• 27 मार्च से देशभर के जिलाध्यक्ष दिल्ली में जुटेंगे

अजीत मेंदोला | नई दिल्ली । संगठन को जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक चुस्त दुरस्त करने को लेकर कांग्रेस की एक अहम बैठक यहां मंगलवार को हुई। बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे,लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत राष्ट्रीय स्तर के अधिकाशं पदाधिकारी मौजूद रहे। इस बैठक में तय हुआ कि देशभर के जिलाध्यक्षों के साथ चर्चा कर आगे की रणनीति बनाई जाए। इसके लिए 27 मार्च से तीन दिन तक जिलाध्यक्षों की बैठक दिल्ली में होगी।

28 मार्च की बैठक के बाद फिर 3 अप्रैल को जिलाध्यक्ष दिल्ली में जुटेंगे। नवरात्रि और ईद के चलते बीच में बैठक नहीं होगी। पार्टी का अब पूरा जोर किसी तरह से संगठन को ताकत देने पर है।लेकिन केंद्रीय स्तर पर क्या होगा उस पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई।

पार्टी में अकेले चुनाव लड़ने को लेकर भी मंथन शुरू

सूत्रों की माने तो पार्टी में अकेले चुनाव लड़ने को लेकर भी मंथन शुरू हो गया है। पार्टी के कई नेता चाहते हैं कि पार्टी को अकेले चुनाव लड़ राज्यों में संगठन को ताकत देनी चाहिए। चुनाव बाद गठबंधन पर विचार किया जाना चाहिए। बिहार में पार्टी ने बेरोजगारी और पलायन रोकने को लेकर पद यात्रा शुरू की हुई है। इस यात्रा की भी बैठक में चर्चा रही है। हालांकि पार्टी अभी खुल कर कुछ भी नहीं बोल रही है लेकिन एकला चलो की नीति पर विचार शुरू हो गया है। खास तौर पर हिन्दी भाषी राज्यों में।

ऐसा समझा जा रहा है मंगलवार की बैठक के बाद जिलाध्यक्षों की बैठक में चर्चा करने के बाद अगले महीने होने वाली एआईसीसी की बैठक में संगठन में बदलाव और एकला चलो की नीति पर भी चर्चा कर फैसला किया जा सकता है। लगातार हार के बाद पार्टी में संगठन को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

पार्टी अध्यक्ष खरगे खुद कह चुके हैं कि संगठन को चुस्त दुरस्त किया जाना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने जिला व ब्लॉक स्तर पर पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए कमेटी गठित की थी। उस कमेटी ने अपने सुझाव रखे। पार्टी की सबसे बड़ी समस्या निचले स्तर पर संगठन का कमजोर होना ही। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में गठबंधन कर पार्टी लगातार कमजोर हुई है। बाकी राज्यों में भी गठबंधन से कोई फायदा अब हो नहीं रहा है।

छोटे दल भी पार्टी को कम महत्व देने लगे। पार्टी के सामने अब यही चुनौती बनी हुई है कि कैसे संगठन को ताकतवर बनाया जाए जिससे पार्टी की सत्ता में वापसी हो। संगठन कमजोरी की बड़ी वजह गुटबाजी भी है। गुटबाजी पर अंकुश लगाने का आलाकमान का है लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। पार्टी के दिग्गजों ने कई मुद्दों पर चर्चा तो की लेकिन गुटबाजी अभी भी चुनौती बनी हुई है।

संगठन को ताकत देने के लिए कांग्रेस ने बीते सालों में कई बैठकें की । 2022 के उदयपुर संकल्प से लेकर इस साल जनवरी में बेलगाम की बैठक तक। तमाम बातें जरूर हुई लेकिन बदलाव के नाम पर कुछ नहीं हुआ।मंगलवार की बैठक के बाद पार्टी में कोई बड़ा बदलाव होगा लगता नहीं है।

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