इशिका ठाकुर, कुरुक्षेत्र :
Natural Agriculture Boarder: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश की जनता को जहर युक्त उत्पादों से निजात दिलाने, भूमि की सेहत को बचाने, भूजल का सरंक्षण करने तथा लोगों के स्वास्थ्य को तंदरुस्त रखने के लिए प्रदेश सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने पर बल दे रही है।(Natural Agriculture Boarder) इस प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को इस खेती के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उदेश्य से प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया गया है।
इसके लिए बकायदा एक अतिरिक्त निदेशक की भी नियुक्ति की जाएगी। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार द्वारा 32 करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया है और प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए 3 साल उत्पादन आधारित योजना तैयार की है। इस योजना के तहत प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए 100 कलस्टर बनाए जाएंगे और प्रत्येक कलस्टर में 25 एकड़ भूमि को शामिल किया जाएगा।
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किसानों से प्राकृतिक खेती को लेकर की मन की बात Natural Agriculture Boarder
मुख्यमंत्री मनोहर लाल मंगलवार को देर सायं कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के तरफ से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सभागार में प्राकृतिक खेती को लेकर आयोजित एक दिवसीय कृषि शाला में बतौर मुख्यातिथि के रुप में बोल रहे थे।
इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग मंत्री जेपी दलाल, हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा, महानिदेशक डा. हरदीप सिंह, बागवानी विभाग के महानिदेशक डा. अर्जुन सिंह सैनी ने कृषि कार्यशाला में विभिन्न विभागों और प्रगतिशील किसानों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का अवलोकन किया और किसानों से प्राकृतिक खेती को लेकर अपने मन की बात को भी साझा किया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दीपशिखा प्रज्जवलित करकेे विधिवत रुप से प्राकृतिक कृषि कार्यशाला का शुभारंभ किया।
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किसानों के लिए हर प्रकार के संसाधन और सुविधाएं देेने के लिए सकरार हमेशा तैयार Natural Agriculture Boarder
मुख्यमंत्री ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का विशेष रुप से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रदेश भर से आए किसानों को प्राकृतिक खेती को उदाहरण सहित समझाकर प्रेरित करने का काम किया है। राज्य सरकार भविष्य में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को प्रदेश में प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को जागरुक करने के लिए हर प्रकार के संसाधन और सुविधाएं देेने के लिए हमेशा तैयार रहेगी।
वास्तव में 2 साल पहले गुरुकुल कुरुक्षेत्र में इस अभियान को आगाज किया गया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस अभियान को एक जन आंदोलन का स्वरुप देने का प्रयास सरकार की तरफ से शुरु कर दिया गया है। देश का पेट भरने वाले किसानों को आज 50 सालों के बाद फिर से खेती के तरीके को बदलकर परम्परागत खेती को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि आज समय की मांग के अनुसार 2 मोर्चों, जिनमें खेती और चिकित्सा पद्घति को प्राचीन पद्घति पर लाना होगा।
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किसानों को दिया जाएगा प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण Natural Agriculture Boarder
उन्होंने कहा कि धर्म-क्षेत्र कुरुक्षेत्र में हजारों साल पहले राजा कुरु ने सोने का हल चलाकर खेती की प्राचीन परम्परा को शुरु करने का काम किया था। आज एक बार फिर से इस धरा से प्राकृतिक खेती को एक नया जीवन देने की शुरुआत कर दी गई है। प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में प्राकृतिक खेती को लेकर कार्यक्रम चलाए जाएंगे और किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से प्राकृतिक कृषि बोर्ड बनाने का निर्णय लिया है।
