(National News) अजीत मेंदोला। नई दिल्ली : पंजाब में आंदोलनकारी किसानों को शंभु बोर्डर से जबरन हटाए जाने के मामले से जहां राज्य की राजनीति गरमा गई है वहीं दिल्ली में भी आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।निशाने पर पंजाब सरकार के साथ आम आदमी पार्टी भी आ गई है।इस घटना से मुख्यमंत्री भगवंत मान की चुनौतियां तो बढ़ेंगी लेकिन आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल विपक्ष में अलग थलग पड़ सकते हैं। भारत सरकार को टारगेट करने वाले आंदोलन कारी किसानों ने पंजाब सरकार और आम आदमी पार्टी को निशाने पर ले लिया है।कांग्रेस भी ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के चलते सक्रिय हो गई।प्रदेश कांग्रेस ने तो आप सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ ही है, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी आप और बीजेपी पर जमकर हमला बोला।राहुल गांधी ने भी अपने नेताओं के साथ विरोध जताया।
आप ने अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को यहां से उप चुनाव में उतारा हुआ है
किसान नेता राकेश टिकैत ने भी आप के फैसले पर नाराजगी जताई।जबकि बागी आप की नेता स्वाति मालीवाल ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि केजरीवाल राज्यसभा के लिए यह सब करवा रहे हैं।
दरअसल लुधियाना पश्चिम में हो रहे उप चुनाव को शंभु बोर्डर की घटना से जोड़ा जा रहा है।आप ने अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को यहां से उप चुनाव में उतारा हुआ है।पार्टी की रणनीति है कि अरोड़ा को चुनाव जितवा अरविंद केजरीवाल को यहां से राज्यसभा भेजा जाए।जिससे वह अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू कर सकें।केजरीवाल पिछले दिनों यहां के व्यापारियों से मिले भी थे।व्यापारियों ने किसानों के धरने से हो रहे नुकसान के बारे में बताया।सूत्रों का कहना है कि व्यापारियों की नाराजगी देख केजरीवाल ने फिर अपने सीएम से एक्शन के लिए कहा।उसी का परिणाम रहा कि रातों रात आंदोलनकारियों को धरने हटा रास्ता खुलवाया गया।
विपक्ष आम आदमी पार्टी के साथ बीजेपी पर भी हमलावर बना हुआ है।लेकिन किसानों का यह मामला आम आदमी को भारी पड़ सकता है।पंजाब जैसे संवेदनशील राज्य में किसानों की नाराजगी सरकार पर संकट ला सकती है।कांग्रेस पहले से ही ताक में बैठी है।कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा तो कह भी चुके हैं कि आप के कई विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं।हालांकि पंजाब में सरकार गिराना बहुत आसान नहीं है।
कांग्रेस के प्रदेश के नेता जो भी दावा करें लेकिन पार्टी के भीतर ही भारी टकराव है
आप के पास भारी बहुमत है।लेकिन दिल्ली की हार के बाद पार्टी कमजोर हुई है।दो साल बाद वहां पर विधानसभा के चुनाव होने हैं।अभी से सरकार के खिलाफ माहौल बना तो फिर आप के लिए चुनौती बढ़ेंगी।कांग्रेस के प्रदेश के नेता जो भी दावा करें लेकिन पार्टी के भीतर ही भारी टकराव है।आलाकमान ने अभी तक ही एक ही समुदाय के दोनों नेताओं को प्रमुख पदों पर बिठाया हुआ।प्रदेश अध्यक्ष राजा और विधायक दल नेता बाजवा दोनों जाट सिख हैं।
आलाकमान तय नहीं कर पा रहा क्या करना है।अकाली काफी कमजोर हो गए हैं।इस हालत में मान की सरकार को तो कोई खतरा नहीं है लेकिन आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के लिए आगे की राजनीति मुश्किल हो जाएगी।केजरीवाल पंजाब से राज्यसभा आने की कोशिश में हैं।लेकिन बदले हालत में सब कुछ आसान नहीं रहेगा।क्योंकि किसान आंदोलन ने अगर तेजी पकड़ी तो निशाने पर केजरीवाल ही रहेंगे।किसान आंदोलन को एक समय आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने ही ताकत दी थी।योजना बड़ी थी।
लेकिन केंद्र में बीजेपी की अगुवाई में तीसरी बार सरकार बनने से योजना गड़बड़ा गई।इसके बाद हरियाणा जीत चुनौती देने की तैयारी थी।लेकिन बीजेपी ने हरियाणा में तीसरी बार सरकार बना ली।इसके बाद दिल्ली में भी बीजेपी की सरकार वापस आ गई।आंदोलनकारियों के लिए सभी रास्ते बंद हो गए।कांग्रेस और आप ने हाथ खींच लिए।पंजाब सरकार परेशानी में फंस गई।क्योंकि आंदोलन से राज्य का व्यापार प्रभावित हो रहा था। थक रास्ता रोक रहे किसानों को हटाने का फैसला करना पड़ा।हालांकि कांग्रेस इसे बीजेपी और आप की मिलीभगत बता रही है।