- केंद्र सरकार ने खटखटाया था शीर्ष अदालत का दरवाजा
आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली, (Supreme Court On Benami Property): सुप्रीम कोर्ट बेनामी संपत्ति पर कानून को लेकर समीक्षा याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। केंद्र सरकार ने कानून के कई प्रावधानों को रद करने के फैसले की खुली अदालत में समीक्षा की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 23 अगस्त को बेनामी कानून के कुछ प्रावधानों को रद कर दिया था।
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
केंद्र की ओर से अदालत में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ से आग्रह कर कहा कि इस मुद्दे के महत्व को ध्यान में रखते हुए समीक्षा याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की जाए।
फैसले के कारण कई आदेश पारित किए जा रहे
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, यह एक असामान्य अनुरोध है और हम समीक्षा की खुली अदालत में सुनवाई चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बेनामी कानून के कुछ प्रावधानों को रद करने फैसले के कारण बहुत सारे आदेश पारित किए जा रहे हैं जबकि बेनामी अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चुनौती भी नहीं दी गई थी। फैसले के कारण बहुत सारे आदेश पारित किए जा रहे हैं जबकि बेनामी अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चुनौती भी नहीं दी गई थी।
रद किए प्रावधानों में जेल या जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान
रद किए गए प्रावधानों में से एक में ‘बेनामी’ लेनदेन में शामिल लोगों के लिए अधिकतम तीन साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। शीर्ष अदालत ने प्रावधान को ‘स्पष्ट रूप से मनमाना’ होने के आधार पर ‘असंवैधानिक’ करार दिया था। केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में एक कानून बनाकर बेनामी संपत्ति को अपराध घोषित किया था। साथ ही धारा 3(2) में प्रावधान किया था कि इसमें सजा हो सकती है।
जानिए क्या है बेनामी संपत्ति
जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को छिपाने के लिए दूसरे के नाम से संपत्ति खरीदता है तो इसे बेनामी संपत्ति कहते हैं। कहने को तो नाम दूसरे का होता है लेकिन असल में संपत्ति पर उसी का अधिकार होता जिसने खरीदी होती है। आमतौर पर ऐसी संपत्ति काले धन या आमदनी के ज्ञात स्रोतों के बाहर से खरीदी जाती है।
अगर खरीदने वाले ने अपने धन से पत्नी, बेटे, अन्य परिवार के लोगों या करीबी के नाम से संपत्ति खरीदी हो तो भी ये बेनामी संपत्ति कही जाएगी। बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानूनी मिल्कियत अपने नाम नहीं रखता, लेकिन सम्पत्ति पर किसी ना किसी तरह कब्जा जरूर रखता है।
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