National News | अजीत मेंदोला| नई दिल्ली। कांग्रेस ने आपातकाल के मुद्दे को आगे कर कांग्रेस को संविधान के मुद्दे पर बैकफुट पर लाने की कोशिश शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार तो आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर हमलावर थी ही, लेकिन स्पीकर और फिर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के अभिभाषण में आपातकाल को लेकर की गई टिप्पणी ने कांग्रेस को फिर सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका जवाब कांग्रेस के पास नहीं है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव में संविधान खतरे में है को मुद्दा बना सरकार पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया था। यह मुद्दा कुछ राज्यों में चला जिसके चलते भाजपा बहुमत से चूक गई। कांग्रेस और विपक्ष को लगता है कि संविधान के इस मुद्दे पर भाजपा को घेर हिंदुत्व के मुद्दे को कमजोर किया जाए। इसलिए राजग सरकार के गठन के बाद 18 वीं लोकसभा के पहले विशेष सत्र से ही कांग्रेस और पूरा विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया।
इंडी गठबंधन के घटक दलों ने संविधान की बुक ले प्रदर्शन किया
सत्र के पहले दिन ही इंडी गठबंधन के घटक दलों ने कांग्रेस की अगुवाई में संसद प्रांगण में संविधान की बुक ले प्रदर्शन किया। और फिर शपथ ग्रहण के दौरान भी संविधान बचाओ नारेबाजी कर हंगामा जारी रखा। प्रधानमंत्री मोदी के शपथ के समय भी राहुल गांधी ने खुद संसद में हंगामा कर नारे बाजी की।
इसमें उन्हें सपा का साथ भी मिला। कांग्रेस ने सरकार पर संविधान खत्म करने जैसे आरोप लगा कोई मौका नहीं छोड़ा। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी सीधे टकराव देखा गया। कांग्रेस ने के सुरेश को मैदान में उतारा पहली बार अध्यक्ष के पद के लिए सरकार को सीधी चुनौती दी।
पहले भाषण में बिड़ला ने आपातकाल की निंदा की
वो तो कांग्रेस की एक सहयोगी टीएमसी के विरोध के चलते मत विभाजन नहीं हुआ और ध्वनि मत से ओम बिड़ला स्पीकर चुन लिए गए। स्पीकर चुनने के बाद अपने पहले भाषण में बिड़ला ने आपातकाल की निंदा कर प्रभावित लोगों की याद में मौन रखवा दिया। यहीं से कांग्रेस निशाने पर आ गई।
हालांकि कांग्रेस ने पत्र और मिल अपना विरोध प्रकट किया लेकिन लग गया कि सरकार अब संविधान के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरेगी। आज जब राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में आपातकाल को काला अध्याय बताते हुए उसे संविधान पर बड़ा हमला बताया तो कांग्रेस बैकफुट पर दिखी।
राष्ट्रपति के भाषण से ऐसा लगा कि मोदी जनता के जनादेश को नहीं समझ पा रहे
क्योंकि कांग्रेस उस पर कुछ बोल नहीं पाई। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जरूर ट्वीट कर कहा कि वह चर्चा में पूरी बात रखेंगे। लेकिन राष्ट्रपति के भाषण से ऐसा लगा कि मोदी जनता के जनादेश को नहीं समझ पा रहे हैं। जनता ने उन्हें बहुमत नहीं दिया है। पूरे भाषण में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों और नीट घोटाले पर कुछ नही था।
खड़गे ने देर शाम इंडी गठबंधन के दलों के साथ बैठक कर सरकार के नए दांव से निपटने के लिय रणनीति बनाई। विपक्ष और सरकार के रुख से साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में संसद में टकराव बढ़ेगा। कांग्रेस संविधान पर जितनी हमलावर होगी सरकार आपातकाल और कांग्रेस सरकारों के दूसरे मुद्दे उठाएगी।
कांग्रेस शासन में 100 से ज्यादा बार संविधान में संशोधन हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा बार बार कह चुकी आरक्षण खत्म नहीं होगा, लेकिन कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ इसी मुद्दे को आगे करती दिखती है। जिससे टकराव बढ़ना तय है।
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