आज समाज डिजिटल ,दिल्ली:
1. समलैगिंक विवाह को नही दे सकते मान्यता, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा
समलैगिंक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं का केंद्र सरकार ने विरोध किया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि सेम-सेक्स शादी एक शहरी संभ्रांत अवधारणा है जो देश के सामाजिक लोकाचार से बहुत दूर है, ऐसे में इसे कतई मान्यता नही दी जा सकती है। केंद्र सरकार ने कहा विषम लैंगिक संघ से परे विवाह की अवधारणा का विस्तार एक नई सामाजिक संस्था बनाने के समान है। केवल संसद ही व्यापक विचारों और सभी ग्रामीण, अर्ध-ग्रामीण और शहरी आबादी की आवाज, धार्मिक संप्रदायों के विचारों और व्यक्तिगत कानूनों के साथ-साथ विवाह के क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले रीति-रिवाजों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले सकती है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुनवाई से ठीक पहले केंद्र सरकार ने यह हलफनामा दायर किया है। केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले संविधान पीठ से सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है।
2. अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का मामला पहुँचा सुप्रीम कोर्ट, पूर्व जज की निगरानी जांच की मांग
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। वकील विशाल तिवारी ने जनहित याचिका दाखिल कर पूर्व जज की निगरानी में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच की मांग की गई है। इतना ही नही याचिका में उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद हुए सभी 183 एनकाउंटरों की जांच की मांग की भी गई है।
वकील विशाल तिवारी ने अपनी याचीका में मांग की है कि अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस मुठभेड़ लोकतंत्र के लिए खतरा बनने के साथ ही कानून के राज के लिए भी खतरनाक हैं।
दरसअल अतीक अहमद की शनिवार को प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थीं। याचिका में 2020 विकास दूबे मुठभेड़ मामले की सीबीआई से जांच की मांग की गई है। इससे पहले माफिया अतीक अहमद की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़ा करती एक याचिका को सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था।
3. समलैगिंक विवाह मामला:NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचीका, शादी की मान्यता की मांग वाली याचीका का किया विरोध
समलैगिंक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं का राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानी एनसीपीसीआर ने भी विरोध किया है। आयोग ने कहा कि समलैंगिक जोड़े द्वारा बच्चों को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इतना ही नही समान लिंग वाले माता-पिता द्वारा पाले गए बच्चों की पहचान की समझ को प्रभावित कर सकता है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि सेम-सेक्स शादी एक शहरी संभ्रांत अवधारणा है जो देश के सामाजिक लोकाचार से बहुत दूर है, ऐसे में इसे कतई मान्यता नही दी जा सकती है। केंद्र सरकार ने कहा विषम लैंगिक संघ से परे विवाह की अवधारणा का विस्तार एक नई सामाजिक संस्था बनाने के समान है। केवल संसद ही व्यापक विचारों और सभी ग्रामीण, अर्ध-ग्रामीण और शहरी आबादी की आवाज, धार्मिक संप्रदायों के विचारों और व्यक्तिगत कानूनों के साथ-साथ विवाह के क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले रीति-रिवाजों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले सकती है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुनवाई से ठीक पहले केंद्र सरकार ने यह हलफनामा दायर किया है। केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले संविधान पीठ से सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है।
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