- कांग्रेस में अंदरखाने कुछ भी ठीक नहीं
National News | अजीत मेंदोला | नई दिल्ली । कांग्रेस में इन दिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी और उनकी टीम ने गलत फैसले कर पार्टी को ऐसे संकट में डाल दिया है कि नेता और कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहे हैं क्या करें। नेता इस बात से चिंतित है कि आखिर राहुल गांधी चाहते क्या हैं?
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पार्टी लगातार हार से कमजोर होती जा रही है जिससे नेताओं और कर्मियों में डर खत्म हो गया।इसी के चलते राहुल गांधी को अपनी बहन प्रियंका गांधी के निजी स्टाफ को लेकर बड़ा एक्शन लेना पड़ा।
उत्तर प्रदेश में लगाए गए एक दो प्रभारी सचिव भी राहुल गांधी के रडार पर
जो जानकारी निकल कर बाहर आ रही उसमें निकाले गए कर्मियों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे हैं।ऐसे भी खबरें हैं कि उत्तर प्रदेश में लगाए गए एक दो प्रभारी सचिव भी राहुल गांधी के रडार पर हैं। समय रहते राहुल गांधी ने स्थिति को संभाल लिया वर्ना पार्टी के लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाता।
यह स्थिति कमजोर होते संगठन के चलते ही घटी।क्योंकि नए नेताओं और कर्मियों में डर खत्म हो गया।कर्मियों में भी आपस में खींचतान चल रही है।इसके साथ नए मुख्यालय बनाम पुराने मुख्यालय के बीच तनातनी भी पार्टी हित में नहीं मानी जा रही है।पार्टी के अधिकांश पदाधिकारी चुपचाप नए कार्यालय में बैठने लगे हैं।
लेकिन वह अपना निजी स्टाफ और कार्यकर्ताओं को अपनी मर्जी से अंदर नहीं बुला सकते हैं।उन्हें वहां तैनात जूनियर लोगों से अनुमति लेनी पड़ती।पार्टी में अफरा तफरी का माहौल है।बड़े नेता ने मौन हैं ।राहुल गांधी ने संगठन में फेरबदल तो किया है,लेकिन उसमें भी प्रयोग ही ज्यादा दिखता है।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल को महासचिव बना पंजाब की जिम्मेदारी दी
के सी वेणुगोपाल संगठन महासचिव पद पर बरकरार हैं।जयराम रमेश भी बने हुए है।छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को जरूर महासचिव बना पंजाब की जिम्मेदारी दी गई है। देवेंद्र यादव को पंजाब प्रभारी पद से हटा दिए गए।लेकिन ऐसा कोई संदेश नहीं गया है कि संगठन में सुधार होगा।
पुराने अनुभव वाले लोगों में वी के हरिप्रसाद की जरूर वापसी हुई है।ये टीम कितना असर डालेगी समय बताएगा।उन्हें हरियाणा दिया गया।प्रियंका गांधी अभी भी बिना प्रभार के महासचिव हैं। राहुल गांधी ने जिन्हें भी मौका दिया उनमें असफल नेता ज्यादा है।राहुल के लिए चुनौतियां कम होंगी लगता नहीं है। पार्टी में प्रियंका गांधी के स्टाफ के मामले ने भी राहुल की परेशानी बढ़ाई है।
पार्टी के एक बड़े नेता के आगाह करने पर मामले सामने आए हैं।प्रियंका ने मामला गंभीर देख भाई को जानकारी दी।प्रियंका के स्टाफ कर्मी और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव स्तर के नेता के कई मामले सामने आए हैं । सूत्रों का कहना है कि हिमाचल से लेकर उत्तर प्रदेश तक जमीन के सौदे की बात हो रही है। सूत्रों का यहां तक कहना है कि राहुल के एक स्टाफ द्वारा घपलों पर नजर रखी जा रही थी।
राहुल गांधी के कड़े एक्शन के बाद उम्मीद की जा रही है कि आरोपियों को धीरे धीरे साइड कर दिया जाएगा।लेकिन असल सवाल यही है कि पार्टी जिस ढर्रे पर चल रही उसमें कब सुधार होगा। क्योंकि पिछले दिनों संसद के अंदर बाहर कुछ ऐसी घटनाएं हुई जो चिंता बढ़ाने वाली हैं।
सोनिया गांधी ने संविधान के सर्वोच्च पद पर बैठी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू पर टिप्पणी कर डाली
अपने 25 साल के राजनीतिक कैरियर में पहली बार सोनिया गांधी जैसी नेता को विरोधियों के हमले झेलने पड़े। अपने बेटे राहुल गांधी के जोश दिलाने पर सोनिया गांधी ने संविधान के सर्वोच्च पद पर बैठी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू पर टिप्पणी कर डाली। जबकि इससे पूर्व सोनिया गांधी ने कभी भी विवादास्पद किसी के लिए सीधे तौर पर टिप्पणी नहीं की थी।इसका असर यह हुआ कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में बोल रहे थे तो सोनिया गांधी सदन में मौजूद नहीं थी।
शीतकालीन सत्र में भाषण दे चर्चा में आई प्रियंका गांधी को इस बार बोलने का मौका नहीं दिया गया।ये ऐसे मामले हैं जो कई तरह के सवाल खड़े करते हैं।दिल्ली में हुई हार के बाद ने संगठन में कुछ बदलाव शुरू किए लेकिन इन बदलाव से कोई संदेश जा नहीं रहा है।पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दस जनपथ से बंधे हुए हैं इसलिए उन्हें जो आदेश होता है उसकी वह पालना करते हैं।
उनसे ज्यादा ताकतवर संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल को माना जाता है।लगातार हार और कमजोर होते संगठन को राहुल गांधी हल्के में ले रहे हैं। दिल्ली की हार के बाद सहयोगी दल भी दूरी बनाते दिख रहे हैं।अजीब सी स्थिति कांग्रेस के लिए बन गई है। इससे कांग्रेस की चुनौती लगातार बढ़ेगी।इसी साल में बिहार का चुनाव है फिर अगले साल कई राज्यों के चुनाव होंगे।2027 में तो सेमीफाइनल होगा।जो कांग्रेस के अभी हालात हैं वह परेशानी ही बढ़ाने वाले है।
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