- प्रदेश से चयनिका, दिव्या मदेरणा, कृष्णा पूनिया और मुकेश भाकर सचिव पद के लिए लगा रहे चक्कर
- जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर सचिवों की होगी नियुक्ति
अजीत मेंदोला | जयपुर। कांग्रेस के केंद्रीय संगठन में जगह पाने को लेकर राजस्थान के कई युवा नेताओं में पद पाने की कोशिशें शुरू हो चुकी है। इनमें जाट नेताओं की संख्या ज्यादा है। इन नेताओं को लगता है कि कांग्रेस को जाटों पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखने के लिए केंद्र में जगह देनी चाहिए। राजस्थान से पहले हरीश चौधरी सचिव थे, जिन्हें बाद में हटा दिया गया। उस जगह को पाने के लिए दिव्या मदेरणा, कृष्णा पूनिया और मुकेश भाकर पूरी कोशिश में लगे हैं। हर नेता अपने हिसाब से दिल्ली में लॉबिंग कर रहा है।
इनके साथ कुछ और नेता भी सचिव पद की दौड़ में लगे हैं। महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव चयनिका उनियाल, पूर्व विधायक दानिश अबरार अपने राजनीतिक अनुभव के चलते संगठन में पद की उम्मीद कर रहे हैं। चयनिका छात्र राजनीति से होते हुए पार्टी के सभी अग्रिम संगठनों की जिम्मेदारी निभाते हुए महिला कांग्रेस तक पहुंची हैं। वह आजकल पार्टी के मीडिया पैनल में भी हैं।
दरअसल, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपनी नई टीम में अभी सचिव स्तर पर कई नियुक्तियां करनी हैं। हालांकि प्रदेश प्रभारी स्तर भी कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इनके साथ जिन राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में अच्छा नहीं रहा, वहां पर भी बदलाव के आसार हैं। राजस्थान में तो फिलहाल किसी प्रकार का कोई बदलाव होता दिखाई नहीं दे रहा है। अब इस बात पर नजर है कि प्रदेश से कौन—कौन राष्ट्रीय संगठन में जगह पाता है।
जाट नेता इसलिए सक्रिय हैं क्योंकि पार्टी राजस्थान और हरियाणा में अपनी मजबूत पकड़ को कमजोर नहीं करना चाहती है। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के पास बड़े जाट नेता का अभाव भी है। कभी नटवर सिंह, बलराम जाखड़, रामनिवास मिर्धा और शीशराम ओला जैसे ताकतवर नेता होते थे। हालांकि बदलती कांग्रेस में आज अनुभवी नेताओं की उस तरह की कतार नहीं दिखाई दे रही है, जैसी दो दशक पहले होती थी।
खड़गे ने खुद को फिट किया है नई युवा कांग्रेस में
राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ही अकेले ऐसे नेता हैं जो अपने को नई युवा कांग्रेस में फिट रखे हुए हैं। हालांकि फैसले करने के मामले वह जैसे फैसले करना चाहते हैं, वैसे कम ही कर पाते हैं। खड़गे की पूरी तरह से चलती तो नई टीम कभी की घोषित हो जाती है। फैसला आखिर में राहुल गांधी ही करते हैं, लेकिन खड़गे ने जो तय कर लिया राहुल उसे कम ही बदलते हैं।
राजस्थान समेत कई राज्यों के युवा चेहरे इसी उम्मीद से दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं कि किसी तरह से कोई जुगाड़ मिल जाए। लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद तो पद पाने वालों की संख्या बढ़ गई है। प्रदेश कार्यकारिणी में कार्यरत कई नेताओं के साथ दूसरे नेता भी कांग्रेस की सूची की इंतजार कर रहे हैं कि क्या पता उसमें उनका नाम आ जाएगा। राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश की कतार बड़ी है।
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