भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र बनाना ही राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य

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MP Kartik Sharma raised a question regarding the National Green Hydrogen Mission
MP Kartik Sharma raised a question regarding the National Green Hydrogen Mission

आज समाज डिजिटल, नई दिल्‍ली:
सांसद कार्तिक शर्मा ने नेशल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के संबंध में हरियाणा सहित देश में कार्यान्वित की जा रही परियोजनाओं की संख्या के बारे में सवाल किया। इस संबंध में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने बताया कि 4 जनवरी 2023 को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी है।

मिशन का व्यापक उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए वैश्विक हब बनाना है। अगले मिशन के हिस्से के रूप में घटकों की घोषणा की गई है। इसके तहत निर्यातों और स्वदेशी उपयोग के जरिए मांग उत्पन्न करने में सुविधा प्राप्त करना।

ग्रीन हाइड्रोजन परिवर्तन के लिए रणनीतिक उपाय (साइट) कार्यक्रम, जिसमें इलेक्ट्रोलाइजरो के निर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन शामिल है।

इस्पात, आवागमन, पोत परिवहन, विकेंद्रीकृत ऊर्जा अनुप्रयोग, बायोमास से हाइड्रोजन का उत्पादन, हाइड्रोजन भंडारण आदि के लिए पायलट परियोजनाएं शामिल हैं।

इस मिशन में अनेक कार्यक्रम हैं शामिल

साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन हब का विकास, अवसंरचना विकास के लिए सहायता, नियमों और मानकों का एक मजबूत ढांचा स्थापित करना, अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी व्यवस्था सहित अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम, कौशल विकास कार्यक्रम; और जन जागरूकता और आउटरीच कार्यक्रम शामिल हैं।

प्रश्न के दूसरे भाग में सांसद कार्तिक शर्मा ने 2030 तक राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अपेक्षित परिणाम पूछे। इस पर मंत्रालय ने बताया कि 2030 तक भारत की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता 5 एमएमटी प्रति वर्ष तक पहुंचने की संभावना है। इससे ग्रीन हाइड्रोजन व्यवस्था के निर्माण में होने वाले कुल निवेशों में 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश जुटाने और 6 लाख से अधिक रोजगार पैदा होने की संभावना है। मिशन के तहत विभिन्न ग्रीन हाइड्रोजन पहलों के फलस्वरूप प्रतिवर्ष लगभग 50 मिलियन मिट्रिक टन कार्बन (CO2) उत्सर्जन में कमी होने की आशा है।

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