Delhi News: सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद मनीष सिसोदिया व सत्येंद्र जैन का इस्तीफा, केजरीवाल ने किया मंजूर

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Delhi New Excise Policy Scam
सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद मनीष सिसोदिया व सत्येंद्र जैन का इस्तीफा, केजरीवाल ने किया मंजूर

आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली,(Delhi New Excise Policy Scam): सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया व पहले से तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दोनों का इस्तीफा भी मंजूर कर लिया है। दोनों पर दिल्ली की नई आबकारी नीति में हुए घोटाले में संलिप्तता का आरोप है। सिसोदिया को सीबीआई ने इस मामले में 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। उनके पास 18 विभाग थे।

  • दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया के पास थे 18 विभाग
  • चार मार्च तक पांच दिन के सीबीआई रिमांड में भेजा था

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर की याचिका खारिज

सूत्रों ने बताया कि सिसोदिया के विभाग दिल्ली के कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत और राज कुमार आनंद को दिया जा सकते हैं। फिलहाल कोई नया मंत्री शपथ नहीं लेगा। सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि आपके लिए दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत याचिका सहित विभिन्न कानूनी उपाय उपलब्ध हैं।

सत्येंद्र जैन 30 मई से तिहाड़ जेल में बंद

सिसोदिया को सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश करने के बाद अदालत ने चार मार्च तक पांच दिन के सीबीआई रिमांड में भेजा था। सत्येंद्र जैन को 30 मई को गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से वह वह तिहाड़ जेल में बंद हैं।

18 विभाग संभालने की बात कर राहत मांग रहे थे सिसोदिया : रवि शंकर प्रसाद

भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने प्रेस वार्ता में कहा है कि सिसोदिया के अंदर थोड़ी भी नैतिकता होती तो वह आरोप लगने वाले दिन ही इस्तीफा दे देते। 18 विभाग संभालने की बात कर जेल जाने से राहत मांग रहे थे। जमानत नहीं मिलने पर इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफा देने के कारण नौ माह से जेल में बंद सत्येंद्र जैन को भी पद छोड़ना पड़ा। रवि शंकर प्रसाद ने कहा, वह बिना विभाग के मंत्री रहकर जेल में क्या कर रहे थे सभी ने देखा है। सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद उनके छह विभाग भी सिसोदिया ही संभाल रहे थे।

सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपए का चूना लगा

सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। यह भी आरोप है कि आबकारी विभाग ने निर्धारित नियमों के विरुद्ध एक सफल निविदाकर्ता को लगभग 30 करोड़ रुपए की बयाना जमा राशि वापस करने का निर्णय लिया था। सरकारी खजाने को नई आबकारी नीति से 144.36 करोड़ रुपए का चूना लगा है। दिल्ली के उपराज्यपाल की सिफारिश पर सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी।

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