इसके लिए अलग से अतिरिक्त निदेशक की नियुक्ति की जाएगी। सरकार ने इस बजट में 32 करोड़ का प्रावधान किया है। इसके अलावा प्राकृतिक खेती के लिए उपकरणों और समान की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। सरकार ने 14 फसलों के एमएसपी को देने का फैसला लिया है और भावांतर भरपाई योजना के तहत भी किसानों को फसलों के भाव दिए जा रहे है। अभी हाल में ही बाजरे के लिए 600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 450 करोड़ रुपए की राशि दी है।
प्राकृतिक खेती में नुकसान होने पर मुआवजा देगी सरकार Natural Agriculture Boarder
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए 3 साल उत्पादन आधारित योजना को भी अमलजामा पहनाने का काम किया है। इस योजना के तहत 100 कलस्टर बनाए जाएंगे और प्रत्येक कलस्टर में 25 एकड़ भूमि को भी प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ा जाएगा। इसके बाद सर्टीफिकेशन, ब्रांडिंग और फिर पैकेजिंग का कार्य किया जाएगा। इसके साथ ही अगर प्राकृतिक खेती कारण किसानों को नुकसान हुआ तो सरकार द्वारा मुआवजेे की राशि देने का काम भी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मोटे अनाजों पर अनुसंधान व उत्पादकता में सुधार करने के लिए भिवानी में क्षेत्रिय अनुसंधान केंद्र की स्थापना की जाएगी और वर्ष 2023 को अंतर्राष्टï्रीय मोटे अनाज के रुप में देखा जाएगा। इस बजट में कृषि और किसानों के हित के लिए अनेकों प्रावधान किए है। बजट में जल सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए कपास उत्पादक जिला सिरसा और फतेहाबाद में सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन दिया जाएगा, गर्मी सीजन के मक्का की खरीद एमएसपी करने, नई ग्रामीण संपर्क सडक़ों के निर्माण के लिए मार्किटिंग बोर्ड को 200 करोड़ का अनुदान दिया गया है, फसल समुह विकास कार्यक्रम के तहत 100 पैक हाउस की स्थापना की जाएगी।
20 हजार एकड़ में फसल विविधिकरण का लक्ष्य Natural Agriculture Boarder
उन्होंने कहा कि फसल विविधिकरण कार्यक्रम के तहत 20 हजार एकड़ में फसल विविधिकरण का लक्ष्य, किसानों को किराए पर मशीने उपलब्ध करवाने के लिए 5 मशीन बैंक केंद्रों की स्थापना, किसानों के मार्गदर्शन के लिए प्रगतिशील किसान कृषि दर्शन कार्यक्रम, पशुपालन व डेयरी क्षेत्र में रोजगार के लिए 1 लाख अंत्योदय परिवारों की आर्थिक मदद का लक्ष्य, एम्ब्रयो ट्रांसफर टेक्रोलोजी से पैदा होने वाले बछड़ों पर 10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि, अंत्योदय परिवार जिनके पास पशुओं को रखने के लिए भूमि नहीं है, उन परिवारों को ग्राम पंचायत की भूमि पर एक साझा शैड की व्यवस्था, मत्स्यों पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा, भिवानी में इंटीग्रेटिड एक्वा पार्क सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करने तथा गुरुग्राम में सार्वजनिक निजी भागदारी पद्घति पर जलीय पौधों, मछलियों और जंतुओं का एक आधुनिक एक्यवेरियम स्थापित किया जाएगा।
सरकार द्वारा 20 लाख मृदा नमूने प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे और प्रदेश में 1 करोड़ कृषि भूमि में से 80 लाख एकड़ के नमूने लेकर टेस्ट करवाया जाएगा। गांव में बोर्ड लगाए जाएंगे, जिसपर खेतों की टेस्टिंग रिपोर्ट भी अंकित की जाएगी। सरकार द्वारा एफपीओ पर नियंत्रण करके किसानों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
जैविक और प्राकृतिक खेती के अंतर को समझें किसान Natural Agriculture Boarder
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुरूकुल कुरूक्षेत्र को प्राकृतिक खेती को बढावा देने के लिए सरकार द्वारा की गई पहल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार व्यक्त करने और प्राकृतिक खेती से जुड़े अपने तमाम अनुभवों को सांझा करते हुए कहा कि किसानों को जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के अंतर को समझना होगा।
जैविक खेती से किसानों को फायदा होने वाला नहीं है। इसलिए सभी को प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहिए और इसका निर्णय हरियाणा सरकार द्वारा भी लिया गया है। सरकार ने किसानों को देशी गायों पालकों को प्रोत्साहित करने का भी निर्णय लिया है। देशी गायों के गोबर से प्राकृतिक खेती की जाएगी इसमें अन्य खाद का प्रयोग नही किया जाता। देशी गायों के गोबर से जीवाणु पैदा होंगे और इन जीवाणुओं से प्राकृतिक खेती को बल मिलेगा इससे उत्पादन कम नहीं होगा और इस से किसानों की लागत कम होगी। पानी की बचत होगी। देशी गाय का संवर्धन होगा, मनुष्य के स्वास्थ्य को भी ठीक रखा जा सकेगा।
