National News : President Draupadi Murmu की तीन देशों की यात्रा ने भारत-अफ्रीका संबंधों में नए मानदंड स्थापित किए

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National News : President Draupadi Murmu की तीन देशों की यात्रा ने भारत-अफ्रीका संबंधों में नए मानदंड स्थापित किए
National News : President Draupadi Murmu की तीन देशों की यात्रा ने भारत-अफ्रीका संबंधों में नए मानदंड स्थापित किए

National News | President Draupadi Murmu | डॉ. जगदीप सिंह | नई दिल्ली | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तीन देशों अल्जीरिया, मॉरिटानिया और मलावी की अपनी यात्रा ने भारत-अफ्रीका संबंधों में नए मानदंड स्थापित किए। यह किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष की तीन अफ्रीकी देशों की पहली यात्रा थी।

भारत का अफ्रीकन राष्ट्रों के प्रति दृष्टिकोण अफ्रीकी महाद्वीप और भारत के बीच हजारों वर्ष पुराने ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सम्बंध दर्शाता है। भारत के ऐतिहासिक संबंध मुख्य रूप से पूर्वी अफ्रीका के साथ रहे हैं।

Dr. Jagdeep Singh
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हालांकि, आधुनिक दिनों में राजनयिक और वाणिज्यिक प्रतिनिधित्व के विस्तार के साथ, भारत ने अब अधिकांश अफ्रीकी देशों के साथ संबंध विकसित किए हैं। भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना। भारत ने स्वेच्छा से अफ्रीका महाद्वीप के साथ सम्बंध बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।

अफ्रीका भारतीय व्यवसायों के लिए एक आकर्षक बाजार है

2023 में 4% की अनुमानित जीडीपी वृद्धि और 2022-23 में 98 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचने वाला द्विपक्षीय व्यापार, अफ्रीका भारतीय व्यवसायों के लिए एक आकर्षक बाजार है। अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (AfCFTA) 1.3 बिलियन लोगों का एकीकृत बाजार बनाता है, जो निर्यात और निवेश संभावनाओं को बढ़ाता है।

अफ्रीका के 54 राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक महत्वपूर्ण समूह बनाते हैं, जो भारत की अधिक वैश्विक प्रतिनिधित्व की आकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ्रीकी प्रतिनिधित्व के लिए भारत का समर्थन और भारत की 2023 की अध्यक्षता के दौरान जी-20 में अफ्रीकी संघ की स्थायी सदस्यता इस रणनीतिक साझेदारी को उजागर करती है।

अफ्रीका भारत की तेल मांग का लगभग 15% आपूर्ति करता है और अफ्रीका का पूर्वी तट हिंद महासागर में भारत के समुद्री हितों के लिए महत्वपूर्ण है। रक्षा समझौते और संयुक्त नौसैनिक अभ्यास, जैसे कि भारत-मोजाम्बिक-तंजानिया त्रिपक्षीय अभ्यास, क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाते हैं और समुद्री व्यापार की रक्षा करते हैं।

अफ्रीका में 3 मिलियन की संख्या में रहने वाले भारतीय प्रवासी मजबूत सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देते हैं। प्रवासी भारतीय दिवस जैसी पहल का उद्देश्य आपसी लाभ के लिए इस समुदाय के प्रभाव का लाभ उठाना है।

अफ्रीका को ‘अंध’ महाद्वीप के रूप में जाना जाता है। क्योंकि लंबे समय तक इसकी खोज नहीं की जा सकी थी। अफ्रीका में सबसे बड़ा मरुस्थल, उच्च पठारी क्षेत्र शामिल हैं, यहां बहुत अधिक प्राकृतिक बंदरगाह नहीं हैं तथा जलवायु ऊष्ण और आर्द्र है, जिसने विदेशियों को महाद्वीप में प्रवेश करने और पता लगाने में असमर्थ बना दिया।

भारत ओर अफ्रीकन राष्ट्रों मे सभ्यता और ऐतिहासिक रिश्ते, उपनिवेशवाद के खिलाफ राजनीतिक और जज्बाती एकजुटता, एक दूसरे के यहां अपने नागरिकों के बीच सद्भावना और विकासशील देशों के बीच सहयोग का असली जज्बा- भारत और अफ्रीकी महाद्वीप के बीच पुराने, मौजूदा और भविष्य की साझेदारी और रिश्तों को परिभाषित करने और उनका जश्न मनाने के लिए ऐसी ही मिसालें दी जाती हैं।

भारत और अफ्रीकी देश इस समय, स्वास्थ्य क्षेत्र, डिजिटल और हरित विकास जैसे सेक्टर के विकास पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे : विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर

