• गैर सनातनी होने का लगेगा आरोप

National News | अजीत मेंदोला । नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ पर जो कुछ बोला उससे साफ है कि बीजेपी आने वाले चुनाव में इसे अहम मुद्दा बनाएगी। इसमें कोई दो राय नहीं है कि महाकुंभ के सफल आयोजन से जहां भारत की धाक दुनिया में जमी वहीं सनातन धर्म को लेकर भी बड़ा संदेश गया।

दुनिया ने सनातन धर्म की ताकत को स्वीकारा। कई देशों की आबादी मिला कर उससे भी ज्यादा 66 करोड़ लोगों द्वारा एक जगह पर डुबकी लगाना आसान आयोजन नहीं था। छिटपुट घटना को छोड़ आयोजन पूरी तरह से सफल माना गया। नई पीढ़ी ने बताया कि उनकी धर्म में कितनी आस्था है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने संबोधन में नई पीढ़ी का जिक्र बताया कि महाकुंभ का विराट स्वरूप पूरी दुनिया ने देखा।

महाकुंभ से एकता के अमृत के साथ कई अमृत निकले। पूरे देश के लिए गर्व की बात है। वाकई इतना बड़ा आयोजन देश के लिए गर्व की बात है भी। लेकिन कांग्रेस ने पीएम के भाषण में खोट निकाल हैरान कर दिया। कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल का यह कहना की पीएम को भगदड़ के मृतकों को भी श्रद्धांजलि देनी चाहिए थी।

राहुल ने अपने एक्स पर यह क्यों बोला समझ से परे है। इससे बचा जा सकता था । क्योंकि कांग्रेस के पास गलती सुधारने का यह बड़ा मौका था। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जैसे नेता ने कुंभ पर सवाल उठा गलत संदेश दिया था। इससे बीजेपी को कांग्रेस को गैर सनातनी बोलने का मौका मिला। बीजेपी लगातार कांग्रेस पर गैर सनातनी होने का आरोप लगाती भी रही है। कुंभ पर टिप्पणी उसकी पुष्टि करती है।

राहुल गांधी तो महाकुंभ के बाद भी स्नान करने नहीं गए

यही नहीं टिप्पणी करने वाले लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी तो महाकुंभ के करीब जाने के बाद भी स्नान करने नहीं गए। राहुल गांधी दो दिन अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में रहे वहां घूमे लेकिन बगल में चल रहे महाकुंभ में स्नान करने नहीं गए। जबकि रायबरेली से प्रयागराज की दूरी महज 70 किलोमीटर की है।

राहुल जैसे वीआईपी नेता तो आधे घंटे में दूरी तय कर आसानी से स्नान कर वापस आ सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनकी बहन प्रियंका गांधी जिन्होंने अपनी राजनीति की शुरूआत रायबरेली अमेठी से की। पिछले विधानसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश की प्रभारी भी रहीं। उन्होंने और उनके पति राबर्ट वाड्रा ने भी कुंभ से दूरी बनाए रखी।

जबकि वाड्रा अपने को शिवभक्त बताते हैं। प्रियंका भी चुनाव के समय मंदिरों के दौरे कर अपने को सच्चा सनातनी बताती रही हैं। लेकिन पूरे गांधी परिवार ने भी कुंभ से दूरी बना बीजेपी को बोलने का बड़ा मौका दे दिया।

यह ठीक बात है कि दूसरे दलों के भी कई नेता कुंभ में नहीं गए, लेकिन कांग्रेस जिसे उत्तर प्रदेश समेत सभी हिंदी प्रदेशों की राजनीति करनी है उसने बड़ा मौका तो गंवा ही दिया। अभी भले ही कांग्रेस के रणनीतिकारों को लग रहा हो 2027 चुनाव आने तक सब भूल जाएंगे।

लेकिन ऐसा होगा नहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में मंगलवार को जो बोला वह शुरूआत है। हिंदी राज्यों में बीजेपी बड़ी उपलब्धि के रूप में इसे भुनाएगी यही दो साल बाद होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव में महाकुंभ बड़ा और अहम मुद्दा होगा।

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