National News : बीजेपी दिल्ली में भी चौंकाएगी,साध सकती है पंजाब और जाट राजनीति को

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(National News) अजीत मेंदोला। नई दिल्ली: दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा नव निर्वाचित विधायकों से राय लेकर अब पार्टी के बाकी सर्वोच्च नेताओं से चर्चा करेंगे।फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वदेश वापसी पर उनको रिपोर्ट सौंप देंगे ।उसके बाद नाम पर मोहर लगेगी।दो बातें साफ हैं।एक तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से वापसी के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम पर मोहर लगेगी।प्रधानमंत्री मोदी 15 फरवरी को स्वदेश लौटेंगे।दूसरी बात कि बीजेपी के पास नई सरकार के गठन के लिए काफी समय।

अब बीजेपी दिल्ली में आगे की राजनीति का आंकलन कर फैसला करेगी

26 फरवरी तक नई सरकार के गठन की सीमा है।इसलिए बीजेपी आलाकमान किसी प्रकार की जल्दी में नहीं है।लेकिन आलाकमान के सामने मुख्यमंत्री का चयन बड़ी चुनौती है।नाम भले ही कई चल रहे हों लेकिन बीजेपी आलाकमान पूरा गुणाभाग लगा कर फैसला करेगा।राजस्थान,मध्यप्रदेश और हरियाणा में नए चेहरों को मौका दे चौंकाया था।लेकिन जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया।राजस्थान में ब्राह्मण फेस दिया तो मध्यप्रदेश में यादव को सीएम बना पूरे देश में संदेश दिया।हरियाणा में विजय सैनी को मौका दे विपक्ष की पिछड़ों की राजनीति को साधा भी और चुनाव में पिछड़ों की राजनीति को लेकर कांग्रेस को फंसाया भी।अब बीजेपी दिल्ली में आगे की राजनीति का आंकलन कर फैसला करेगी।बीजेपी को जाट राजनीति ने आम चुनाव में झटका दिया था।

जाट के बाद दूसरा बड़ा सवाल यही है कि बीजेपी क्या पंजाब की राजनीति को देखते हुए किसी सिख चेहरे को दिल्ली की कमान सौंपेगी

राजस्थान,हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट बाहुल्य सीटों पर पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था,लेकिन उसके बाद हुए उप चुनावों और दिल्ली में जाट वोटरों ने खुल कर बीजेपी का साथ दिया।लेकिन विपक्ष किसानों के नाम पर जाट राजनीति गर्माता रहा है। किसान आंदोलन के पीछे भी जाट राजनीति का ही बड़ा हाथ रहता है।किसान दिल्ली में आ कर आंदोलन की हट करते रहे हैं।ऐसे में बीजेपी आलाकमान दिल्ली की कमान किसी जाट नेता को सौंप एनसीआर की जाट राजनीति को साध सकता है।जाटों में भी बड़ा संदेश जाएगा।बीजेपी में बड़े जाट नेता का वैसे भी अभाव है।राजस्थान बीजेपी के वरिष्ठ नेता सतीश पूनिया को पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर तैयार तो कर रही है लेकिन संदेश देने के लिए बड़ा दांव खेलना ही पड़ेगा।जाट के बाद दूसरा बड़ा सवाल यही है कि बीजेपी क्या पंजाब की राजनीति को देखते हुए किसी सिख चेहरे को दिल्ली की कमान सौंपेगी।

अजीत मेंदोला।

कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही ताक में है कि पंजाब आप में टूट हो

कुछ जानकारों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान ऐसा कर सकता है।क्योंकि पंजाब ऐसा राज्य है जहां पर बीजेपी अपने दम पर कुछ नहीं कर पा रही है।अकालियों से अलग होने के बाद बीजेपी कोशिश कर रही है कि वह अकेले ही राजनीति करे।दिल्ली की हार के बाद आम आदमी पार्टी पर पंजाब की सरकार बचाने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।अरविंद केजरीवाल कोशिश तो कर रहे हैं पार्टी एक जुट रहे है।लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता।आप के विधायकों में भी अब भविष्य की राजनीति को लेकर चिंता घर करने लगी है।कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही ताक में है कि पंजाब आप में टूट हो।

अगर ऐसा होता है तो फिर आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब बचाना भी मुश्किल होगा।अकाली दल में अब जान नहीं बची है।बीजेपी निश्चित तौर पर अपनी जमीन तैयार करने का मौका नहीं छोड़ेगी।दिल्ली में किसी सिख नेता को मौका दिया जाता है तो पंजाब की राजनीति पर निश्चित तौर से असर पड़ेगा।बीजेपी को अभी भी ऐसे सिख चेहरे की तलाश है जिसका संदेश पूरे देश भर में जाए।बीजेपी आलाकमान क्या फैसला करता दिल्ली और देश की राजनीति के लिहाज से भी अहम होगा।कांग्रेस जिस तरह जातीय राजनीति को आगे बढ़ा रही है उसमें बीजेपी कोई मौका विपक्ष को नहीं देना चाहेगी।हालांकि नड्डा और सभी बड़े नेता पीएम की स्वदेश वापसी से पूर्व अपनी रिपोर्ट तैयार कर लेंगे और फिर अंतिम मोहर की इंतजारी करेंगे।पीएम मोदी और संघ एक नाम मोहर लगा फिर उसकी घोषणा की जाएगी।