Legally Speaking : उमेश पाल हत्याकांड: अतीक अहमद की बहन और भांजी ने दाखिल की सरेंडर अर्जी, गुरुवार होगी सुनवाई

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आज समाज डिजिटल , दिल्ली:
1.उमेश पाल हत्याकांड: अतीक अहमद की बहन और भांजी ने दाखिल की सरेंडर अर्जी, गुरुवार होगी सुनवाई।

गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी और भांजी उंजिला ने गवाह उमेश पाल और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की हत्या के मामले में प्रयागराज कोर्ट में सरेंडर करने की अर्जी दाखिल की है। सीजेएम कोर्ट सरेंडर अर्जी पर 13 अप्रैल को सुनवाई करेगी।

दरअसल पुलिस माफिया अतीक अहमद की बहन और उसकी दो भांजियों की तलाश में जगह-जगह छापेमारी कर रही है। सभी पर शूटरों को संरक्षण देने और मदद करने का आरोप है। पुलिस का मनना है कि पांच-पांच लाख के इनामी असद, गुड्डू मुस्लिम ने डॉ.अखलाक के नौचंदी मेरठ स्थित घर पर पनाह ली थी। इस दौरान अखलाक ने शूटरों को आर्थिक सहित दूसरी मदद भी की थी। घर में अखलाक की बेटियों ने भी मददगार की भूमिका निभाई थी।

2. ज्ञानवापी मामला: मुस्लिम पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू की मांगी इजाज़त, सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का दिया भरोसा

सुप्रीम सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की उस अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा मस्जिद कमेटी की याचीका पर गुरुवार या सोमवार को सुनवाई कर सकता है। मस्जिद कमिटी की तरफ से बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ से अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग गई। जिसपर सीजेआई ने कहा कि 14 अप्रैल को अवकाश की वजह से कई मामले सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। अगर संभव हुआ तो मामले की सुनवाई गुरुवार को करेंगे या फिर सोमवार को।

ज्ञानवापी मस्जिद ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू (धार्मिक कार्य के लिए मुंह-हाथ को धोना) की प्रथा की अनुमति देने की मांग की गई है।

दरसअल सुप्रीम कोर्ट से मस्जिद कमिटी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में सील एरिया को रमजान के चलते खोलने की मांग की है। मस्जिद कमिटी ने अपनी अर्जी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में नमाजियों के वुजू के लिए पर्याप्त व्यवस्था के लिए कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में उस क्षेत्र की सुरक्षा अगले आदेश तक बढ़ा दी थी, जहां हिंदू पक्ष ने कहा था कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में वुजू वाली जगह एक ‘शिवलिंग’ पाया गया है। कोर्ट ने पूरे वजू इलाके को सील करने का आदेश भी दिया था।

3.अधूरा फैसला सुनाने वाले जज को सुप्रीम कोर्ट ने किया बर्खास्त

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक न्यायिक अधिकारी फैसले के पूरे पाठ को तैयार या लिखे बिना खुली अदालत में फैसले के समापन हिस्से को नहीं सुना सकता है। शीर्ष अदालत ने कर्नाटक में निचली अदालत के उस न्यायाधीश को बर्खास्त करने का भी निर्देश दिया, जिसे फैसला तैयार किए बिना मामले का फैसला सुनाने का दोषी पाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश कर्नाटक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दायर एक याचिका पर आया था, जिन्होंने न्यायालय द्वारा पारित समाप्ति आदेश को रद्द करके न्यायाधीश की बहाली पर हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को चुनौती दी थी।

न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम और पंकज मिथल की एक एससी पीठ ने गंभीर आरोपों पर पर्दा डालने के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालयसे कहा कि न्यायाधीश का आचरण अस्वीकार्य है।

“यह सच है कि कुछ आरोप न्यायिक घोषणाओं और न्यायिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के इर्द-गिर्द घूमते हैं और यह कि वे अपने आप में, बिना किसी और चीज के, विभागीय कार्यवाही का आधार नहीं बन सकते हैं।

बेंच ने कहा- “हम उन आरोपों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। लेकिन जो आरोप प्रतिवादी की ओर से निर्णय तैयार करने/लिखने में घोर लापरवाही और उदासीनता के इर्द-गिर्द घूमते हैं पूरी तरह से अस्वीकार्य और एक न्यायिक अधिकारी के लिए अशोभनीय है।”

शीर्ष अदालत ने कहा कि जज का यह बचाव यह करते हुए करना कि अनुभव की कमी और स्टेनोग्राफर की अक्षमता को दोष देना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे सामने ऐसा कोई मामला नहीं आया है जहां उच्च न्यायालय ने जुर्माने के आदेश को रद्द करते हुए यह माना हो कि अपराधी के खिलाफ आगे कोई जांच नहीं होगी।” लेकिन इस मामले में, उच्च न्यायालय ने ठीक वैसा ही किया है, एक नया न्यायशास्त्र बनाना है। फिल्हाल, भारतीय ज्यूडिशियरी परिपक्व है किसी नये न्यायशास्त्र की आवश्यकता नहीं है। इसलिए अधूरा फैसला पढ़ना या देना गंभीर अनुशासनात्मक चूक है इसलिए उस न्यायाधीश को तत्काल बर्खास्त किया जाना ही उचित है।

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