National News : हरियाणा और महाराष्ट्र की जीत का असर, संसद में विपक्ष की एकता में दरार

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National News : हरियाणा और महाराष्ट्र की जीत का असर, संसद में विपक्ष की एकता में दरार
National News : हरियाणा और महाराष्ट्र की जीत का असर, संसद में विपक्ष की एकता में दरार

National News | अजीत मेंदोला | नई दिल्ली । हरियाणा और महाराष्ट्र की जीत ने 18 वीं लोकसभा में चल रहे गतिरोध को जहां समाप्त कर दिया वहीं विपक्ष में भी दरार डाल दी है। 18 वीं लोकसभा के गठन के शुरुआती दो सत्रों में कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष ने आक्रमक रुख अपना संसद के दोनों सदनों में एक दिन भी कामकाज नहीं होने दिया था।

विपक्ष के तेवरों से साफ था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी को ठीक ढंग से चलने नहीं देगा। विपक्ष ने 17 वीं लोकसभा के अंतिम दो वर्षों में संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बनाए रखने की ही कोशिश की थी।

लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी की जीत ने विपक्ष को बैक फुट पर ला दिया। हालांकि कांग्रेस ने शीतकालीन सत्र के पहले हफ्ते में विपक्ष को साथ ले पुराना रुख बरकरार रखने की कोशिश की लेकिन, दो राज्यों की हार ने उसे कहीं ना कहीं कमजोर कर दिया है।

दो राज्यों की हार ने कांग्रेस को कमजोर कर दिया

इंडिया गठबंधन में शामिल दलों में ही अलग अलग सुर सुनाई देने लगे।लोकसभा में 99 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस फ्रंट फुट पर आ कर खेल रही थी। सहयोगी दल भी बढ़ चढ़ कर कांग्रेस का साथ दे रहे थे। हालांकि उस समय भी टीएमसी ने कांग्रेस का नेतृत्व तो स्वीकारा लेकिन स्पीकर के चुनाव और डिप्टी स्पीकर के मामले में कांग्रेस से अलग रुख अपना संकेत दे दिए थे कि साथ लंबा नहीं चलेगा।

टीएमसी के कहने पर ही स्पीकर का चुनाव ध्वनि मत से हुआ था और डिप्टी स्पीकर के मामले ने टीएमसी ने समाजवादी पार्टी का नाम आगे कर दिया।फिलहाल डिप्टी स्पीकर का पद इस बार भी खाली रहता दिखता है।17 वीं लोकसभा में भी मोदी सरकार ने डिप्टी स्पीकर का पद खाली रखा था।मतलब कांग्रेस के लिए यह झटके की शुरुआत थी।

टीएमसी नेता ममता बनर्जी कांग्रेस से इसलिए भी नाराज रहती हैं कि उन्होंने जब भी राजग सरकार के खिलाफ बनने वाले गठबंधन का नेतृत्व गैर कांग्रेसी को सौंपने की बात की कांग्रेस ने उसे नहीं माना।ममता ने शरद पंवार तक का नाम भी आगे बढ़ाया लेकिन कांग्रेस तैयार नहीं हुई। यूपीए के अध्यक्ष का मामला रहा हो या अब इंडिया गठबंधन का कांग्रेस ने मुखिया का पद अपने पास ही रखा।

कांग्रेस राज्यों में अपनी गलत नीतियों के चलते चुनाव हार रही

अब हरियाणा और महाराष्ट्र की हार से यह संदेश चला गया है कि कांग्रेस राज्यों में अपनी गलत नीतियों के चलते चुनाव हार रही है तो सबसे पहले टीएमसी ने ही कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला।जिस अडानी मामले को लेकर कांग्रेस संसद के अंदर बाहर हमलावर बनी हुई है उसी मामले में टीएमसी और पुराने सहयोगी वामदलों ने साथ छोड़ दिया।

केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन तो अडानी के प्रोजेक्टों की सराहना भी कर चुके हैं।अब समाजवादी पार्टी भी साथ देने के मूड में नहीं है।आम आदमी पार्टी दिल्ली के चुनाव के चलते कांग्रेस से दूरी बनाने लगी है।

उत्तर प्रदेश में अलग होने के संकेत

हरियाणा और महाराष्ट्र की हार के बाद विपक्ष को आभास हो गया है कि कांग्रेस जिन मुद्दों को लेकर राजनीति कर रही है उससे उन्हें राज्यों में कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।उत्तर प्रदेश में संभल की हिंसा को लेकर कांग्रेस और सपा आमने सामने आ गए हैं।दोनों दलों में संभल के मामले को लेकर अलग अलग राजनीति हो रही है।

राहुल गांधी बुधवार को संभल के दौरे पर जाएंगे।सपा नेता पहले ही दौरा कर चुके हैं।सपा और कांग्रेस दोनों में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति को लेकर खींचतान शुरू हो गई है।विपक्ष के अलग अलग दल अब राज्यों के मुद्दों को लेकर अपने तरीके से राजनीति कर रहे हैं।इन हालातों को देखते हुए सरकार के लिए राहत की बात यह है कि संसद के दोनों सदनों में अब आने वाले दिनों में सुचारु ढंग से कामकाज हो सकेगा।

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