- विपक्ष की कोशिश किसी तरह दिल्ली जीता जाए
अजीत मेंदोला | नई दिल्ली। चुनाव की घोषणा से पहले ही दिल्ली में कांग्रेस के दोस्ताना मुकाबले की पोल पट्टी खुल गई।इससे दिल्ली के कांग्रेसियों में निराशा का भाव फैल गया है। हालांकि आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मिल के चुनाव लड़ने की खबरों का खंडन कर दिया,लेकिन कांग्रेस को जो नुकसान होना था हो गया। सूत्रों की माने तो कांग्रेस चुनाव जरूर लड़ेगी लेकिन जीतने के लिए नहीं बल्कि बीजेपी को हराने के लिए आप से तालमेल बिठा कर।
कांग्रेस ने दिल्ली में पहले ही सरेंडर किया हुआ था महाराष्ट्र की हार ने और हालत खराब कर दी। महाराष्ट्र और हरियाणा की हार से उभरने के लिए विपक्ष की तरफ से अब कोशिश की जा रही है कि जैसे तैसे दिल्ली जीता जाए ।
एनसीपी नेता शरद पंवार की केजरीवाल के साथ बैठक हुई !
सूत्रों का कहना है कि बीती रात एनसीपी नेता शरद पंवार की केजरीवाल के साथ बैठक हुई थी। उस बैठक में कांग्रेस के प्रवक्ता और केजरीवाल के मुकदमे लड़ने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी भी उसमें शामिल हुए थे। बैठक की कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई लेकिन चर्चा है कि उसमें दिल्ली चुनाव को लेकर कोई रणनीति बनी है। समझा जा रहा है कि केजरीवाल सीधे गठबंधन के पक्ष में नहीं है।
आपस में तय कर दोनों दल अपने अपने प्रत्याशी खड़े करेंगे और किसी भी कीमत पर बीजेपी को जीतने से रोकना लक्ष्य होगा।जिससे कि हरियाणा और महाराष्ट्र की हार के बाद बने निराशा के माहौल को खत्म किया जा सके।दअरसल 2013 की हार के बाद से दिल्ली में कांग्रेस कमजोर होती चली गई।कांग्रेस ने उस समय 50 दिन के लिए आप की सरकार बना अपने को पूरी तरह से खत्म कर लिया।
अजय माकन दिल्ली की राजनीति में बुरी तरह से असफल रहे
शीला दीक्षित के निधन के बाद अजय माकन ने दिल्ली में राजनीति करने की कोशिश की लेकिन वह भी बुरी तरह से असफल रहे। आलाकमान ने माकन को कमान सौंप बड़ी गलती की। माकन अपने व्यवहार चलते न नेताओं को और ना ही संगठन को एक जुट रख पाए। कांग्रेस अगला चुनाव आते आते और कमजोर हो गई। दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति यह हो गई कि 2019 लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में नेताओं ने चुनाव लड़ने से किनारा करना शुरू कर दिया।
दिल्ली के कर्ताधर्ता रहे माकन जैसे नेता लोकसभा चुनाव के समय इलाज के लिए विदेश चले गए।लेकिन इसके बाद भी गांधी परिवार के भरोसे मंद बने हुए हैं।आमचुनाव 2024 के समय एक बार फिर कांग्रेस ने कमजोर होती आम आदमी पार्टी को सहारा दे दिया।आप से गठबंधन का नतीजा यह हुआ कि कई प्रदेश अध्यक्ष समेत कई कांग्रेसी पार्टी छोड़ कर चले गए।
इस बीच पार्टी ने कई प्रदेश अध्यक्ष बनाए जरूर लेकिन कोई चला नहीं।लोकसभा चुनाव के समय प्रदेश अध्यक्ष लवली का बीजेपी में शामिल होने के बाद से लगने लगा था कि कांग्रेस दिल्ली में संघर्ष नहीं करेगी।हुआ भी वहीं पंजाब के प्रभारी देवेंद्र यादव को अंतरिम अध्यक्ष बना चुनाव की कमान सौंप दी।
इससे लगने लगा कांग्रेस दिल्ली को लेकर गंभीर नहीं है।यादव ने अपनी तरफ से न्याय यात्रा निकाल माहौल बनाने की कोशिश की। लेकिन आलाकमान ने कोई दिलचस्पी नहीं ली।
पार्टी के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी का दिल्ली के कार्यक्रमों से दूरी बनाने से चर्चा पहले ही शुरू हो गई थी कि आप और कांग्रेस के बीच कुछ पक रहा है।हालांकि अरविंद केजरीवाल ने पहले भी गठबंधन से मना किया और आज खबर प्रचारित होने के बाद भी कांग्रेस के साथ मिल कर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया।।
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