अजीत मेंदोला | नई दिल्ली । राहुल गांधी ने बीते सप्ताह पार्टी संगठन में कुछ नई नियुक्तियां की और कुछ को हटाया।राहुल के इन बदलाव को लेकर नेताओं और कार्यकर्ताओं में बहस छिड़ी हुई है। कार्यकर्ताओं में छिड़ी बहस का अगर राहुल गांधी खुद आंकलन करें तो उन्हें पता चलेगा कि उन्होंने सही बदलाव नहीं किए। कार्यकर्ताओं में बहस छिड़ी हुई है कि क्या राहुल गांधी का अब उत्तर भारत के अपने नेताओं भरोसा नहीं रहा !

अजीत मेंदोला।

क्या वजह है कि राहुल गांधी दक्षिण भारत के नेताओं को अधिक और बड़ी जिम्मेदारी दे रहे हैं !राजस्थान कोटा के एक कार्यकर्ता ने इतना सटीक विश्लेषण किया है जो काफी हद तक सही भी है। दक्षिण के कर्नाटक से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आते हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के बाद दूसरा बड़ा पद संगठन महामंत्री का है जो केरल के केसी वेणुगोपाल के पास है। अध्यक्ष खरगे ने अपने राज्य कर्नाटक के अपने समर्थक सैयद नासिर हुसैन को पहले राज्यसभा दिलवाई अब राष्ट्रीय महासचिव बना जम्मू कश्मीर की जिम्मेदारी दे दी।

बीके हरिप्रसाद को हरियाणा की जिम्मेदारी दी गई

कर्नाटक से ही पुराने कांग्रेसी बीके हरिप्रसाद की संगठन में फिर वापसी की और उन्हें हरियाणा की जिम्मेदारी दी गई। इसी तरह कर्नाटक के कृष्ण अल्लावरू को बिहार का राष्ट्रीय प्रभारी बना दिया गया। राहुल गांधी ने यह सब कर्नाटक की सरकार बचाने के लिए किया या उत्तर भारत के नेताओं से भरोसा उठ गया बहस का विषय बन हुआ है।

कर्नाटक में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि राजस्थान के मोहन प्रकाश को कुछ माह पहले बिहार की जिम्मेदारी क्यों दी गई जब उन्हें बिना कारणों के हटाया जाना था। अल्लावरू अफसर रहे हैं गैर हिंदी भाषी राज्य से आते हैं और वह बिहार देखेंगे पार्टी का अजीब सा फैसला है।

राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश से हटाने को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं हैं। क्योंकि हिमाचल कांग्रेस की दूसरी सर्वोच्च नेता प्रियंका गांधी के करीब है। हिमाचल के सीएम की शिकायत पर राहुल ने कुछ कर्मचारियों पर एक्शन भी लिया है। हिमाचल का फैसला भी हैरान करने वाला है रजनी पाटिल को पहले हटाया फिर प्रभारी बना दिया।

राहुल गांधी ने राजू को झारखंड का प्रभारी बनाया

राहुल गांधी ने एक और दक्षिण भारतीय जो उनकी टीम के अहम सदस्य रहे हैं के राजू को झारखंड का प्रभारी बना दिया।राजू भी राजनीति में आने से पहले अफसर ही थे। पार्टी में डेवलपमेंट के कार्यक्रम चला रहे थे। राहुल गांधी ने हरीश चौधरी को पंजाब में हुई हार और चुनाव के समय लगे आरोपों के चलते प्रभारी पद से हटा दिया था। लेकिन अब फिर वापसी कर मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी दे दी।

अपने करीबी मित्र जितेंद्र सिंह से एमपी का प्रभार वापस ले लिया। मध्यप्रदेश में लगातार प्रभारी बदले जा रहे हैं।लेकिन जिस तरह से कांग्रेस में दक्षिण भारतीय नेताओं का दबदबा बढ़ा है उससे कार्यकर्ता और नेताओं में हैरानी है। क्योंकि उत्तर भारत में कांग्रेस खत्म होने की कगार पर है। प्रदेशों में भी कांग्रेस कमजोर हुई है।

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