National News | अजीत मेंदोला | नई दिल्ली। कांग्रेस संगठन में जल्द बड़ा फेरबदल हो सकता है।सूत्रों की माने तो पार्टी में बदलाव को लेकर मंथन शुरू हो गया है। इस फेरबदल का महासचिवों पर तो असर पड़ेगा ही साथ ही सचिव स्तर पर कई नियुक्तियां होंगी। ऐसे भी संकेत हैं पार्टी को नया उपाध्यक्ष भी मिल सकता है। सबसे अहम संगठन महासचिव पद को लेकर भी फैसला किया जा सकता है।अभी इस पद पर गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंद के सी वेणुगोपाल जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्हें बनाया रखा जाए या केरल जैसे अहम राज्य की जिम्मेदारी दी जाए फैसला गांधी परिवार को करना है।केरल में दो साल से भी कम समय में विधानसभा का चुनाव होना है।
कांग्रेस आज के दिन में वहां पर वापसी करती दिख रही है।इसके साथ गांधी परिवार की सदस्य प्रियंका गांधी को वायनाड से उप चुनाव भी लड़ना है।उनके भाई राहुल गांधी के लोकसभा सीट से इस्तीफे के बाद 6 माह के भीतर कभी भी वहां पर उप चुनाव होगा। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अक्टूबर नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही वायनाड का भी चुनाव कराया जाएगा।
वेणुगोपाल पर भी रहेगी नजर
राहुल के बाद प्रियंका के चुनाव लड़ने के फैसले के से केरल कांग्रेस के लिए बड़ा अहम हो गया है।इसके साथ आज के दिन में केरल ही एक मात्र ऐसा राज्य है जहां पर कांग्रेस वापसी की पूरी उम्मीद कर सकती है।पिछली बार पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था।केरल का मुख्यमंत्री जैसा अहम पद गांधी परिवार अपने किसी करीबी को ही देना चाहेंगे।ऐसे वेणुगोपाल को लेकर अहम फैसला पार्टी करेगी।
वेणुगोपाल की भी मर्जी पर निर्भर करेगा कि वह अभी जायेंगे या बाद में।लोकसभा चुनाव में पार्टी की भले ही 99 सीट आई हैं,लेकिन वह इसे बड़ी उपलब्धि बता कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है।इसलिए अब पार्टी संगठन को भी चुस्त दुरस्त कर बड़ा मैसेज देना चाहती है। मल्लिकार्जुन खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद कार्यसमिति की घोषणा को छोड़ पार्टी का पुनर्गठन अभी होना है।प्रदेशों के प्रभारियों के साथ कई प्रदेशों में नए अध्यक्ष की भी नियुक्ति होनी है।खास तौर पर जहां पर पार्टी की लोकसभा चुनाव में करारी हार हुई।
बदले जाएंगे प्रदेश अध्यक्ष
इनमें मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़,हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड,उड़ीसा जैसे राज्य तो हैं ही जहां पर दोनों तरह का बदलाव होना है।प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी दोनों बदले जा सकते हैं।दिल्ली में देवेंद्र यादव ही अध्यक्ष बनेंगे या कोई नया चेहरा आएगा इसका फैसला भी पार्टी को करना।हार वाले राज्यों की रिपोर्ट आने लगी हैं।अधिकांश रिपोर्ट में नेताओं ने एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ा है।पार्टी की दिक्कत यह है कि इन राज्यों में एक तो नेताओं की कमी है।
जो हैं उनमें आपस में ही खींचतान है।विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद पार्टी ने मध्यप्रदेश में तो जीतू पटवारी और उमंग सिंगार को जिम्मेदारी दी थी।प्रदेश अध्यक्ष पटवारी दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं तो सिंगार को राहुल का करीबी बताया जाता है। पहली बार ऐसा हुआ कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस लोकसभा की एक भी सीट नहीं जीत पाई।कोई फेस ऐसा है नहीं जो पार्टी को एक रख पाए।कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की पारी समाप्ति की ओर है।दोनों की चिंता बच्चे हैं।ऐसे संकेत हैं कि दिग्विजय सिंह और भूपेश बघेल को संगठन में वापस लाया जा सकता है।
गहलोत को मिलेगी अहम जिम्मेदारी
हार वाले राज्यों के अलावा दूसरे राज्य भी हैं जहां पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया। इनमें राजस्थान,महाराष्ट्र,हरियाणा और उत्तर प्रदेश।इन राज्यों के नेताओं को राष्ट्रीय संगठन में जगह दी जा सकती है। कांग्रेस का सबसे शानदार प्रदर्शन राजस्थान में रहा। 25 में से कांग्रेस ने गठबंधन में 11 सीट जीती। जिनमें 8 कांग्रेस के हिस्से में आई।इसलिए पूर्व सीएम अशोक गहलोत के केंद्रीय संगठन में वापसी के पूरे आसार हैं।देखना होगा कि पार्टी उन्हें क्या अहम जिम्मेदारी देती है।
सोनिया गांधी का राजस्थान से राज्यसभा आना और गहलोत को अमेठी की जिम्मेदारी देना।इससे माना जा रहा है गांधी परिवार का उन पर भरोसा बरकरार है। इसके साथ प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को नहीं छेड़ा जाएगा। हरियाणा से तो पहले से ही रणदीप सिंह सुरजेवाला और शैलजा हैं ही। उनके राज्य के प्रभार बदले जा सकते हैं। महाराष्ट्र से पृथ्वी राज चव्हाण की वापसी हो सकती है।अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की तो तैयारी पूरी है राहुल गांधी से फाइनल चर्चा कर कभी भी नई टीम की घोषणा हो सकती है।
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