समलैगिंक विवाह मामला: मध्यप्रदेश सरकार और गुजरात सरकार ने भी दाखिल की अर्जी, मंगलवार को होगी सुनवाई

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Gay marriage case
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आज समाज डिजिटल ,दिल्ली:

1. समलैगिंक विवाह मामला: मध्यप्रदेश सरकार और गुजरात सरकार ने भी दाखिल की अर्जी, मंगलवार को होगी सुनवाई

समलैगिंक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं का गुजरात सरकार और मध्यप्रदेश सरकार ने भी विरोध किया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा वो मध्यप्रदेश सरकार, गुजरात सरकार और एनसीपीसीआर की अर्जियों पर मुख्य याचीका के साथ मंगलवार को सुनवाई
करेंगे। मध्यप्रदेश सरकार और गुजरात सरकार ने भी अर्जियां दाखिल कर समलैगिंक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है।
वही एनसीपीसीआर ने कहा कि समलैंगिक जोड़े द्वारा बच्चों को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इतना ही नही समान लिंग वाले माता-पिता द्वारा पाले गए बच्चों की पहचान की समझ को प्रभावित कर सकता है।

इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि सेम-सेक्स शादी एक शहरी संभ्रांत अवधारणा है जो  देश के सामाजिक लोकाचार से बहुत दूर है, ऐसे में इसे कतई मान्यता नही दी जा सकती है। केंद्र सरकार ने कहा विषम लैंगिक संघ से परे विवाह की अवधारणा का विस्तार एक नई सामाजिक संस्था बनाने के समान है। केवल संसद ही व्यापक विचारों और सभी ग्रामीण, अर्ध-ग्रामीण और शहरी आबादी की आवाज, धार्मिक संप्रदायों के विचारों और व्यक्तिगत कानूनों के साथ-साथ विवाह के क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले रीति-रिवाजों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले सकती है।

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुनवाई से ठीक पहले केंद्र सरकार ने यह हलफनामा दायर किया है। केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले संविधान पीठ से सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है।

2.पूर्व आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पत्र याचीका, अतीक हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग की

पूर्व आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल कर गैंगेस्टर अतीक की हत्या की सीबीआई जांच की मांग की है। ठाकुर ने कहा इस पूरे जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट खुद या हाई कोर्ट की निगरानी में हो।
अपनी याचिका में अमिताभ ठाकुर ने कहा है कि भले अतीक अहमद और उसके भाई अपराधी हों किंतु जिस प्रकार से उनकी हत्या हुई है, उससे इसके राज्य पोषित होने की पर्याप्त संभावना दिखती है।
याचीका में आरोप लगाया है कि इस हत्या के बाद जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले को ढीला करने का प्रयास किया है और मामले में कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं की है, उससे भी इस मामले के उच्च स्तरीय षड्यंत्र की संभावना दिखती है।

याचिकाकर्ता अमिताभ ठाकुर ने कहा कि भले ही कोई व्यक्ति अपराधी क्यों ना हो किंतु किसी भी व्यक्ति को पुलिस कस्टडी में राज्य द्वारा षड्यंत्र करके हत्या कर दिया जाना किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। इन स्थितियों में यदि इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह राज्य पोषित हत्या हो सकती है तो निश्चित रूप से इसकी जांच स्थानीय पुलिस द्वारा नहीं की जा सकती और इसकी निष्पक्ष जांच मात्र मात्र सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की  निगरानी में सीबीआई द्वारा ही की जा सकती है।

3. पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामला:अभिषेक बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें जांच एजेंसियों (ईडी और सीबीआई) को अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का आदेश दिया गया था। हालांकि ये रोक अगली सुनवाई तक लगाई गई है और सुप्रीम कोर्ट 24 अप्रैल को इस मामले में सुनवाई करेगा। दरअसल पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर अभिषेक बनर्जी से पूछताछ होनी है।

कि कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल जज वाली पीठ ने शिक्षक भर्ती घोटाले में जांच एजेंसियों से अभिषेक बनर्जी और कुंतल घोष से पूछताछ करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पार्दीवाला की पीठ ने सुनवाई की और कहा अगली सुनवाई तक इस मामले में जांच एजेंसियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है।

4.सरकारी कर्मचारी और स्कूली बच्चों में कोई अंतर नहीं, हमेशा नजर छुट्टियों पर रहती है- मद्रास हाई कोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सरकारी कर्मचारी और स्कूली बच्चों में कोई अंतर नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी स्कूली बच्चों की तरह हैं, जिनकी नजर हमेशा सरकारी छुट्टियों और काम से छूट की ओर रहती है। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के जस्टिस स्वामीनाथन ने ये टिप्पणी आंबेडकर जयंती को लेकर घोषित राष्ट्रीय अवकाश से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि राज्य सरकार ने 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में नागरिकों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर खुद चाहते होंगे कि लोग ज्यादा से ज्यादा काम करें।

मदुरै हाईकोर्ट की बेंच ने ये टिप्पणी कुडनकुलम न्यूकलियर पावर प्लांट के कर्मचारी संगठन की ओर से दायर एक याचिका पर की। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी स्कूली बच्चों की तरह होते हैं। उनके लिए छुट्टियों का मिलना और काम से छूट का हमेशा स्वागत हैं।

इस याचिका में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कर्मचारी संगठन ने मांग की थी कि 14 अप्रैल, 2018 को उन्होंने काम किया था, जिसके लिए उन्हें दोगुना भत्ता मिलना चाहिए। हालांकि, हाईकोर्ट की ओर से इस परियोजना के निदेशक को उन्हें आर्थिक लाभ देने का निर्देश दिए गए।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ऐसे व्यक्ति थे, जो चाहते कि लोग उनकी जयंती पर छुट्टी घोषित करने के बजाय कड़ी मेहनत करें। हमने भावनाओं और प्रतीकों के एक सिस्टम का पालन किया। दक्षता के बजाय शिष्टाचार में विश्वास किया। कोर्ट ने कहा कि देश प्रतीकवाद और भावनाओं की बहुत परवाह करता है।

कोर्ट ने कहा, “कुशलता के बजाय शिष्टाचार हमारी पहचान है। भारत रत्न श्री एपीजे अब्दुल कलाम की तरह, उन्होंने (आंबेडकर) भी कहा होगा कि मेरी मृत्यु पर छुट्टी घोषित न करें, इसके बजाय एक अतिरिक्त दिन काम करें, अगर आप मुझसे प्यार करते हैं।”

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