(National News) अजीत मेंदोला। नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा का मामला लंबा खिंचता जा रहा है।संघ ने साफ कर दिया कि जब उनसे कुछ पूछा जाएगा तो तब वह अपनी राय रखेंगे।फिलहाल बीजेपी के नए अध्यक्ष के चयन के मामले में उनका कोई लेना देना नहीं है।संघ के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस माह के आखिर में होने वाली नागपुर यात्रा के दौरान नए अध्यक्ष के नाम पर मोहर लग सकती है।प्रधानमंत्री मोदी का 30 मार्च को नागपुर दौरा प्रस्तावित है जहां पर उनकी संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात होगी।

इस बीच केंद्र राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए एक नाम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी सामने आया है।हालांकि रेस में अब सबसे आगे केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का नाम बताया जा रहा है।हालांकि यह सब कयास बाजी ही हैं लेकिन जैसे कि चर्चा है दोनों नाम ऐसे हैं जो पार्टी को सूट करते है।भूपेंद्र यादव अगर अध्यक्ष बनते हैं तो उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में बड़ा संदेश जाएगा।जहां तक निर्मला सीतारमण का सवाल है तो वह दक्षिण की होने के साथ महिला भी हैं ।बीजेपी उनका नाम आगे कर चौंका भी सकती है।

अजीत मेंदोला।

अंतिम फैसला प्रधानमंत्री मोदी ओर संघ प्रमुख मोहन भागवत की सहमति से होत दिख रहा है

वित्तमंत्री के रूप ने सीतारमण लगातार 8 बार बजट पेश कर नया रिकॉर्ड पहले ही बना चुकी हैं।अगर उनके नाम पर मोहर लगती है तो बीजेपी की पहली महिला अध्यक्ष होगी।मौजूदा राजनीतिक माहौल में वह फिट भी बैठती हैं।तमिल परिवार में जन्मी निर्मला सीतारमण ने कर्नाटक और आंध्र दोनों प्रदेशों की राजनीति की है।सीतारमण एक ऐसा चेहरा होंगी जो उत्तर और दक्षिण दोनों को साध सकती हैं।इनके साथ केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रहलाद जोशी,जी किशन रेड्डी,धर्मेंद्र प्रधान के साथ मनोहर लाल खट्टर का भी नाम रेस में है।अंतिम फैसला प्रधानमंत्री मोदी ओर संघ प्रमुख मोहन भागवत की सहमति से होत दिख रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी की संघ प्रमुख के साथ लंबे समय बाद बैठक होगी।लोकसभा चुनाव में बीजेपी का उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाने के बाद संघ का महत्व बढ़ा है।हरियाणा,महाराष्ट्र और दिल्ली में संघ की सक्रियता ने जीत में अहम भूमिका निभा अपनी ताकत का अहसास भी कराया है।इसलिए माना जा रहा है कि बीजेपी के नए अध्यक्ष के चयन में संघ की अहम भूमिका रहेगी।भले ही संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोल ने बेंगलूर में बीजेपी के नए अध्यक्ष के चयन से सीधा पल्ला झाड़ लिया हो।लेकिन संघ की भूमिका रहेगी ही रहेगी।

पार्टी के संगठन का चुनाव इस साल जनवरी में पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन राज्यों के चुनाव में देरी के चलते खींचता ही चला गया

बीजेपी को 18 अप्रैल से होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पूर्व अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी है। जिससे बेंगलूर में होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नए अध्यक्ष के नाम पर औपचारिक मोहर लग सके।बीजेपी को प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव में हो रही देरी ने भी परेशान किया हुआ।उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में नए अध्यक्षों के नामों की घोषणा अभी तक नहीं हो पाई है।पार्टी अभी यह घोषित भी नहीं कर पा रही है कितने राज्यों में चुनाव पूर्ण हो चुके हैं।जो संकेत हैं उनके अनुसार आधे से ज्यादा राज्यों में अध्यक्ष चुन लिए गए हैं।मतलब बीजेपी अब कभी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर सकती है।जेपी नड्डा का कार्यकाल पिछले साल पूरा हो चुका था,लेकिन आम चुनाव फिर विधानसभा चुनावों के चलते एक साल बढ़ाना पड़ा।नड्डा अभी केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री हैं।पार्टी के संगठन का चुनाव इस साल जनवरी में पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन राज्यों के चुनाव में देरी के चलते खींचता ही चला गया।