National News : सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, विपक्ष आमजन के मुद्दों को भूल भटकाव की ओर

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National News : सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, विपक्ष आमजन के मुद्दों को भूल भटकाव की ओर
National News : सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, विपक्ष आमजन के मुद्दों को भूल भटकाव की ओर

National News | अजीत मेंदोला | नई दिल्ली। शीतकालीन सत्र के हंगामे से एक बात तो साबित हो गई कि विपक्ष को किसानों और आम आदमी के मुद्दों से कोई लेना देना नहीं है। खासतौर पर किसानों के प्रति कोई हमदर्दी नहीं है।इसलिए सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला विपक्ष भटकाव की राजनीति कर रहा है। जबकि विपक्ष की असल जिम्मेदारी किसानों और आम आदमी से जुड़े मुद्दों को संसद में उठा सरकार से सवाल पूछना होता है।

लेकिन पिछले कुछ समय से संसद में जो हो रहा है वह हैरान करने वाला है। सबसे बड़ी बात प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के समय किसानों को लेकर तमाम बैठकें कि, सरकार पर तमाम आरोप लगाए। राहुल ने किसानों के साथ बैठक कर भरोसा दिया कि उनकी सरकार आयेगी तो सब मांगे मानेंगे आदि आदि। यही नहीं जब किसानों ने लगातार दो साल तक धरना दे बड़ी संख्या में जान गंवाई तो लगा कि विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया।लेकिन विपक्ष ने उसे गंभीरता से ही नहीं लिया।

कांग्रेस और पूरा विपक्ष आम जन से जुड़े मुद्दों को छोड़ जातपात की राजनीति करने लगा

देखा जाए तो बहुत बड़ा मुद्दा था भी।लेकिन कांग्रेस और पूरा विपक्ष आम जन से जुड़े मुद्दों को छोड़ जातपात की राजनीति करने लगा। कांग्रेस ने तो संविधान खत्म होने को लेकर ऐसा हो हल्ला मचाया कि जैसे संविधान कल ही बदला जाने वाला है। आरक्षण खत्म हो जाएगा। 80% आरक्षण देंगे। आम जन से जुड़े महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दे गायब हो गए।फिर वही हुआ जो तय दिख रहा था।

विपक्ष बीजेपी के बिछाए जाल में फंस गया। लोकसभा में तोड़ी बहुत जो आक्सीजन मिली थी वह हरियाणा और महाराष्ट्र की हार ने खत्म कर दी। हैरानी की बात यह है कि सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस यह समझ ही नहीं पाई कि आमजन से जुड़े मुद्दों के बिना काम नहीं चलेगा। सो शीतकालीन सत्र में कांग्रेस ने फिर ऐसा रास्ता पकड़ लिया जिसमें वह अकेली पड़ गई।उद्योगपति गौतम अडानी को लेकर राहुल गांधी और पहली बार लोकसभा में पहुंची प्रियंका गांधी दोनों पूरी पार्टी के साथ अडानी मुद्दे पर सरकार पर हमलावर हो गए।पिछले दो हफ्ते सदन में कामकाज नहीं हो पाया।

राहुल गांधी अडानी के मुद्दे पर अड़े तो दोनों सदनों का काम काज प्रभावित हो गया

जनता का करोड़ों रूपये बर्बाद हो गए। राहुल गांधी अडानी के मुद्दे पर अड़े तो दोनों सदनों का काम काज प्रभावित हो गया।इसी टकराव में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को कांग्रेस ने मुद्दा बना लिया। 18 वीं लोकसभा के गठन के बाद से कांग्रेस दोनों सदनों में जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पा रही है।

हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने संसद के जो दो सत्र हुए उनमें गतिरोध पैदा करने के अलावा कोई काम नहीं किया।सभापति धनखड़ और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बीच बजट सत्र में काफी तनातनी भी हुई।लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीतने के चलते कांग्रेस और पूरा विपक्ष मान बैठा था कि यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चलेगी।इसलिए विपक्ष का रवैया विरोध वाला ही था।

लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा की जीत से राजग सरकार को फिर ताकत मिल गई।लेकिन हार के बाद भी कांग्रेस सबक लेने को तैयार नहीं हुई।हालांकि बाकी विपक्षी दलों की समझ में आ गया कि राहुल गलत ट्रेक पर चल रहे हैं।इसलिए कांग्रेस से पीछा छुड़ाना शुरू कर दिया।

लेकिन एक मामले में विपक्ष से फिर चूक हो गई।वह चूक है सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना।विपक्ष ने जो प्रस्ताव दिया है उसमें सोनिया गांधी समेत कई सांसदों के हस्ताक्षर नहीं है।

विपक्ष खुद ही अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गंभीर नहीं

मतलब साफ है कि विपक्ष खुद ही अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गंभीर नहीं है।जानने के बाद भी कि प्रस्ताव गिरेगा विपक्ष गलत परंपरा को जन्म देने में अडिग है।फिर भी हो हल्ला कर कामकाज नहीं होने दे रहा है। संसद में व्यवधान डाल विरोध के लिए विरोध की राजनीति हो रही।

कांग्रेस और सपा जैसे दलों को संभल की हिंसा की चिंता है।लेकिन हरियाणा और यूपी बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की किसी को कोई चिंता नहीं है। अपने अपने हितों की राजनीति हो रही है।राहुल अडानी को लेकर राजनीति कर रहे हैं तो सपा संभल को लेकर।

टीएमसी के अपने लोकल मुद्दे हैं। बाकी दल विरोध के लिए हो हल्ले में शामिल हो रहे हैं।सभापति के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय है।लेकिन विपक्ष जो राजनीति कर रहा है वह किसी भी लिहाज से लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।बहुमत की सरकार को काम नहीं करने देने का खामियाजा विपक्ष को ही भुगतना पड़ेगा।

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