Custom Duty On Rare Diseases: गंभीर व दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों पर कस्टम ड्यूटी फ्री, सस्ती होंगी दवाएं

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Most of the drug sellers in the district are doing business without standards, selling fake medicines fearlessly

आज समाज डिजिटल, Custom Duty On Rare Diseases: दुर्लभ और गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए बड़ी राहत की खबर है। भारत सरकार ने ऐसी दवाइयों पर कस्टम ड्यूटी को फ्री कर दिया है। वित्त मंत्रालय की ओर से गुरुवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई। इसके मुताबिक नेशनल पॉलिसी फार रेयर डिजीज 2021 के तहत केंद्र ने लिस्टेड सभी दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली इंपोर्टेड दवाइयों और स्पेशल फूड पर बेसिक कस्टम ड्यूटी खत्म कर दी है।

इन लोगों को मिलेगी काफी राहत

देश के उन लोगों को काफी राहत मिलेगी, जिनके परिवार का कोई सदस्य दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है और वे मंहगी दवाइयों और इलाज के उपकरणों के चलते दुर्लभ बीमारियों का इलाज नहीं करा पाते हैं। कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली पेम्ब्रोलिजुमाब (कीट्रूडा) पर भी सरकार ने छूट दी है।

एक अप्रैल से लागू होगी छूट

वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक इंपोर्ट ड्यूटी में छूट एक अप्रैल से लागू होगी। दवाओं पर आम तौर पर 10 फीसदी की बेसिक कस्टम ड्यूटी लगती है, जबकि लाइफ सेविंग ड्रग की कुछ कैटेगरी पर 5 फीसदी या 0 फीसदी का कंसेशनल रेट लगता है, जबकि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर पहले ही छूट मिल रही है। सरकार से अन्य दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर राहत की मांग की जा रही थी।

व्यक्तिगत आयातक भी उठा सकेंगे

वित्त मंत्रालय ने बताया कि इस छूट का लाभ व्यक्तिगत आयातक भी उठा सकेंगे, उन्हें इसके लिए केंद्र या राज्य स्वास्थ्य सेवा निदेशक या जिले के जिला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन से एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। छूट का फायदा उठाने के लिए, इंडिविजुअल इंपोर्टर को सेंट्रल या स्टेट डायरेक्टर हेल्थ सर्विस या डिस्ट्रिक्ट मेडिकल आफिसर/सिविल सर्जन से एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।

काफी महंगे होते हैं स्पेशल फूड

गौरतलब है कि दुर्लभ और गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं अथवा स्पेशल फूड काफी महंगे होते हैं और इन्हें इंपोर्ट भी करना पड़ता है। वित्त मंत्रालय ने कहा, अनुमान है कि 10 किलोग्राम वजन वाले बच्चे के लिए कुछ क्रिटिकल बीमारियों के इलाज की एनुअल कॉस्ट 10 लाख रुपए से एक करोड़ रुपए प्रति वर्ष से ज्यादा हो सकती है। इसमें ट्रीटमेंट जीवनभर चलता है।

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