अगर किसान रासायनिक खेती करते रहे तो वर्ष 2060 तक ही उत्पादन संभव Natural Agriculture Boarder
राज्पाल ने कहा कि अगर किसान रासायनिक खेती करते रहे तो यूएनओ की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2060 तक ही उत्पादन किया जा सकेगा। इन रासायनिक खादों के प्रयोग से धरती के सारे सूक्ष्म जीव समाप्त हो जाएंगे। रासायनिक खेती के अंधाधूंध प्रयोग से लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। पर्यावरण पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है, भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही है। भूजल स्तर समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है। इतना ही नहीं सरकार द्वारा युरिया पर 1 लाख 40 हजार करोड़ की सब्सिडी दी जा रही है।
अगर किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएंगे तो निश्चित ही देश को प्रगति की राह पर लाने का काम करेंगे। इस राशि को देश के विकास पर लगाया जा सकेगा। इतना ही नहीं लोगों की सेहत को तंदरुस्त रखने, भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने, पानी को बचाने, किसानों की आय को दौगुना किया जा सकेगा। भारत सरकार की तरफ से गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया है। इस प्रशिक्षण केंद्र में 12 महीने किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
गुरूकुल कुरूक्षेत्र प्राकृतिक खेती के लिए एक उत्कृष्ट मॉडल : जेपी दलाल Natural Agriculture Boarder
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि गुरूकुल कुरूक्षेत्र प्राकृतिक खेती के लिए एक उत्कृष्ट मॉडल के रूप में विकसित हो चुका है तथा सरकार ने कुरूक्षेत्र में एक ऑर्गेनिक सेंटर भी स्थापित किया है, जो प्राकृतिक खेती बारे प्रशिक्षण देगा। प्राकृतिक खेती को आज प्रदेश के प्रत्येक किसान को अपनाने कि जरूरत है, क्योंकि आज रासायिनक खाद व कीटनाशक दवाइंयों का जो प्रयोग हो रहा है उससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है।
भू-जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है और आय भी कम हो रही है। इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक खेती को बढाने का निर्णय लिया है, उन्होंने कहा कि सरकार जल्दी ही प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए एक बडी मंडी की भी व्यवस्था करेगी। जहां किसान उच्च गुणवता के प्राकृतिक उत्पाद बेच पाएंगें।
प्राकृतिक खेती से अच्छा होगा भूमि का स्वास्थय Natural Agriculture Boarder
हरियाणा कृषि तथा किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुमिता मिश्रा ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के प्राकृतिक खेती को बढावा देने के संकल्प को इस कार्यशाला के द्वारा क्रियान्वित करने का अहम फैसला किया है, जिससे भूमि का स्वास्थय अच्छा होगा, किसान की आमदनी भी बढ़ेगी व पर्यावरण भी सुरिक्षत रहेगा। हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक डा. हरदीप सिंह ने मेहमानों का आभार व्यक्त किया।
इस कार्यशाला के विभिन्न तकनीकी सत्रों में उप-कुलपति कृषि विश्वविद्यालय हिसार डॉ बलदेव राज कांबोज, उप-कुलपति महारणा प्रताप विश्वविद्यालय करनाल प्रो0 समर सिंह, वरिष्ठ सलाहकार नीति आयोग डॉ0 नीलम पटेल, डा. जगवीर सिंह, डॉ हरिओम, डॉ बलजीत सहारन ने भी प्राकृतिक खेती बारे अपने विचार रखे। इस कार्यक्रम के अंत में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की तरफ से मुख्यमंत्री मनोहर लाल, राज्यपाल आचार्य देवव्रत, कृषि मंत्री जेपी दलाल को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
मौके पर यह रहे मौजूद Natural Agriculture Boarder
इस मौके पर खेल मंत्री संदीप सिंह, समाज कल्याण राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, शुगर फैड के चेयरमैन एवं विधायक रामकरण काला, एचएलआरडीसी के चेयरमैन जगदीश नय्यर, विधायक घनश्याम अरोड़ा, गौ सेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण गर्ग, एसीएस डा. सुमिता मिश्रा, आयुक्त एवं सचिव पंकज अग्रवाल, उपायुक्त मुकुल कुमार, पुलिस अधीक्षक डा. अंशु सिंगला, मुख्यमंत्री के मीडिया कोऑर्डिनेटर जगमोहन आनंद, महानिदेशक डा. अर्जुन सिंह, महानिदेशक डा. बिजेंद्र लौरा, पूर्व विधायक डा. पवन सैनी, भाजपा के जिलाध्यक्ष राजकुमार सैनी, डीडीए डा. प्रदीप मिल सहित अन्य अधिकारी गण मौजूद थे।
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