National News | अजीत मेंदोला | नई दिल्ली । कांग्रेस में जन्मदिन पर केक काटने की नई परंपरा ने कई नेताओं को टेंशन दे दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी के जन्मदिन पर केक काटे जाने तक तो नेता उत्साहित थे, लेकिन संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल के जन्मदिन पर केक काटे जाने ने कई नेताओं का टेंशन बढ़ा दिया है।

केक भी किसी ओर ने नहीं कांग्रेस के बॉस राहुल गांधी ने खुद काटा और खिलाया भी। बकायदा तालियां बजा कर बधाई भी दी गई। इस मौके पर उनकी बहन प्रियंका गांधी समेत कुछ और नेता भी मौजूद थे। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे नहीं दिखाई दिए। केक काटने के इस कार्यक्रम को इंडियन यूथ कांग्रेस और दूसरे हैंडल पर इंस्टाग्राम पर भी पोस्ट किया गया।

पार्टी में पहली बार किसी संगठन महासचिव के जन्मदिन पर केक काटा गया

पार्टी में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी संगठन महासचिव के जन्मदिन पर केक काटा गया हो।वेणुगोपाल के जन्मदिन पर केक काटे जाने का पार्टी में बड़ा मतलब माना जा रहा। एक तरह से यह संदेश चला गया कि वेणुगोपाल कहीं नहीं जा रहे हैं। क्योंकि केक ऐसे समय पर काटा गया जब माना जा रहा था कि राहुल उन्हें पद से हटा सकते हैं।

वह पहले ऐसे संगठन महासचिव हैं जिनके कार्यकाल में पार्टी दो बार का लोकसभा चुनाव और कई राज्यों में चुनाव हार चुकी है। आज पार्टी की स्थिति यह है कि तीन राज्यों में उसकी सरकार रह गई है। इनमें हिंदी बेल्ट वाले एक छोटे से राज्य हिमाचल प्रदेश में ही कांग्रेस सत्ता में है और बाकी दो राज्य दक्षिण के हैं।कमजोर संगठन के चलते पार्टी आज हाशिए पर चली गई।

महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे राज्यों में कांग्रेस जीती हुई बाजी हार गई और दिल्ली में जीत के कोई आसार नहीं है। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के लिए इतनी भर खुश खबर हो सकती है अगर बीजेपी चुनाव जीत जाए। आम आदमी पार्टी की हार से ही कांग्रेस विपक्ष का नेतृत्व पर अपना हक जता सकेगी।

एक्जिट पोल फिलहाल बीजेपी की सरकार बना रहा

आप जीत गई तो अरविंद केजरीवाल फिर कांग्रेस की जगह लेने की कोशिश करेंगे। एक्जिट पोल फिलहाल बीजेपी की सरकार बना रहा है। दिल्ली चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस की चुनौतियां कम नहीं होंगी।क्योंकि 8 माह बाद बिहार का चुनाव होगा।

लगातार हार के बाद से वेणुगोपाल नेताओं के निशाने पर बने हुए हैं।क्योंकि संगठन जिस तरह काम करना चाहिए कर नहीं रहा है।राज्यों में हालात इतने खराब हैं कि पार्टी कुछ तय नहीं कर पा रही।हरियाणा जैसे राज्य में विधायक दल नेता चुनना कांग्रेस आलाकमान के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।महाराष्ट्र में पार्टी नया प्रदेश अध्यक्ष तय नहीं कर पा रही है।

पार्टी में चारों तरफ निराशा का माहौल है।उदयपुर के संकल्प सम्मेलन के बाद कर्नाटक के बेलगांव में संगठन को मजबूत करने ओर बदलाव को लेकर तमाम बातें हुई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।यही नहीं पार्टी का जय भीम,जय संविधान जैसा अभियान फ्लॉफ हो गया।इतना होने के बाद भी राहुल गांधी का संगठन महासचिव वेणुगोपाल के प्रति भरोसा बना हुआ है।

केक सेरेमनी ने इस बात पर मोहर लगा दी कि पार्टी में सब बदले जा सकते हैं कि लेकिन वेणुगोपाल नहीं।बदलाव की बात इसलिए भी हो रही थी कि पार्टी के दोनों बड़े पदों अध्यक्ष ओर संगठन महासचिव पद दक्षिण भारतीय है।

वेणुगोपाल उत्तर भारत की राजनीति समझते भी नहीं है।इसलिए उत्तर भारत के कई युवा नेता जिनमें रणदीप सिंह सुरजेवाला,अजय माकन,सचिन पायलट,जितेंद्र सिंह जैसे कई नेताओं के समर्थक उम्मीद में थे कि उनके नेता को यह पद मिलेगा।लेकिन केक सेरेमनी ने नया ही संदेश दे दिया।

National News : बीजेपी का अब संगठन चुनाव पर रहेगा फोकस, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा जल्द