- निदेशक स्वास्थ्य सेवा (डीएचएस) ने पोलियो ड्रॉप पिलाकर राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत की।
- कोई भी बच्चा पोलियो रोधी दवा से वंचित न रहे
- पहले दिन 30176 शरणार्थियों ने जीवन की दो बूंद पी।
- बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने के लिए 19 व 20 सितंबर को 434 टीमें पांच लाख से अधिक घरों के दरवाजे खटखटाएंगी।
जगदीश, नवांशहर :
सिविल सर्जन डॉ. देविंदर ढांडा के कुशल नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग ने आज जिले में शून्य से पांच साल तक के बच्चों को पोलियो रोधी दवा पिलाने के लिए राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान शुरू किया है।
तीन दिवसीय अभियान का शुभारंभ
इस मौके पर पंजाब स्वास्थ्य सेवा (परिवार कल्याण) के निदेशक डॉ. रविंदरपाल कौर और सिविल सर्जन डॉ. देविंदर ढांडा ने आज उपमंडल अस्पताल बलाचोर में बच्चों को पोलियो की घातक बीमारी से बचाने के लिए पोलियो रोधी दवा पिलाकर आसमान में रंग-बिरंगे गुब्बारे छोड़ कर इस तीन दिवसीय अभियान का शुभारंभ किया. इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. डॉ. कुलदीप राय, जिला टीकाकरण अधिकारी। डॉ. बलविंदर कुमार, जिला परिवार कल्याण अधिकारी। डॉ. राकेश चंद्रा, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निगरानी चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुलविंदर मान। गगन शर्मा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक राम सिंह, पीए अजय कुमार एवं सुशील कुमार सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित थे।
कोई भी बच्चा पोलियो रोधी दवा से वंचित न रहे
डॉ. रविंदरपाल कौर ने स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा कि जिले में 0 से 5 साल की उम्र का कोई भी बच्चा पोलियो रोधी दवा से वंचित न रहे। कोरोना महामारी के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पोलियो की दवा पिलाई जाए। पोलियो की दवा पिलाते समय मास्क, सेनेटाइजर, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना चाहिए ताकि पोलियो और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरती जा सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि बूंदों को देते समय बच्चों को छुआ नहीं जाना चाहिए और बच्चों को उनके परिवार के सदस्यों की गोद में दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारा देश पोलियो मुक्त है। हालांकि हमारे देश में पिछले ग्यारह वर्षों से पोलियो का कोई मामला सामने नहीं आया है, फिर भी एहतियात के तौर पर बच्चों को दवा देना बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारे पड़ोसी देशों पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो वायरस का प्रसार जारी है। यह पोलियो वायरस हमारे देश में भी प्रवेश कर सकता है। इसे देखते हुए यह वायरस उन बच्चों के लिए खतरा पैदा कर सकता है जिन्होंने पोलियो रोधी दवा नहीं ली है। इसलिए पोलियो की दो बूंद बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए मैं जिले के सभी अभिभावकों से अपील करता हूं कि इन तीन दिनों में अपने शून्य से पांच साल के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाएं। माता-पिता अपने बच्चों को दवा दें भले ही बच्चा कुछ घंटों के लिए पैदा न हो या बच्चे को खांसी, जुकाम, बुखार, दस्त या कोई अन्य बीमारी हो, क्योंकि इस दवा को पीने से बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता।
पहले दिन 30176 शरणार्थियों ने जीवन की दो बूंद पी
सिविल सर्जन डॉ. देविंदर ढांडा ने कहा कि जिले में राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान के पहले दिन 30176 बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई और लक्ष्य का लगभग 54.02 प्रतिशत हासिल कर लिया गया है. जिले में राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान के दौरान 0 से 5 वर्ष तक के 55864 बच्चों को पोलियो रोधी दवा पिलाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि आज पोलियो की दवा से वंचित बच्चों को स्वास्थ्य विभाग की 434 टीमें 19 व 20 सितंबर को 1,37430 घरों में जाकर पोलियो की दवा पिलाएंगी।
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