Navjot Singh Sidhu 317 दिन बाद जेल से बाहर आए, ढोल नगाड़ों से स्वागत

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Navjot Singh Sidhu
पटियाला सेंट्रल जेल से बाहर आते पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू।

आज समाज डिलिटल, Navjot Singh Sidhu: पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू आज पटियाला सेंट्रल जेल से रिहा हो गए। समर्थकों ने जेल के बाहर ढोल नगाड़ों से उनका स्वागत किया। बड़ी संख्या में सुबह से समर्थक जेल से बाहर पहुंचे थे। इससे पहले सिद्धू की रिहाई में देरी होती रही। रिहाई की बात पहले सुबह 11 बजे और फिर 3 बजे कही गई लेकिन वह शाम करीब 6 बजे रिहा हुए। सिद्धू के बेटे करण सिद्धू ने आरोप लगाया था कि कागजी कार्रवाई के नाम पर उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है।

  • बेटे ने रिहाई में देरी कर परेशान करने का आरोप लगाया
  • रोडरेज मामले में पिछले वर्ष 19 मई को हुई थी सजा
  • पत्नी नवजोत कौर कैंसर से पीड़ित, लिखा था मैसेज 

छुट्टी न लेने का बेनिफिट, पहले छूटे

सिद्धू को रोडरेज मामले में पिछले साल 19 मई को एक साल की सजा हुई थी और 317 दिन बाद वह जेल से बाहर आए। 20 मई को सिद्धू जेल गए थे। इसके हिसाब से उनकी एक साल की सजा मई में पूरी हो रही थी मगर उनके सजा के दौरान एक भी छुट्टी लेने का उन्हें बेनिफिट मिला और वह कुछ दिन पहले जेल से बाहर आ गए। सिद्धू ने ट्विटर पेज पर 31 मार्च को अपनी रिहाई की जानकारी दी थी।

अच्छे आचरण पर एक महीने में मिलती है 4-5 दिन छुट्टी

जानकारों के अनुसार एनडीपीएस और संगीन जुर्मों के अलावा एक महीने में सौंपे गए काम और कैदियों के आचरण के आधार पर चार से पांच दिन की छुट्टी दी जाती है। इसके अलावा कुछ सरकारी छुट्टियों का फायदा भी कैदी को मिलता है। नवजोत सिंह सिद्धू ने पूरी सजा के दौरान एक बार भी छुट्टी नहीं मांगी।

पिछले साल दिसंबर से रिहाई की चर्चाएं

दिसंबर 2022 से ही उनकी रिहाई को लेकर चचार्एं शुरू हो गई थीं। सभी को आस थी कि 26 जनवरी 2023 को सिद्धू रिहा हो जाएंगे। उस दिन सुबह से ही समर्थक जेल के बाहर पहुंच गए, लेकिन सिद्धू बाहर नहीं आए। सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर कैंसर से पीड़ित हैं। उन्हें स्टेज-2 कैंसर है। बीते दिनों नवजोत कौर ने सिद्धू के लिए मैसेज में लिखा था कि वह उनके रिलीज होने का इंतजार नहीं कर सकती। उनकी तकलीफ बढ़ रही है। इसके बाद कई सीनियर कांग्रेसी नेताओं ने उन्हें जल्द रिहा करने की भी मांग उठाई थी।

सितंबर 1999 का है रोडरेज मामला

सितंबर 1999 में पंजाब की निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन दिसंबर 2006 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू और एक अन्य को गैर-इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई। इस सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को गैर-इरादतन हत्या के आरोपों से बरी करते हुए पीड़ित को चोट पहुंचाने का दोषी करार देकर एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरनाम सिंह के परिजनों ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। अब इसी रिव्यू पिटीशन की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी ।

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