पीएफआई मनी लॉन्ड्रिंग मामला: सुप्रीम कोर्ट ने केस को यूपी से केरल ट्रांसफर करने से किया इनकार

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PFI money laundering case
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1. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में आरएसएस रूट मार्च की इजाजत दी, तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु में आरएसएस की प्रस्तावित रूट यात्रा को हरी झंडी दे दी है। जस्टिस वी रामा सुब्रह्मण्यम और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए तमिलनाडु सरकार की याचीका को ख़ारिज कर दिया।

दरसअल पिछले साल तमिलनाडु में 51 जगहों पर रूट मार्च रैली निकालने का एलान किया था। इस पर राज्य की डीएमके सरकार ने रोक लगा दी थी। डीएमके सरकार ने सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने की आशंका के चलते आरएसएस की रैली को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।

राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ आरएसएस ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने छह जगहों को छोड़कर बाकी जगहों पर आरएसएस को मार्च रैली करने की इजाजत दे दी। इसी फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल की थी।

तमिलनाडु सरकार ने आरएसएस की रैली को इजाजत देने से इनकार की वजह बताते हुए कहा था कि जब सरकार राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रयास कर रही है, ऐसे वक्त में आरएसएस और अन्य संगठनों को रैली निकालने और जनसभा करने की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती।

2. पीएफआई मनी लॉन्ड्रिंग मामला: सुप्रीम कोर्ट ने केस को यूपी से केरल ट्रांसफर करने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट से पीएफआई महासचिव केए रऊफ शेरिफ को बड़ा झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने रऊफ शेरिफ की उस याचीका को ख़ारिज कर दिया है जिसमें उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला लखनऊ से केरल स्थानांतरित की मांग की गई थी। जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस पंकज मिथल की खंडपीठ ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के महासचिव केए रऊफ शेरिफ द्वारा लखनऊ में विशेष पीएमएलए अदालत से मनी लॉन्ड्रिंग मामले को केरल के एर्नाकुलम के विशेष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लखनऊ की पीएमएलए कोर्ट को शिकायत पर विचार करने के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र की कमी नहीं कहा जा सकता है। अदालत ने कहा किसी भी मामले में, शिकायत पर विचार करने के लिए अदालत के अधिकार क्षेत्र की कमी इसके स्थानांतरण का आदेश देने का कोई आधार नहीं हो सकती है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता एस नागमुथु ने तर्क दिया कि विशेष अदालत, लखनऊ के समक्ष कार्यवाही अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि अभियोजन पक्ष द्वारा कथित सभी आपराधिक गतिविधियां केरल में हुईं। यह भी बताया गया कि 6 फरवरी, 2021 की अभियोजन शिकायत में नामित सत्रह गवाहों में से बारह, 6 मई, 2022 की पूरक शिकायत में नामित चौदह गवाहों में से नौ, और संयुक्त अभियोजन शिकायत में नामित नौ गवाहों में से पांच दिनांक 18 नवंबर, 2022 केरल या दक्षिण भारत से हैं। इसके अलावा, याचिकाकर्ता को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 (2) के तहत एर्नाकुलम में एक विशेष न्यायाधीश द्वारा कानूनी रूप से हिरासत में भेज दिया गया था, और इस प्रकार लखनऊ में अभियोजन शिकायत दर्ज करना अवैध है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा यह कहना गलत होगा कि लखनऊ में विशेष पीएमएलए कोर्ट के पास वर्तमान मामले में अधिकार क्षेत्र नहीं है। खंडपीठ ने यह कहना कि अधिकांश अभियुक्त और गवाह केरल या दक्षिण भारत से हैं, जांच के हस्तांतरण का आदेश देने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

3. यूट्यूबर मनीष कश्यप को फिलहाल राहत नही, कश्यप की याचीका पर बिहार और तमिलनाडु सरकार को नोटिस, 21 अप्रैल को सुनवाई

तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले का फर्जी वीडियो वायरल करने के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर मनीष कश्यप को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली हैं। बिहार और तमिलनाडु में दर्ज मामलों को एकसाथ जोडे जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है। हालांकि दूसरे केसों में कठोर कार्यवाही ना होने के आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट 21 अप्रैल को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा।

दरअसल तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले का फर्जी वीडियो शेयर करने मामले में आरोप में मनीष कश्यप अभी तमिलनाडु पुलिस की कस्टडी में है। पिछले सप्ताह तमिलनाडु पुलिस की टीम कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट लेकर उसे अपने साथ ले गई थी। वहां मदुरई कोर्ट से रिमांड पर लेकर तमिलनाडु पुलिस मनीष कश्यप से पूछताछ भी की थी। मनीष फिलहाल न्याययिक हिरासत में है।

4. भड़काऊ भाषण मामला: गुजरात की अदालत ने काजल हिंदुस्तानी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा

गुजरात की अदालत ने दक्षिणपंथी कार्यकर्ता काजल हिंदुस्तानी को रामनवमी के कार्यक्रम में उनके भड़काऊ भाषण’ के लिए 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। काजल हिंदुस्तानी एक सामाजिक कार्यकर्ता, जो अन्य समुदायों के खिलाफ अपने उग्र भाषणों के लिए जानी जाती है। हिंदुस्तानी को रविवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। उसे ऊना की एक अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने उसकी हिरासत नहीं मांगी और इसलिए अदालत ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में काजल हिंदुस्तानी एक नियमित चेहरा हैं। 1 अप्रैल को, उन्होंने विहिप द्वारा रामनवमी मनाने के लिए आयोजित एक समारोह में भाग लिया। पहले, उन्होंने एक विशेष समुदाय को लक्षित करते हुए एक भाषण दिया था और धार्मिक समुदाय की भावनाओं को आहत करने और दो धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए मामला दर्ज किया गया था। उनके भाषण के तुरंत बाद ऊना में दो सांप्रदायिक समूहों के बीच झड़पें हुईं। शहर में पथराव भी देखा गया। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा), 153ए (धर्म, नस्ल, भाषा के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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