CJI DY Chandrachud: देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सामने एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार सुबह कुछ ऐसी मांग रख दी जिससे सीजेआई नाराज हो गए और उन्होंने प्रक्रिया से खिलवाड़ की कोशिश करने वाले वकील को फटकार लगा दी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकील से कहा, मेरे अधिकार के साथ खिलवाड़ मत करो। बता दें कि हर सुबह सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ सुप्रीम कोर्ट की विभिन्न बेंच के सामने मामलों की तत्काल लिस्टिंग के लिए औसतन लगभग 100 मामलों की सुनवाई करती है। सीजेआई की पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल थे।
- जल्द तारीख पाने के लिए वकील को लगाई फटकार
- सीजेआई की नाराजगी को भांपते हुए खेद व्यक्त किया
पहले ही 17 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर रखा था मामला
सीजेआई की पीठ मंगलवार को सुबह जब ऐसा कर रही थी, तभी एक वकील ने जल्द तारीख पाने के लिए मामले का उल्लेख किया। जबकि वह मामला, सीजेआई ने पहले ही 17 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर रखा था। सीजेआई के एक बार इनकार करने के बाद भी जब वकील नहीं माना तो सीजेआई ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप भी मुझे क्षमा करें, लेकिन मेरे अधिकार के साथ खिलवाड़ न करें।
उन्होंने यह भी कहा कि मेरे साथ ये चाल मत चलिए। आप जल्दी तारीख के लिए यहां और फिर कहीं और इसका उल्लेख नहीं कर सकते। सीजेआई ने कहा कि हम 17 अप्रैल की तारीख दे रहे हैं और इस पर 17 को ही सुनवाई की जाएगी। जल्द तारीख पाने के लिए इसका कहीं अन्य उल्लेख न करें। आखिर में वकील ने सीजेआई की नाराजगी को भांपते हुए खेद व्यक्त किया और कहा कि उन्हें अपनी दलीलों के लिए माफ किया जाना चाहिए।
गंभीर श्रेणी के अपराधों की पहचान की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर अपराध के आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग वाली एक याचिका पर कहा कि केंद्र सरकार को यह पहचान करने की जरूरत है कि कौन से अपराध गंभीर की श्रेणी में आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है।
जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से कहा, सबसे पहले केंद्र को गंभीर अपराधों की पहचान करने की जरूरत है। ये परिभाषित होने चाहिए। इसके बाद हम जुलाई में इस पर सुनवाई करेंगे। वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर शीर्ष अदालत ने पिछले साल 28 सितंबर को इस मामले में विधि व न्याय मंत्रालय, गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था।
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