अजीत मेंदोला |नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में बहुमत से चूक जाने के बाद आरएसएस ने अब हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में बीजेपी को जितवाने का जिम्मा ले लिया है। इसके लिए संघ के नेता अब सीधे बीजेपी नेताओं के साथ बैठक कर रणनीति बनाने में जुट गए हैं। सोमवार को देर रात हरियाणा को लेकर एक अहम बैठक 11 अशोका रोड वार रुम में हुई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में मुख्य रूप से अभी चुनावी मुद्दों पर हुई चर्चा हुई।
मेन फोकस नाराज किसानों, पहलवानों, बेरोजगार युवाओं और एसटी वर्ग को साधने पर है।इसके लिए आने वाले दिनों में राज्य और केंद्र सरकार कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकती हैं। पार्टी की सबसे ज्यादा चिंता हरियाणा को लेकर बनी हुई है।हालांकि हरियाणा धीरे धीरे बहुकोणीय मुकाबले की तरफ बढ़ रहा है। इंडिया घटक दल के ही दो दल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस चुनावी मैदान में आमने सामने लड़ेंगे।
आने वाले दिनों में सपा और टीएमसी ही आम आदमी पार्टी का साथ देते दिखाई दे सकते हैं। बाकी इनेलो और बीएसपी का गठबंधन है। जेजेपी अलग से मोर्चा संभालेगी। बहुकोणीय मुकाबले के बाद ही बीजेपी चिंतित है। चिन्ता की कई वजह हैं। एक तो बीजेपी सरकार की दस साल की एंटी इंकन्वेंसी। हालांकि आलाकमान ने लोकसभा चुनाव से पूर्व मनोहर लाल खट्टर को बदल नायाब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना एंटी इंकन्वेंसी खत्म करने की कोशिश की है।
सैनी ही अब चुनाव में पार्टी के सीएम फेस होंगे। इसके बाद लगातार दस साल से एक ही सीट से चुनाव जीत रहे मंत्रियों और विधायको को फिर से टिकट देने को लेकर भी एंटी इंकन्वेंसी खतरा बना हुआ है। हालांकि टिकटों का मामला पार्टी बाद में देखेगी। अभी पार्टी लोकसभा में आए निराशाजनक परिणामों की वजह तलाश उन्हें दूर करना चाहती है। जो रिपोर्ट आई हैं उनमें पिछले साल हुए किसान आंदोलन और पहलवानों के आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार ने जिस तरह का रुख अपनाया उससे जाटों में और सिक्खों में भारी नाराजगी आज भी बनी हुई है।
अग्निवीर योजना ने भी पार्टी को नुकसान पहुंचाया। हालांकि लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद राज्यों द्वारा पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स में आरक्षण की घोषणा कर अग्निवीर से नाराज युवाओं को रिझाने की कोशिश की है। लेकिन इससे अभी बात बनती दिख नहीं रही है। चिंता यही है कि किसान वर्ग और युवा वर्ग को कैसे राजी किया। इसके साथ दलित वोटर जो कांग्रेस की तरफ झुकता दिख रहा है उसको कैसे वापस लाया जाए। पार्टी का एक धड़ा मानता है कि दलित वोटर बंटेगा, लेकिन लोकसभा चुनाव में दलित ने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस को बड़ी संख्या में एक तरफा वोट किया है।
दलित,जाट और युवाओं का जिसे भी एक तरफा मिलेगा उसका पलड़ा भारी हो जाएगा। कांग्रेस को मुस्लिम वोट भी एक तरफा मिलेगा जो निर्णायक भूमिका निभाएगा। बीजेपी और संघ अब यही रणनीति बनाने में जुटे है कि किसी तरह से जाट, दलित, एसटी और मुस्लिम वोटरों को बांटा जाए। यही संकेत हैं इन वोटरों को साधने के लिए आने वाले दिनों में कुछ बड़ी घोषणाएं दोनों सरकारों की तरफ से हो सकती है।
सोमवार की बैठक में संघ और पार्टी के बड़े नेता शामिल हुए।इनमें अरुण कुमार, बी एल संतोष,केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश प्रभारी सतीश पूनिया, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी,प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली,सुरेन्द्र नागर, सांसद विप्लव देव,पवन जिंदल,प्रताप जी आदि शामिल हुए थे। हरियाणा के बाद जल्दी ही महाराष्ट्र और झारखंड के नेताओं के साथ इसी तरह की बैठक होगी।