उपनिवेशवाद के खिलाफ साझा संघर्ष के दिनों से लेकर विकासशील देशों के बीच सहयोग की बुनियाद पर टिकी इक्कीसवीं सदी की बहुआयामी साझेदारी वाले भारत और अफ्रीका के रिश्तों ने अब तक काफी लंबा सफर तय किया है विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर  ने ये कहा था कि भारत और अफ्रीकी देश इस समय, स्वास्थ्य क्षेत्र, डिजिटल और हरित विकास जैसे सेक्टर के विकास पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे हैं।

अफ्रीकी देशों की नीतिगत प्राथमिकताओं और जरूरतों को भारत सरकार ने लगातार तवज्जो दी है। भारत ने अफ्रीका के साथ रिश्ते मजबूत करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, कृषि, रक्षा और सुरक्षा, विज्ञान एवं तकनीक, क्षमता के निर्माण और मूलभूत ढांचे के विकास जैसी मदद मुहैया कराई है, कोविड-19 महामारी ने विकास संबंधी इस साझेदारी को और मजबूती दी, जो ‘कंपाला सिद्धांतों’ की दिखाई हुई राह पर चल रही है।

इन 10 सिद्धांतों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 मे युगांडा की संसद में अपने भाषण में विस्तार से चर्चा की थी। मोटे तौर पर ये दस सिद्धांत, अफ्रीकी देशों के विकास के लिए भारत के सहयोग का नजरिया स्पष्ट करते हैं यहां तक कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारत, अफ्रीका के साथ पूरी मजबूती से खड़ा रहा था।

दोनों पक्षों ने एक दूसरे के यहां मौजूद अपने नागरिकों को विशेष उड़ानों से स्वदेश भेजने के काम को बड़ी आसानी से निपटाया था। इसके अलावा, अपने यहां टीकों की कमी के बाद भी भारत ने अपनी पूरी क्षमता से अफ्रीकी देशों को कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध कराने की कोशिश की।

इसमें 25 अफ्रीकी देशों को 50 लाख डॉलर की मदद और 42 अफ्रीकी देशों को कोविड-19 के स्वदेश में बने टीकों की 3.965 करोड़ खुराक मुहैया कराना शामिल है भारत की तरक्की का मॉडल, अफ्रीकी देशों के लिए विकास के पैकेज, तकनीक देने और हुनर उपलब्ध कराने और मूलभूत ढांचे के विकास का वो विकल्प है, जो अफ्रीकी देशों की जरूरतों और प्राथमिकताओं के अनुरूप है।

इसकी एक और खासियत ये है कि चीन और कुछ अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में भारत ये मदद बिना शर्त देता है। भारत और अफ्रीका के बीच निवेश वाला संबंध भी तेजी से बेहतर हो रहा है। ये निवेश हरित क्षेत्र के अलावा पारंपरिक उद्योगों में भी हो रहा है। अप्रैल 1996 से मई 2023 के बीच भारत का अफ्रीका में कुल व्यापार 89.5 अरब डॉलर था।

भारत और अफ्रीका के बीच निवेश वाला संबंध भी तेजी से बेहतर हो रहा

भारत ने सबसे ज्यादा निवेश भी मॉरीशस, मोजांबीक, सूडान, मिस्र और दक्षिण अफ्रीका में किया है। भारत और अफ्रीका के बीच निवेश वाला संबंध भी तेजी से बेहतर हो रहा है ये निवेश हरित क्षेत्र के अलावा पारंपरिक उद्योगों में भी हो रहा है। अप्रैल 1996 से मार्च 2022 के बीच भारत का अफ्रीका में कुल निवेश 73.9 अरब डॉलर था।

इस तरह से अफ्रीका में निवेश करने वाला भारत चौथा बड़ा देश बन गया है अगर भारत, अफ्रीका के साथ अपना व्यापार और निवेश का रिश्ता और आगे ले जाना चाहता है तो उसे इसके लिए एकीकृत नजरिया अपनाना होगा इसका मतलब, अफ्रीकी देशों को वैश्विक मूल्य आधारित श्रृंखलाओं (GVC) से जोड़ना, अफ्रीका की कनेक्टिविटी और मूलभूत ढांचे को मजबूत बनाना और अफ्रीका में व्यापार व वित्तीय पूंजी का जुगाड़ करना है।

भारत के निजी क्षेत्र के लिए ऐसे तमाम अवसर हैं, जहां वो दूसरे और तीसरे स्तर के अस्पताल और लैब अफ्रीका में खोल सकती हैं। अफ्रीका का दवा उद्योग अभी भी बहुत शुरूआती दौर में है और ये भारत के दवा उद्योग के लिए बड़ा अवसर है।

क्योंकि भारतीय दवा कंपनियां बेहद कम दाम पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करा सकती हैं भारत की विदेश नीति के एक विद्वान रजाउल करीम लस्कर के अनुसार, “अफ्रीकी देश वर्तमान में विकास के ऐसे चरण पर हैं जब भारत उन्हें प्रतिस्पर्धी कीमतों पर सबसे उपयुक्त तकनीक मुहैया कर सकता है।

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