अजीत मेंदोला। (National News) नई दिल्ली। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्या एक बार फिर गांधी परिवार के लिए संकट मोचक बनेंगे? गांधी परिवार आज जिस तरह से घिरता जा रहा है उसमें गहलोत जैसे नेता की पार्टी को जरूरत है।जानकार मानते हैं राजनीतिक सूझबूझ के मामले में गहलोत की कोई बराबरी नहीं है।खास तौर पर कांग्रेस में। संसद में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर जिस तरह से हमले हुए पार्टी नेता ठीक से बचाव नहीं कर पाए।सूत्रो की माने तो सोरोस मामले में ठीक से बचाव न करने पर सोनिया अपने नेताओं पर नाराज भी हुई।अब राहुल को जिस तरह से घेरा गया उससे भी सवाल उठे हैं।
हालांकि आज के दिन कोई जिम्मेदारी न होने के बाद भी गहलोत अपने नेता राहुल गांधी और प्रियंका पर राजनीतिक हमला होने की खबर मिलते ही तुरंत जयपुर से दिल्ली पहुंच गए।इसके बाद केंद्र की राजग सरकार और बीजेपी के खिलाफ निकाले गए मार्च में शामिल हुए।यही नहीं आगे की रणनीति के लिए बुलाई गई बैठकों में भाग लिया।कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी,राहुल गांधी,प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से चर्चा की।इससे पूर्व शुक्रवार को दिल्ली पहुंचते ही गहलोत ने अपने एक्स पर बीजेपी पर बड़ा हमला बोला।
गहलोत ने कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार देखा गया है कि सत्ताधारी सांसद बाहुबल के दम पर विपक्षी सांसदों को सदन में प्रवेश करने से रोका हो और दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष के साथ धक्का-मुक्की कर उन्हें चोट पहुंचाने का प्रयास किया हो।इसके बावजूद भाजपा पूरी बेशर्मी के साथ राहुल गांधी पर आरोप लगा रही है। सब जानते हैं कि राहुल गांधी की सोच, व्यवहार एवं चिंतन सच्चाई की राह पर चलकर मानवमात्र की सेवा करने का है। अहिंसा, प्यार, मोहब्बत एवं भाईचारा के साथ जनसेवा करना उनकी प्रतिबद्धता में शामिल है।
अन्यथा ऐसे ही कोई 4,000 किलोमीटर की यात्रा नहीं कर सकता।गहलोत ने कहा कि गांधी परिवार का अंहिसा में इतना विश्वास है कि राजीव गांधी के हत्यारों के मृत्युदंड को भी माफ कर दिया था। राहुल गांधी पर सुबह आरोप लगाए गए और शाम को एफआईआर दर्ज कर ली गई जो दिखाता है ये साजिश के तहत किया गया कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी एवं अन्य सांसदों के साथ भाजपा सांसदों ने जो बदसलूकी और धक्का-मुक्की की उसका कोई जिक्र ही मीडिया में नहीं है। कल से आज तक इस घटना के सीसीटीवी फुटेज क्यों जारी नहीं किए गए? कहीं ऐसा तो नहीं इन फुटेज से भाजपा की सहूलियत के मुताबिक छेड़छाड़ कर जारी किया जाएगा?यह बहुत बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है जिसमें सरकार, अधिकारी एवं मीडिया मिलकर राहुल गांधी के खिलाफ दुष्प्रचार करने में जुटे हैं।
परन्तु देश की जनता राहुल गांधी को पहचानती है इसलिए इस दुष्प्रचार का कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। दरअसल गहलोत पार्टी के संकट मोचक माने जाते रहे हैं।समय समय पर उन्होंने मौका मिलने पर अपना फर्ज भी निभाया।इसी के चलते गांधी परिवार उन पर भरोसा भी करता है।2022 में जब पार्टी उत्तर प्रदेश जैसे कई प्रमुख राज्यों में चुनाव हार गई थी तो गहलोत ने उदयपुर में संकल्प शिविर का आयोजन कर पार्टी के भीतर गांधी परिवार के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबा दिया था।संकल्प शिविर से पूरी पार्टी को संदेश दे दिया था कि गांधी परिवार के खिलाफ कोई कुछ नहीं बोलेगा।राहुल गांधी ही पार्टी के सर्व मान्य नेता हैं।
उस समय असंतुष्ट नेताओं का ग्रुप 23 बना था जो पार्टी में बदलाव की बात उठा रहा था।इसके बाद जब ईडी ने उनके नेता राहुल गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया तो उस समय दिल्ली में किए गए प्रदर्शन और आंदोलन का नेतृत्व गहलोत ने किया था। सीएम रहते हुए पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी लिया था।इसके बाद गांधी परिवार ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के संकेत दिए थे।
लगभग तय भी हो गया था कि गहलोत अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे,लेकिन दिल्ली और मध्यप्रदेश के कुछ नेताओं ने ऐसी साजिश की कि उन्हें अध्यक्ष बनने से रोक दिया।इसके बाद गहलोत सक्रिय हैं।पार्टी आलाकमान उन्हें चुनाव वाले राज्यों की जिम्मेदारी देता रहता है।अमेठी,हरियाणा और महाराष्ट्र में उन्होंने जिम्मेदारी संभाली।लेकिन जैसे ही संसद की घटना घटी वह दिल्ली पहुंच सक्रिय हो गए
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