National News : कांग्रेस अभी पुराने मुद्दों के भरोसे करेगी राजनीति

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National News : कांग्रेस अभी पुराने मुद्दों के भरोसे करेगी राजनीति
National News : कांग्रेस अभी पुराने मुद्दों के भरोसे करेगी राजनीति
  • आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दुविधा बरकरार

अजीत मेंदोला | नई दिल्ली। कांग्रेस एक बार फिर अडानी,संविधान और जातीय जनगणना के मुद्दे पर आगे की लड़ाई लड़ने जा रही है।इसकी घोषणा कांग्रेस ने मंगलवार को यहां कर संकेत दे दिए हैं वह इन मुद्दों के भरोसे ही आगे की राजनीति करेगी। किसान,महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे होंगे,लेकिन पीछे से। कांग्रेस हरियाणा,महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ और जम्मू कश्मीर में साल के आखिर होने वाले इन राज्यों के चुनाव में इन्हीं मुद्दों पर दांव लगाएगी।

लेकिन वहीं कांग्रेस आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले पर अभी भी दुविधा में है।यूं कहा जाए कि कांग्रेस पत्ते नहीं खोल रही है।सुप्रीम कोर्ट के कोटे में कोटे के फैसले पर कांग्रेस गोलमोल जवाब दे अभी पल्ला झाड रही है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर कांग्रेस ने एक दम से कोई फैसला नहीं किया।लेकिन उसके शासन वाले कर्नाटक और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों ने तुरंत फैसले का स्वागत कर उसे लागू करने की बात कह डाली।

इस बीच भारत सरकार ने फैसला किया कि आरक्षण की जो व्यवस्था है वह यथावत बनी रहेगी।मतलब कोटे में कोटा नहीं होगा।बहुजन समाज पार्टी और राजग के एक दो घटक दल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं थे।क्योंकि दलितों के हिस्से पर सबसे ज्यादा असर पड़ता।मोदी सरकार के दांव से कांग्रेस फंस गई।क्योंकि उसके दो मुख्यमंत्री स्वागत कर चुके थे।हिमाचल के सीएम मोन रहे।हिमाचल यूं भी अगड़ी जातियों वाला राज्य है।

कांग्रेस की परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई।उत्तर प्रदेश के सबसे बड़ी सहयोगी समाजवादी पार्टी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है क्योंकि उसका पीडीए का खेल बिगड़ जाता है।पीडीए मतलब पिछड़ा,दलित और अल्पसंख्यक।सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने आज की बैठक में मुख्यरूप से सुप्रीम कोर्ट के कोटे में कोटे वाले फैसले पर ही आंदोलन का निर्णय लेना।लेकिन अभी कोटे में कोटे के फैसले के बजाए हिडनबर्ग की रिपोर्ट को मुख्य एजेंडे में ले अडानी और सेबी पर जेपीसी की मांग को लेकर देशभर में आंदोलन का फैसला किया।

साथ ही आरक्षण और जातीय जनगणना को मुख्य मुद्दा बनाया।कांग्रेस के करीबी कई एनजीओ सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत हैं।कर्नाटक और तेलंगाना भी राजी है। ऐसे में कांग्रेस अभी और मंथन कर सरकार पर बिल लाने का दबाव बनाने की सोचेगी।अभी कांग्रेस का यही कहना है कि उनके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जो कहा है कि सरकार की मंशा होती तो बजट सत्र में ही बिल लाती।कांग्रेस देखना चाहती है कि राज्यों में और सहयोगियों में क्या प्रतिक्रिया होती है।

इसके साथ चुनाव वाले महत्वपूर्ण राज्य हरियाणा में दलित राजनीति गरमाने से परहेज कर रही है। हालांकि पार्टी की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा कोटे में कोटे का खुल कर विरोध कर रही हैं। हरियाणा में अगर पिछड़े को सीएम बनाने ने तूल पकड़ा तो कांग्रेस फंस जायेगी। इसलिए अभी कोटे में कोटे की राजनीति को कांग्रेस ने टालने की रणनीति पर काम किया है। दो माह बाद राज्यों में चुनाव है इसलिए अडानी, आरक्षण,जातीय जनगणना के पुराने मुद्दों पर ही कांग्रेस ने फोकस किया है।

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