भूकंप की जद में भारतीय उपमहाद्वीप का लगभग 59 फीसदी हिस्सा

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Indian Subcontinent Prone To Earthquakes
भारतीय उपमहाद्वीप का लगभग 59 फीसदी हिस्सा भूकंप की जद में

आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली, (Indian Subcontinent Prone To Earthquakes): भारत के कम से कम 38 शहर उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्रों में आते हैं। भारत सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, इस सूची में उत्तर-पूर्वी भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार सहित कई शहर शामिल हैं। प्राधिकरण का कहना है कि इस तरह भारतीय उपमहाद्वीप का लगभग 59 फीसदी हिस्सा भूकंप की चपेट में है।

पिछले साल भारत में 900 बार आया भूकंप

पिछले साल भारत में 900 से ज्यादा बार भूकंप आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने यह जानकारी दी है। इसके अनुसार, देश में अलग-अलग जगह पर 2022 में 900 से अधिक बार भूकंप के झटके महसूस किए हालांकि, इनमें कुछ भूकंप की तीव्रता 4.0 से कम थी, जिससे इन भूकंपों का पता नहीं चल पाया। 4.0 से अधिक वाले भूकंपों को लोगों ने भी महसूस किया। इसमें जानमाल का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।

1950 के बाद से अब तक 35 हजार से ज्यादा मौतें

भारत में 1950 के बाद से आए भूकंपों में अब तक 35 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। गौरतलब है कि 8.0 से ज्यादा की तीव्रता वाला भूकंप कई सौ किमी के दायरे में मौजूद घरों को तबाह कर देता हैं और भारी क्षति और विनाश का कारण बनता हैं।

अब तक आए अनगिनत भूकंपों में पांच काफी विनाशकारी

देश में वैसे तो अब तक अनगिनत बार भूकंप आ चुका हैं, लेकिन इनमें से पांच भूकंप काफी विनाशकारी थे। असम में 15 अगस्त 1950 को आए 8.6 की तीव्रता वाले भूकंप ने तिब्बत तक जबरदस्त तबाही मचाई थी। असम में 1,500 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

महाराष्ट्र के लातूर-उस्मानाबाद, किल्लारी में 1993 को 6.3 तीव्रता वाले भूकंप से 11 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 1991 में चमोली में आए भूकंप से 2000 लोगों की मौत हुई थी। 2001 में गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया जिससे 20 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जबकि चार लाख से अधिक इमारतें तबाह हो गई थी। सिक्किम में साल 2011 में आए भूकंप में 111 लोगों की मौत हुई थी।

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