट्रीय योग दिवसह्ण के लिए 21 जून का ही दिन निर्धारित किए जाने की भी खास वजह रही।
दरअसल यह दिन उत्तरी गोलार्ध का पूरे कैलेंडर वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ह्यग्रीष्म संक्रांतिह्ण भी कहा जाता है। इस दिन प्रकृति, सूर्य तथा उसका तेज सर्वाधिक प्रभावी रहता है और भारतीय संस्कृति के नजरिये से देखें तो ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है तथा यह समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में अत्यंत लाभकारी माना गया है। बहरहाल, योग से न केवल मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है बल्कि इससे मांसपेशियों में लचीलापन आता है, शरीर मजबूत बनता है, तनाव और अवसाद दूर होता है, रीढ़ की हड्डी सीधी होती है तथा पीठ दर्द में बहुत आराम मिलता है। इसके अलावा लगभग सभी गंभीर बीमारियों में योग के चमत्कारिक प्रभाव देखे गए हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी अब योग के महत्व को स्वीकारने लगा है। इसलिए स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने तथा रोगों को दूर भगाने के लिए जरूरी है कि योग को अपनी दिनचर्या का अटूट हिस्सा बनाया जाए।
-योगेश कुमार गोयल
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